भारत ने गुरुवार को सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस (brahmos supersonic cruise missile) के नए वर्जन का सफल परीक्षण किया गया. ओडिशा के चांदीपुरा स्थित इंटिग्रेटेड टेस्ट रेंज से सुबह 10.30 बजे इसका परीक्षण किया गया है. आपको बता दें, भारत के लिए ये टेस्ट काफी महत्वपूर्ण था. लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में चीन से लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) के साथ-साथ सामरिक महत्व वाले कई स्थानों पर ब्रह्मोस मिसाइलों को तैनात किया गया है.
हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने कई परीक्षण किये हैं, इसमें अब ब्रह्मोस मिसाइल के इस नए वर्जन का नाम भी जुड़ गया है.
रक्षा मंत्री और डीआरडीओ के अध्यक्ष ने दी बधाई
रक्षा मंत्रालय ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हवाले से बधाई दी है. उन्होंने इसके सफल फ्लाइट टेस्ट के लिए ब्रह्मोस, डीआरडीओ टीम और उद्योग जगत की सराहना की है. साथ ही डीआरडीओ के अध्यक्ष जी सतीश रेड्डी ने भी हथियार प्रणालियों की दक्षता को लगातार बढ़ाने और स्वदेशी सामान पर ज्यादा ध्यान देने के लिए किये जा रहे लगातार प्रयासों के लिए वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की सराहना की है.
देश की सेना कर रही है पहले से इस्तेमाल, ये हैं खूबियां
गौरतलब है कि ब्रह्मोस एक शक्तिशाली मिसाइल वेपन सिस्टम (Missile Weapon System) है. जिसे पहले से ही सशस्त्र बलों में शामिल किया जा चुका है. ब्रह्मोस को आर्मी, नेवी और एयर फाॅर्स द्वारा अलग-अलग रूपों में इस्तेमाल में लाया जाता है. इसे सबमरीन, जहाज, एयरक्राफ्ट या जमीन भूमि से लॉन्च किया जा सकता है. बता दें, ये मिसाइल 300 से 400 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन को तबाह कर सकती है.
ब्रह्मोस को दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक मिसाइल में से एक माना जाता है. इसकी रफ्तार रफ़्तार 2.8 मैक से 3 मैक (ध्वनि की रफ़्तार के बराबर) तक है. इस मिसाइल की रेंज लगभग 400 किलोमीटर है और ये 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जा सकती है.
पिछले महीने क्रूज मिसाइल के एयर वर्जन का हुआ था परीक्षण
आपको बता दें, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एयर वर्जन का पिछले महीने सुपरसोनिक लड़ाकू विमान सुखोई 30 एमके-आई (Sukhoi 30 MK-I) से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था. पिछले हफ्ते मिसाइल को पश्चिमी तट से भारतीय नौसेना के आईएनएस विशाखापत्तनम से लॉन्च किया गया था.
(इनपुट-अभिषेक भल्ला)
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