Indian Army: लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी बनेंगे अगले सेना प्रमुख, जानें क्या हैं उनकी उपलब्धियां?

रक्षा मंत्रालय ने अगले थलसेना प्रमुख के नाम की घोषणा कर दी है. भारतीय सेना में द्विवेदी को करीब 40 वर्ष कार्य करने का अनुभव है. वह 30 जून से संभालेंगे अपना नया पदभार.

Lieutenant General Upendra Dwivedi
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 12 जून 2024,
  • अपडेटेड 1:11 PM IST
  • लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी बनेंगे अगले सेना प्रमुख
  • वर्तमान में संभाल रहे हैं उप प्रमुख का पद
  • 40 साल का अनुभव है सेना में कार्य करने का

लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी अगले थलसेना के प्रमुख होंगे. वर्तमन में वह थलसेना के उप प्रमुख हैं. इस समय थलसेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे हैं. वह 30 जून को रिटायर होने जा रहे हैं. जिसके बाद उनकी जगह उपेंद्र द्विवेदी लेंगे. रक्षा मंत्रालय ने अपने एक बयान में कहा है कि थलसेना के उप प्रमुख के रूप में कार्यरत लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी को अगला थलसेना प्रमुख नियुक्त किया जाएगा. 30 जून को वह आर्मी चीफ के रूप में कमान संभालेंगे.

क्या है लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र का बैकग्राउंड?
उपेंद्र द्विवेदी का जन्म 1 जुलाई 1964 में हुआ था. उन्होंने अपनी पढ़ाई रीवा के सैनिक स्कूल से पूरी की है.  द्विवेदी नेशनल डिफेंस कॉलेज और यूएस आर्मी वॉर कॉलेस के एलुमनाई रहे हैं. उनके पास एक मास्टर इन फिलोस्फी और दो मास्टर की डिग्रियां हैं. उनकी पढ़ाई मुख्य रूप से सेना से जुड़े विषयों में हुई है.

कई रेजिमेंट में दे चुके हैं अपनी सेवा
लेफ्टिनेंट द्विवेदी कई रेजिमेंट में काम कर चुके हैं. इनमें 18 जम्मू और कश्मीर राइफल्स, 26 सेक्टर असम राइफल्स, इंस्पेक्टर जनरल असल राइफल्स (पूर्व) और 9 कॉर्प्स शामिल हैं. उन्हें कई रेजिमेंट में काम करने का अनुभव रहा है. 

क्या खूबी है लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी की?-
-लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी परम विशिष्ट सेवा मेडल और अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित हैं. 
-चीन के साथ सीमा विवाद को लेकर भी वार्तालाप में द्विवेदी अहम भूमिका में रहे हैं. 
-साथ ही वह पाकिस्तान की सीमा पर भी कार्य करने का अच्छा अनुभव रखते हैं
-कश्मीर घाटी और राजस्थान की सीमा पर दे चुकें हैं सेवा.
-विदेश में भी की है सेना से जुड़ी पढ़ाई.
-भारतीय थल सेना को मॉडर्न बनाने में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं. 
-आत्मनिर्भर भारत के तहत भारत में बने हथियारों को थलसेना में सैनिकों को चलाना सिखाया. 
-भारत के लिए वह करीब 40 वर्ष सेवा कर चुके हैं.
-जम्मू और कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ने के लिए रणनीति बनाने में उनका अहम योगदान है.

 

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