फिर एक्शन में 'कैनाल मैन' लौंगी भुइयां, 5 गांवों में पानी पहुंचाने के लिए खोदेंगे एक और नहर, 30 साल तक अकेले किया था ये काम

लौंगी भुइयां ने 30 सालों तक अकेले अपने गांव में तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदी ताकि 5 गांवों में पानी पहुंच सके और इस क्षेत्र की गरीबी दूर हो सके. 

लौंगी भुइयां
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 14 दिसंबर 2021,
  • अपडेटेड 10:01 PM IST
  • 30 साल तक अकेले बनाई थी नहर.
  • लौंगी भुइयां गया में 'कैनाल मैन' के नाम से मशहूर हैं.   

गया के 5 गांवों में आस-पास की पहाड़ियों पर बारिश के पानी को ले जाने के लिए तीन किलोमीटर लंबी नहर बनाने वाले लौंगी भुइयां एक बार फिर चर्चा में हैं. जी हां, बिहार के लौंगी भुइयां एक और नहर खोद रहे हैं. लौंगी भुइयां गया में 'कैनाल मैन' के नाम से मशहूर हैं. 
 
इस बारे में बात करते हुए लौंगी भुइयां ने बताया, ''मैं अभी जो दूसरी नहर खोद रहा हूं, उससे आसपास के 5 गांवों के खेतों में पानी पहुंचेगा, खेती हो सकेगी, जिससे इस क्षेत्र की गरीबी दूर होगी. दूसरी नहर में मछली पालन भी किया जा सकता है.'' लौंगी भुइयां ने 30 सालों तक अकेले अपने गांव में तीन किलोमीटर लंबी नहर खोदी ताकि 5 गांवों में पानी पहुंच सके और इस क्षेत्र की गरीबी दूर हो सके. 

आनंद महिंद्रा ने दिया था ट्रैक्टर 

लौंगी भुइयां के इस कारनामे ने गया के इमामगंज और बांकेबाजार प्रखंड की सीमा पर स्थित उनके पैतृक गांव कोथिलवा के लोगों को गर्व से भर दिया है. उनके इस अविश्वसनीय काम के बाद, लौंगी भुइयां को दूसरा 'दशरथ मांझी' कहा जा रहा है. लौंगी भुइयां का यह काम इसी साल अगस्त में पूरा हुआ है. करीब 30 साल की कड़ी मेहनत के बाद पहाड़ी से गांव तक पानी पहुंचाने के लिए 5 किलोमीटर लंबी नहर तैयार करने वाले लौंगी भुइयां को महिंद्रा ग्रुप के प्रमुख आनंद महिंद्रा ने एक ट्रैक्टर गिफ्ट किया था. दरअसल लौंगी भुइयां ने अपने काम की सफलता के बाद मीडिया से बातचीत में कहा था, 'मुझे पहले भी कुछ नहीं चाहिए था, अब भी नहीं चाहिए. इस काम के लिए अवार्ड नहीं चाहिए, एक ट्रैक्टर मिल जाए तो ठीक ताकि हम खेती कर सकें.'

लौंगी भुइयां

30 साल तक अकेले बनाई थी नहर 

दरसअल, उनके इलाके में पानी के अभाव की वजह से लोग केवल मक्का और चना की खेती किया करते थे. ऐसे में लौंगी भुइयां को ख्याल आया कि अगर गांव तक पानी आ जाए तो लोग खेतों में सभी तरह के फसल उगाने लगेंगे. जिसके बाद उन्होंने पूरा जंगल घूम कर बंगेठा पहाड़ से वर्षा का जल अपने गांव तक लाने के लिए एक नक्शा तैयार किया. नक्शे के अनुसार जब भी उन्हें समय मिलता वह नहर बनाने लगते. 

आखिरकार 30 साल बाद उनकी मेहनत रंग लाई और 5 किलोमीटर लंबी, 5 फीट चौड़ी और तीन फीट गहरी नहर पूरी तरह तैयार हो गई. इस नहर के जरिए बारिश के पानी को गांव में बने तालाब में स्टोर किया जाता है, जहां से लोग इस पानी का सिंचाई के लिए  इस्तेमाल करते हैं. तीन गांव के 3000 हजार लोग इससे लाभान्वित हो रहे हैं.  

 

 

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