अक्सर ऐसी कहानियां कम सुनने को मिलती हैं या फिर हमें लगता है कि ऐसा सिर्फ फिल्मों में हो सकता है लेकिन पश्चिम बंगाल के रहने दीपक मंडल की जिंदगी में ये किसी सुखद अनुभव से कम नहीं है. पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिला के हरपुर गांव के लखिकान्ता मंडल 20 साल बाद कुरुक्षेत्र के ऐतिहासिक कालेश्वर महादेव मंदिर में अपने बेटे से मिला तो ऐसा हुआ जो फिल्मों में तो देखने को मिलता है. लेकिन सच्चाई में कम दिखता है.
मंदिर में कर रहे थे सेवा
कभी अपने पिता की उंगली पकड़कर चलना सीखने वाले दीपक मंडल आज बड़े हो गए हैं और अपने बूढ़े बाप की उंगली पकड़कर उन्हें वापस घर ले जाना चाहते हैं. यह कोई फिल्मी स्टोरी नहीं बल्कि सच्चाई है जो कुरुक्षेत्र में घटी है. यहां 20 साल पहले एक पिता (लखिकांत मंडल) अपना घर छोड़कर चले गए थे. 20 साल पहले लखिकांत पश्चिमी बंगाल से कुरुक्षेत्र आ गए थे और भगवान शिव के मंदिर में सेवा करने लगे. इस बीच किसी काम से उनका बेटा कुरुक्षेत्र पहुंचा तो उसने देखा कि उसके पिता शिव मंदिर में सेवा कर रहे हैं. बाप ने अपने बेटे को नहीं पहचाना लेकिन दीपक ने अपने पिता को पहचान लिया. यह एक ऐसा संयोग हुआ जो कम सुनने को मिलता है. पिता को देखते ही दीपक ने उन्हें गले ला लिया और भावुक हो गए.
20 साल पहले छोड़ दिया था घर
इसके बाद उन्होंने पिता को बताया कि वो उनका बेटा है जिसे वो 20 साल पहले अकेला छोड़कर आ गए थे. दीपक के मुंह से ये बातें सुनकर लखिकांत भी भावुक हो गए और बेटे को प्यार से गले लगा लिया. इसके बाद दीपक पिता को लेकर वापस पश्चिम बंगाल आ गए, जहां उनका स्वागत किया गया.
(कुरुक्षेत्र से चन्द्र प्रकाश की रिपोर्ट)