Udaipur Murder Case: पाकिस्तानी संगठन दावत-ए-इस्लामी को जानिए, उदयपुर हत्याकांड से जुड़ रहे हैं जिसके तार

Dawat-e-Islami: उदयपुर में टेलर की बर्बर हत्या के तार पाकिस्तान से जुड़ सकते हैं. हत्याकांड के आरोपियों के पाकिस्तान के संगठन से जुड़ने की आशंका है. बताया जा रहा है कि रियाज और गौस दावत-ए-इस्लामी संगठन के ऑनलाइन कोर्स से जुड़े हैं.

उदयपुर हत्याकांड के आरोपियों के तार पाकिस्तान से जुड़ सकते हैं
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 29 जून 2022,
  • अपडेटेड 11:33 AM IST
  • कन्हैयालाल हत्याकांड के तार पाकिस्तान से जुड़ सकते हैं
  • दावत-ए-इस्लामी के ऑनलाइन कोर्स से जुड़े थे आरोपी

राजस्थान के उदयपुर में एक टेलर कन्हैयालाल की बेरहमी से हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड के तार पाकिस्तान से जुड़े हो सकते हैं. हत्याकांड के आरोपी रियाज और मोहम्मद गौस को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. आरोपियों ने एक वीडियो शेयर किया और बताया कि इस्लाम का बदला लेने के लिए इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया है. इस मामले की जांच एसआईटी कर रही है. इस बीच राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने इस मामले में इंटरनेशनल साजिश की आशंका जताई है.
हत्याकांड के आरोपी रियाज और गौस का दावत-ए-इस्लामी नाम के संगठन से जुड़े होने के आरोप हैं. बताया जा रहा है कि ये दोनों आरोपी दावत-ए-इस्लामी के ऑनलाइन कोर्स से जुड़े हैं. दावत-ए-इस्लामी संगठन पाकिस्तान के कराची से चलने वाली चैरिटी के नाम पर बनी संस्था है. चलिए आपको इस संगठन के बारे में बताते हैं.

क्या है दावत-ए-इस्लामी संगठन-
दावत-ए-इस्लामी पाकिस्तान का एक सुन्नी इस्लामी संगठन है और इसका मतलब इस्लाम की ओर आमंत्रण होता है. इसकी स्थापना साल 1981 में कराची में हुई थी. मौलाना अबू बिलाल मुहम्मद इलियास अत्तारी ने इसकी स्थापना की, जो पाकिस्तान में रहता है. इस संगठन की शाखाएं दुनियाभर में हैं. दावत-ए-इस्लामी संगठन दुनिया के 194 देशों में फैला है. ये संगठन ऑनलाइन कोर्स भी चलाता है. इसके ऑनलाइन कोर्स से ही उदयपुर हत्याकांड के दोनों आरोपी जुड़े हैं. इस संगठन का मदनी चैनल नाम का टेलिविजन चैनल भी है. जिससे संगठन का प्रचार-प्रसार किया जाता है. इस चैनल पर उर्दू, अंग्रेजी के अलावा बांग्ला में कार्यक्रम प्रसारित होता है. इस संगठन की पहचान हरी पगड़ी है.

ऑनलाइन कोर्स चलाता है संगठन-
दावत-ए-इस्लामी 32 से ज्यादा ऑनलाइन कोर्स चलाता है. इसका मकसद शरिया कानून के तहत इस्लामी शिक्षाओं का ऑनलाइन प्रचार-प्रसार करना है और मुसलमानों को शरिया कानून के लिए तैयार करना है. महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग कोर्स हैं. 

भारत में संगठन की इंट्री-
दावत-ए-इस्लामी संगठन का नेटवर्क भारत में भी फैला है. इसका संस्थापक पाकिस्तान में बैठकर भारत समेत दुनियाभर में इस संगठन को चलाता है. दिल्ली और मुंबई में इस संगठन का हेडक्वार्टर है. साल 1989 में पाकिस्तान से उलेमा का एक प्रतिनिधिमंडल भारत आया था. इसके बाद संगठन धीरे-धीरे भारत में पैर पसारने लगा.

धर्मांतरण के भी लगे आरोप-
दावत-ए-इस्लामी संगठन पर धर्मांतरण के भी आरोप लगते रहे हैं. ये संगठन वेबसाइट पर न्यू मुस्लिम ऑनलाइन कोर्स चलाता है. इसका मकसद नए मुसलमानों को शिक्षाओं से रूबरू कराना है. इस कोर्स के जरिए धर्मांतरण करने वालों को ट्रेनिंग दी जाती है. भारत में भी दावत-ए-इस्लामी पर देश विरोधी प्रचार-प्रसार के आरोप लगते रहे हैं. छत्तीसगढ़ में जमीन को लेकर विवाद में इस संगठन का नाम सामने आया था. इसके खिलाफ सूफी इस्लामिक बोर्ड ने मोर्चा खोल रखा है.

ये भी पढ़ें:

Read more!

RECOMMENDED