भारत जल्द ही अर्जुन मार्क 1 टैंकों (Arjun Mark 1) के लिए स्वदेशी इंजन बनाने की योजना कर रहा है. दरअसल, जर्मन निर्माताओं ने बताया है कि उत्पादन को फिर से शुरू करने में कम से कम चार साल लगेंगे. इसी के चलते भारतीय अधिकारी देरी कम करने और सशस्त्र बलों को टैंकों की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने के लिए वैकल्पिक उपायों पर विचार कर रहे हैं.
स्वदेशी इंजन बनाने की तैयारी में भारत
हालांकि, भारत पहले से ही चल रहे स्वदेशी इंजन को बनाने की दिशा में प्रयास तेज कर रहा है. इस स्वदेशी इंजन प्रोजेक्ट को चार साल से कम समय में पूरा कर लिया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक, अधिकारी चरणबद्ध तरीके पर विचार कर रहे हैं, जिसमें शुरुआत में जर्मन इंजन से लैस सीमित संख्या में टैंकों की आपूर्ति की जाएगी. इसके बाद, स्वदेशी इंजनों में परिवर्तन को सुविधाजनक बनाया जाएगा.
अर्जुन मार्क 1-ए का रणनीतिक महत्व
दरअसल, भारतीय सेना के लिए अर्जुन मार्क 1-ए टैंकों का बड़ा महत्व है. यही वजह है कि भारत ने 7,523 करोड़ रुपये के साथ 2021 में, 118 मेन बैटल टैंक (MBT) अर्जुन मार्क 1-ए के लिए ऑर्डर दिया था. चेन्नई के अवदी में इन टैंकों का उत्पादन किया जाता है, इन्हें आम बोलचाल की भाषा में 'हंटर किलर्स' कहा जाता है. बता दें, ये टैंक 120 मिमी राइफल वाली बंदूक और कंचन कवच से लैस होते हैं.
1980 के दशक में हुई थी इनकी शुरुआत
अर्जुन मेन बैटल टैंक (MBT) की यात्रा 1980 के दशक के आखिर में शुरू हुई थी. जबकि 2004 में इसे मॉडिफाई किया गया. मौजूदा समय में जिस अर्जुन मार्क-1ए का इस्तेमाल होता है वो पुराने सभी मॉडल से ज्यादा एडवांस है.
अर्जुन मार्क-1ए में 72 नए फीचर्स हैं. इसमें 14 प्रमुख फीचर्स हैं और 58 छोटे-छोटे सुधार शामिल हैं. ऑल-टेरेन मोबिलिटी, एडवांस टारगेट क्षमता और दिन-रात सटीक फायरिंग क्षमताएं शामिल हैं. टैंक में एक मजबूत 120 मिमी राइफल वाली बंदूक भी है. यही वजह है कि इसे हंटर-किलर कहा जाता है.
(इनपुट- मनजीत नेगी)