गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने निठारी कांड के अभियुक्त सुरेंद्र कोली को एक और मामले में फांसी की सजा सुनाई है. कोर्ट ने इस बार कोली को बड़ी पायल हत्याकांड के मामले में फांसी की सजा सुनाया है. अब तक इस हैवान को 14 बार फांसी की सजा सुनाई गई है.
14 बार हो चुकी है फांसी की सजा-
निठारी के गुनहगार सुरेंद्र कोली को गाजियाबाद की सीबीआई कोर्ट ने 14 बार फांसी की सजा सुनाई है.
खाना बनाने में थी महारत-
सुरेंद्र कोली मूलरूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा का रहने वाला है. उसका परिवार भेड़-बकरियां चराकर गुजारा करता था. साल 2000 में एक ब्रिगेडियर अल्मोड़ा घूमने गए थे. इसी दौरान उनकी मुलाकात सुरेंद्र कोली से हुई थी. सुरेंद्र कोली को स्वादिष्ट खाना बनाने आता था. उसकी इसी खूबी ने बिग्रेडियर को खुश कर दिया. इसके बाद कोली बिग्रेडियर के साथ दिल्ली आ गया और उनके यहां खाना बनाने का काम करने लगा.
पंधेर से कोली की मुलाकात-
ब्रिगेडियर के घर रहने के दौरान साल 2003 में सुरेंद्र कोली की पहचान मनिंदर सिंह पंढेर से हुई थी. इसके बाद पंढेर सुरेंद्र को अपने साथ नोएडा लेकर आ गया. जब सुरेंद्र कोली नोएडा आया तो उसके बाद उसने अपने परिवार को भी बुला लिया. लेकिन जब उसके मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर का परिवार पंजाब चला गया तो कोली ने भी अपनी पत्नी को घर भेज दिया. अब नोएडा की कोठी में पंढेर और कोली ही रह रहे थे.
निठारी का नरपिशाच बना कोली-
पत्नी के घर लौट जाने के बाद सुरेंद्र कोली अकेला पड़ गया. कई महीनों तक अकेला रहने के बाद कोली ने हैवानियत को अपना लिया. शाम के वक्त जब इलाके में सन्नाटा छा जाता था. तब कोली शिकार करता था. वो लड़कियों को पकड़ लेता था और उनको कोठी में ले जाता था. पहले लड़कियों के साथ दुष्कर्म करता था और उसके बाद उनकी हत्या कर देता था.
कोली तक कैसे पहुंची पुलिस-
7 मई 2006 को निठारी में रहने वाली एक युवती को पंढेर ने नौकरी दिलाने के बहाने बुलाया था. इसके बाद युवती घर नहीं लौटी. युवती के पिता ने नोएडा के सेक्टर-20 थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई. इसके बाद पुलिस हरकत में आई. 29 दिसंबर 2006 को निठारी में मोनिंदर सिंह पंढेर की कोठी के पीछे 19 बच्चियों और महिलाओं के कंकाल मिले. इस मामले में पुलिस ने पंढेर और उसके नौकर सुरेंद्र कोली को गिरफ्तार किया था.
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