कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है. पार्टी के दिग्गज नेता और गांधी परिवार के करीबी गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. गुलाम नबी आजाद ने 5 पन्नों की इस्तीफा कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है. इसमें उन्होंने पार्टी के अपने जुड़ाव और अलगाव की वजह बताई है. ब्लॉक लेवल से सियासी पारी शुरू करने वाले आजाद केंद्रीय मंत्री भी रहे. उन्होंने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव से लेकर मनमोहन सिंह के साथ काम किया. तो चलिए आपको गुलाम नबी आजाद के कांग्रेस में शामिल होने से लेकर पार्टी से उनके अलगाव तक की कहानी बताते हैं...
घाटी में बीता बचपन-
गुलाम नबी आजाद जन्म 7 मार्च 1949 को जम्मू-कश्मीर के डोडा में हुआ था. उनके पिता का नाम रहमतुल्लाह बट और माता का नाम बासा बेगम था. आजाद की शुरुआती पढ़ाई गांव के स्कूल में ही हुई. बाद में पढ़ाई के लिए जम्मू चले गए और गांधी मेमोरियल कॉलेज से साइंस की डिग्री हासिल की. साल 1972 में आजाद ने श्रीनगर की कश्मीर यूनिवर्सिटी से जूलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया. इस दौरान उनका झुकाव सियासत की तरफ हुआ.
गुलाम नबी आजाद का सियासी सफर-
गुलाम नबी आजाद ने साल 1973 में भलस्वा में ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के सचिव के तौर पर सियासत में इंट्री की. इसके बाद आजाद ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. साल 1980 में गुलाम नबी आजाद को युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया गया. आजाद पहली बार साल 1980 में महाराष्ट्र के वाशिम से लोकसभा का चुनाव जीते. 1982 में इंदिरा सरकार में उनको मंत्री बनाया गया. साल 1985 में फिर से लोकसभा के लिए चुने गए. लेकिन 1990 में राज्यसभा चले गए. आजाद नरसिम्हा राव की सरकार में भी मंत्री रहे.
जम्मू-कश्मीर के सीएम बने आजाद-
गुलाम नबी आजाद साल 2005 में जम्मू-कश्मीर का मुख्यमंत्री बनाया गया. इस दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर में 8 नए जिले बनाए. इसमें से 4 जम्मू और 4 कश्मीर संभाग में थे. आजाद ने आमरनाथ यात्रा के श्रद्धालुओं के लिए भगवती नगर में यात्री निवास बनवाया. आजाद के कार्यकाल में ही राज्य में डबल शिफ्ट में काम करने की प्रथा शुरू हुई. लेकिन 2008 में पीडीपी ने समर्थन वापस ले लिया और सरकार गिर गई. इसके बाद गुलाम नबी आजाद फिर से दिल्ली लौट आए और मनमोहन सिंह सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बन गए. साल 2014 में आजाद को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाया गया.
आजाद ने रोने का किस्सा सुनाया-
साल 2016 में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी उठा रहे गुलाम नबी आजाद ने खुद के रोने का किस्सा सुनाया. उन्होंने कहा कि वो जिंदगी में सिर्फ 5 बार चिल्ला-चिल्लाकर रोए हैं. आजाद ने बताया कि जब संजय गांधी, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की मौत हुई थी, तब मैं बहुत रोया था. इसके अलावा ओडिशा में सुपर सूनामी आई थी तो सोनिया गांधी ने मुझे वहां भेजा. मैंने वहां समंदर में लाशों को तैरते देखा और बहुत रोया. इसके अलावा गुलाम नबी आजाद साल 2005 में जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले 8 पर्यटकों के मारे जाने पर रोए थे. इसका जिक्र पीएम मोदी ने किया था.
पौधों से आजाद को है लगाव-
गुलाम नबी आजाद को पौधों से बहुत लगाव है. आजाद के बगीचे में 25 से ज्यादा वैरायटी के फूल हैं. गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर में एशिया का पहला ट्यूलिप गार्डन बनवाया था. आज वो पर्यटक स्थल के तौर पर जाना जाता है. आज भी आजाद खुद ही अपने गार्डन में पौधे लगाते हैं.
ये भी पढ़ें: