क्या है प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट जिसके तहत अदालत ने ईडी की जांच, गिरफ्तारी और कुर्की के अधिकार को बरकरार रखा

सरल शब्दों में, मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल संपत्ति की जब्ती का प्रावधान करने के लिए PMLA एक आपराधिक कानून है.

प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट यानी पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई भी बदलाव करने से इनकार किया है
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 6:23 PM IST
  • प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्‍ट के कुछ प्रावधानों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया है
  • उसने इन प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है

प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्‍ट (PMLA) को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है. ये फैसला प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्‍ट के प्रावधानों से जुड़ा है जिसके तहत प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मिली शक्तियों का जिक्र किया गया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के इस फैसले से अब प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्‍ट के तहत  (Money Laundering Act)  ईडी की गिरफ्तारी, तलाशी और जब्‍ती से जुड़ी शक्तियों को बरकरार रखा गया है. 

बता दें कि ईडी फिलहाल कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ कर रही है. अब ये कहा जा सकता है कि कोर्ट के इस फैसले ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर तलवार लटका दी है. ऐसे में आईये जानते हैं कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्‍ट (PMLA) क्या है और इसकी शुरूआत कब हुई थी. 

मनी लॉन्ड्रिंग क‍िसे कहते हैं?

मनी लॉन्ड्रिंग को आसान भाषा में अवैध तरीके से कमाए गए ब्लैक मनी को वाइट मनी में बदलने की तरकीब कहा जा सकता है. यानी मनी लॉन्ड्रिंग अवैध कमाई को छुपाने का एक जरिया है जिसमें  लॉउन्‍डरर (Laundrer) पैसों की हेराफेरी करता है. इस हेरा फेरी के लिए लॉउन्‍डरर (Laundrer) कई तरकीब अपनाता है. पैसों की इसी हेराफेरी को रोकने के लिए पीएमएलए कानून बनाया गया . 

प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्‍ट क्‍या है?

पीएमएलए मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल संपत्ति को जब्त करने के लिए बनाया गया एक कानून है. ये कानून सरकार या सार्वजनिक प्राधिकरण को अवैध रूप से कमाए गए पैसों और संपत्ति को जब्त करने का अधिकार देता है. 

बता दें कि अवैध हथियारों की आपूर्ति, नशीले पदार्थों की तस्करी और वेश्यावृत्ति में शामिल लोग, जो इन कामों के जरिए पैसा कमाते हैं, उन्हें भी मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए दोषी ठहराया जा सकता है. 

2012 में किए गए संसोधन के तहत सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर भी ये कानून लागू होता है, 

मनी लॉन्ड्रिग कैसे की जाती है.  

सबसे पहले, अवैध धन को वित्तीय प्रणाली में पेश किया जाता है जिसे 'प्लेसमेंट' का टर्म दिया जाता है. इसके बाद इन पैसों की  'लेयरिंग' की जाती है. जिसमें काले धन को सफेद धन में बदलने के लिए पैसे का अलग तरह से लेन-देन किया जाता है. 

तीसरे और अंतिम चरण में, धन वित्तीय प्रणाली में इस तरह प्रवेश किया जाता है कि अपराध का पता ना चले  यानी अपराधी या इसे प्राप्त करने वाला शख्स धन का इस्तेमाल स्वच्छ धन के रूप में  कर सके. 

2019 में  किए गए ये बदलाव 

जुलाई 2019 में, सरकार ने वित्त विधेयक, 2019 में संशोधन के रूप में इस कानून में कुछ बदलाव किया था. जिसके तहत ईडी उन व्यक्तियों या संस्थाओं पर मुकदमा चला सकता है जिनका अपराध पीएमएलए के तहत न हो. 

अधिनियम क्यों बनाया गया था?

मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए 
अवैध गतिविधियों और आर्थिक अपराधों में धन के इस्तेमाल को रोकने के लिए 
मनी लॉन्ड्रिंग से हासिल या इसमें शामिल/इस्तेमाल की गई संपत्ति की जब्ती के लिए प्रावधान के लिए

पीएमएल कानून का क्‍या हुआ है फायदा?

इसे लेकर  केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी दलीलें पेश की है इन दलीलों से पीएमएल कानून के फायदे का जवाब मिल जाता है. इन दलीलों में ये बताया गया है कि पिछले 17 सालों में  पीएमएलए के तहत 98,368 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की पहचान करके उन्हें जब्त कर लिया गया है.  वहीं 17 साल में 2,883 तलाशी की गई है और  256 संपत्तियों के जरिये 982 करोड़ रुपये की अपराध की कमाई को जब्‍त किया गया है.

 

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