Mayawati: 10 साल की उम्र में भाई की जान बचाने से लेकर सियासत के लिए घर छोड़ने तक... उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के किस्से जानिए

मायावती उत्तर प्रदेश की 4 बार मुख्यमंत्री रही हैं. पहली बार उन्होंने साल 1995 में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. देश में पहली बार किसी सूबे की कमान दलित महिला ने संभाला था. पढ़ाई के दिनों में मायावती IAS बनना चाहती थीं, लेकिन दलित लीडर कांशीराम के विचारों से प्रभावित होकर राजनीति में आईं और मुख्यमंत्री बनीं.

Mayawati
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 3:46 PM IST

उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती 67 साल की हो गई हैं. वो देश की बड़ी दलित लीडर मानी जाती हैं. मायावती 4 बार देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रही हैं. उनका जन्म 15 जनवरी 1956 को गौतमबुद्ध नगर के बादलपुर गांव में हुआ था. मायावती को बचपन से ही पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था. सियासत की दुनिया में मायावती की एंट्री की कहानी भी बेहद दिलचस्प है. जानते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े किस्से...

2 दिन के भाई की बचाई जान
10 साल की उम्र में मायावती ने 2 दिन के भाई की जान बचाई थी. दरअसल जब उनका भाई 2 दिन का था, तो उसको निमोनिया हो गया था. उसको अस्पताल ले जाना था. लेकिन मां की हालत अस्पताल जाने लायक नहीं थी. इतनी छोटी सी उम्र में मायावती ने एक बोतल पानी लिया और बच्चे को उठाकर अस्पताल के लिए चल पड़ीं. घर से अस्पताल 6 किलोमीटर दूर था. रास्ते में जब बच्चा रोता तो उसके मुंह में पानी की कुछ बूंदें डाल देतीं. किसी तरह से 10 साल की लड़की उस बच्चे को लेकर डिस्पेंसरी पहुंची और उसका इलाज कराया.

लकड़बग्घा के पीछे दौड़ पड़ी थीं मायावती
मायावती का एक लकड़बग्घा के पीछे दौड़ने का किस्सा भी फेमस है. एक बार मायावती अपने नाना के घर सिमरौली गई थीं. उस गांव के पास काली नदी बहती थी. एक बार मायावती अपने नाना के साथ नदी के पास खड़ी थीं. इसी दौरान एक लकड़बग्घा वहां से गुजरा. मायावती के नाना उनको उससे दूर ले गए. इसपर मायावती ने अपने नाना से पूछा कि ये क्या है? नाना ने बताया कि ये लकड़बग्घा है और इससे दूर रहना, नहीं तो ये तुमको खा जाएगा. नाना के इतना कहने के बाद मायावती बोलीं- ये मुझे खाएगा, इससे पहले मैं इसे खा जाऊंगी. इसके बाद मायावती उस लकड़बग्घे के पीछे दौड़ने लगीं. इसके बाद नाना ने उनको रोका.

IAS बनना चाहती थीं मायावती
मायावती बचपन से आईएएस बनना चाहती थीं. इसके लिए वो खूब मेहनत करती थीं. साल 1975 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र और अर्थशास्त्र में बीए किया. इसके बाद उन्होंने बीएड किया और स्कूल में पढ़ाने लगीं. मायावती दिन में स्कूल में पढ़ाती थीं और शाम को घर पर यूपीएससी की तैयारी करती थीं. बाद में उन्होंने एलएलबी की डिग्री भी हासिल की.

कांशीराम ने बदल दी जिंदगी
एक दिन मायावती घर पर पढ़ाई कर रही थीं. तभी कांशीराम उनके घर पहुंचे. उन्होंने मायावती से पूछा कि तुम क्या बनना चाहती हो? मायावती बोलीं- मैं आईएएस बनना चाहती हूं, ताकि अपने समाज के लिए कुछ कर सकूं. इसके बाद कांशीराम ने कहा कि मैं तुम्हे उस मुकाम पर ले जाऊंगा, जहां दर्जनों आईएएस तुम्हारे सामने लाइन लगाकर खड़े होंगे. तब सही मायने में तुम अपने समाज की सेवा कर पाओगी. तुम तय कर लो कि तुमको क्या करना है?

सियासत के लिए छोड़ा घर
मायावती कांशीराम के आंदोलन से जुड़ने को तैयार हो गईं. लेकिन मायावती के पिता इसके लिए तैयार नहीं थे. वो नहीं चाहते थे कि उनकी बेटी सियासत में जाए. लेकिन मायावती नहीं मानीं और सियासत के लिए घर छोड़ दिया. उनके पास पैसे तक नहीं थे. इसलिए वो संगठन के ऑफिस में रहने लगीं और सियासत में सक्रिय हो गईं.

गेस्ट हाउस कांड
साल 1993 में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव और बीएसपी प्रमुख कांशीराम ने गठबंधन किया और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने. लेकिन 2 जून 1995 को बीएसपी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद मुलायम सिंह की सरकार अल्पमत में आ गई. इससे नाराज समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता लखनऊ के मीराबाई मार्ग के स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए. इस गेस्ट हाउस के कमरा नंबर वन में मायावती ठहरी हुई थीं.

गेस्ट हाउस में 2 जून 1995 को मायावती अपने विधायकों के साथ बैठक कर रही थीं. तभी दोपहर 3 बजे कुछ लोग गेस्ट हाउस पर हमला बोल दिया. किसी तरह मायावती ने अपने को कमरे में बंद कर लिया था. समाजवादी पार्टी के विधायक और समर्थक दरवाजा तोड़ने में लगे थे. किसी तरह से इस घटना की जानकारी प्रशासन को दी गई. रात में जब पुलिस पहुंची, उसके बाद मायावती कमरे से बाहर निकलीं.

पहली दलित सीएम बनीं मायावती
साल 1995 में गेस्ट हाउस कांड के बाद मुलायम सिंह यादव की सरकार गिर गई. बीजेपी के समर्थन से मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं. ये पहला मौका था, जब देश में किसी सूबे की कमान दलित महिला के हाथ में (3 जून 1995 – 18 अक्टूबर 1995) थी. इसके बाद मायावती 1997 (21 मार्च 1997 – 21 सितंबर 1997), 2002 (3 मई 2002 – 29 अगस्त 2003) और 2007 (13 मई 2007 – 15 मार्च 2012) में उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं.

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