Lok sabha Seating Arrangement: संसद में कैसे तय होती है सांसदों के बैठने की सीट, जानें क्या है नियम

Lok Sabha Session 2024: संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों को एक नियम के तहत बैठने की सीट दी जाती है. लोकसभा में स्पीकर इसका फैसला करते हैं. सदन में फ्रंट रोक की सीटें ज्यादा सीटें जीतने वाली पार्टयों को दी जाती हैं. किसी भी पार्टी के वरिष्ठ लीडर को स्पीकर आगे की पंक्ति में जगह दे सकते हैं.

Lok Sabha (Photo/PTI)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 27 जून 2024,
  • अपडेटेड 2:49 PM IST

18वीं लोकसभा का पहला सत्र चल रहा है. स्पीकर का चुनाव हो गया है. इस दौरान लोकसभा में एक तरफ सत्ता पक्ष और दूसरी तरफ विपक्ष के लीडर बैठे नजर आए. विपक्ष में राहुल गांधी, अखिलेश यादव के साथ अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद भी पहली पंक्ति में बैठे नजर आए. अब सवाल उठता है कि संसद सत्र के दौरान क्या कोई भी सांसद कहीं बैठ सकता है या सबकी बैठने की सीट तय होती है. अगर हर किसी की बैठने की सीट तय होती है तो इसके तय करने का क्या प्रोसेस है. चलिए आपको सबकुछ बताते हैं.

कोई भी सांसद कहीं भी बैठ सकता है?
संसद में कोई सांसद कहां बैठेगा? ये नियम के मुताबिक तय होता है. कोई भी सांसद सदन में किसी भी सीट पर नहीं बैठ सकता है. सांसदों के बैठने की पूरी नियमावली होती है. उसी के मुताबिक सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसदों को सदन में बैठना होता है. 

कैसे तय होती है सांसदों के बैठने की सीट-
संसद में किसी भी सांसद के बैठने की सीट उसकी पार्टी की संख्या के आधार पर तय होती है. लोकसभा में आमतौर पर स्पीकर के आसन के दाहिने तरफ सत्ता पक्ष और बाएं तरफ विपक्षी सांसद बैठत हैं. स्पीकर के सामने एक टेबल पर लोकसभा सचिवालय के अफसर बैठते हैं, जो सदन की कार्यवाही का लेखा-जोखा रखते हैं.

किस नियम के तहत बैठने की मिलती है जगह-
लोकसभा में प्रक्रिया और संचालन के नियम 4 के मुताबिक लोकसभा स्पीकर सांसदों के बैठने की सीट तय करते हैं. इसके लिए जरूरी निर्देश क्लॉज 122(ए) में दिए गए हैं. इस निर्देश के मुताबिक ही स्पीकर सांसदों के बैठने की जगह तय करते हैं. आमतौर पर किसी भी पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों को बैठने की आगे ही जगह दी जाती है.

कौन सांसद कहां बैठता है-
सांसदों के बैठने के लिए सदन में कई ब्लॉक होते हैं. पार्टी के सदस्यों की संख्या के आधार पर उनके ब्लॉक तय होते हैं. अगर किसी पार्टी के पास 5 से ज्यादा सांसद हैं और किसी के 5 से कम तो दोनों के लिए अलग-अलग व्यवस्था होती है. इसी तरह निर्दलीय सांसदों को भी जगह दी जाती है.
स्पीकर के दाईं तरफ सरकार के समर्थक सांसद बैठते हैं, जबकि बाईं तरफ विपक्ष के सांसद बैठते हैं. इसके साथ ही बाईं तरफ एक सीट डिप्टी स्पीकर के लिए होती है और उस सीट के पास विपक्ष के फ्लोर लीडर बैठते हैं. इस बार सदन में दाईं तरफ एनडीए के सांसद और दाईं तरफ इंडिया गठबंधन के सांसद बैठे हैं.

इसके ऊपर के ब्लॉक्स में कम सांसदों वाली पार्टियों को जगह दी जाती है. जिस पार्टी के ज्यादा सांसद होते हैं, उसको फ्रंट रो उतनी ही ज्यादा सीटें मिलती हैं.

नए संसद भवन में कितनी सांसदों के बैठने की जगह-
नए संसद भवन के लोकसभा में 888 सांसदों के बैठने की जगह है. जबकि राज्यसभा में 384 सांसदों के बैठने की जगह है. हालांकि अभी सदन में सदस्यों की संख्या काफी कम है. लोकसभा में 543 सांसद और राज्यसभा में 250 सांसद हैं. मौजूदा सीटों की संख्या 2026 तक रहेगी. उसके बाद सीटों में बढ़ोतरी की संभावना है. लोकसभा में एक मोर विषयवस्तु को अपनाया गया है, जिसमें दीवारों और छत पर राष्ट्रीय पक्षी के पंखों के समान नक्काशीदार डिजाइन तैयार किए गए हैं.

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