Lothal Heritage Complex: सबसे ऊंचे लाइटहाउस से लेकर थीम पार्क तक... दुनिया की सबसे पुरानी बंदरगाह पर दिखाई जाएगी विरासत, जानिए क्यों खास है यह प्रोजेक्ट

गुजराती में लोथल (लोथ और थाल का संयोजन) का अर्थ है “मृतकों का टीला.” लोथल शहर दरअसल सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा था. लोथल प्राचीन काल में एक संपन्न व्यापार केंद्र हुआ करता था. लेकिन अब भारत सरकार इसे टूरिज्म हब बनाने जा रही है.

लोथल (Photo/Wikimedia)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 26 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 1:37 PM IST

गुजरात के अहमदाबाद में मौजूद लोथल बंदरगाह पर राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) लगभग तैयार ही हो चुका है. अक्टूबर में कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद यह प्रोजेक्ट लोथल में टूरिज्म के लिए बड़ा बोनस साबित होने की संभावना है. आइए जानते हैं क्या है यह प्रोजेक्ट और भारत के इतिहास में क्यों अहम है लोथल बंदरगाह. 

लोथल कहां है?
लोथल सिंधु घाटी सभ्यता का हिस्सा था. उसके सबसे दक्षिणी स्थलों में से एक था. यह मौजूदा समय में गुजरात के भाल क्षेत्र में स्थित है. माना जाता है कि इस बंदरगाह शहर का निर्माण 2,200 ईसा पूर्व में हुआ था. लोथल प्राचीन काल में एक संपन्न व्यापार केंद्र हुआ करता था. यहां मोतियों, रत्नों और आभूषणों का व्यापार पश्चिम एशिया और अफ्रीका तक पहुंचता था. गुजराती में लोथल (लोथ और थाल का संयोजन) का अर्थ है “मृतकों का टीला.” 

भारतीय पुरातत्वविदों ने गुजरात के सौराष्ट्र में 1947 के बाद हड़प्पा सभ्यता के शहरों की खोज शुरू की. पुरातत्वविद् एसआर राव की लीडरशिप में एक टीम ने कई हड़प्पा स्थलों की खोज की. इन शहरों में लोथल भी शामिल था. लोथल में फरवरी 1955 से मई 1960 के बीच खुदाई का काम किया गया था.

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की खुदाई के अनुसार, लोथल में दुनिया की सबसे पुरानी बंदरगाह मौजूद थी. यह बंदरगाह शहर को साबरमती नदी के एक प्राचीन मार्ग से जोड़ती थी. इसके अलावा गोवा में राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान ने जब इस जगह की छानबीन की तो उन्हें यहां समुद्री सूक्ष्म जीवाश्म, नमक और जिप्सम क्रिस्टल मिले. इससे संकेत मिलता है कि एक समय इस जगह पर समंदर का पानी भरा हुआ था. और एक डॉकयार्ड भी था.

बाद में की गई खुदाई में एएसआई ने एक टीले, एक बस्ती, एक बाज़ार और डॉक का पता लगाया. खुदाई वाले इलाकों के बगल में पुरातात्विक स्थल संग्रहालय है. यहां भारत में सिंधु-युग की प्राचीन वस्तुओं के कुछ सबसे प्रमुख संग्रह प्रदर्शित किए गए हैं. 

भारतीय विरासत क्यों है लोथल?
लोथल को अप्रैल 2014 में यूनेस्को विश्व विरासत स्थल के लिए नॉमिनेट किया गया था. हालांकि वह आवेदन यूनेस्को की अस्थायी सूची में अब भी मौजूद है. यूनेस्को को भेजे गए नामांकन डोजियर के अनुसार, "लोथल का उत्खनन स्थल सिंधु घाटी सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह शहर है. एक ऊपरी और एक निचले शहर वाले महानगर के उत्तरी भाग में एक ऊर्ध्वाधर दीवार, इनलेट और आउटलेट चैनल वाला बेसिन था. इसे ज्वारीय बंदरगाह के तौर पर पहचाना गया है." 

डोजियर में कहा गया, "सैटलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि नदी का चैनल भले ही अब सूख चुका है लेकिन अपने ऊफान पर इस जगह इतना पानी रहा होगा कि नावों को ऊपर की ओर ले जाने में आसानी रहती होगी. पत्थर के लंगर, समुद्री गोले, सीलन के निशान और गोदाम के रूप में पहचाने गए ढांचे से बंदरगाह के कामकाज को समझने में और मदद मिलती है.” 

आसान शब्दों में कहें तो लोथल भारतीय इतिहास के लिए उतना ही अहम है, जितना दुनिया भर के दूसरे बंदरगाह शहर. डोजियर में इटली में ज़ेल हा (पेरू), ओस्टिया (रोम का बंदरगाह) और कार्थेज (ट्यूनिस का बंदरगाह), चीन में हेपु, मिस्र में कैनोपस, गैबेल (फोनीशियन के बाइब्लोस), मेसोपोटामिया में उर और वियतनाम में होई एन की मिसाल दी गई थी. 

क्या है लोथल प्रोजेक्ट?
यह प्रोजेक्ट मार्च 2022 में शुरू हुआ था और इसे 3,500 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है. इसमें कई नई विशेषताएं होंगी. जैसे वर्चुअल रिएलिटी के जरिए लोथल में हड़प्पा वास्तुकला और लाइफस्टाइल को दिखाने की कोशिश की जाएगी. इसके अलावा चार थीम पार्क होंगे - मेमोरियल थीम पार्क, समुद्री और नौसेना थीम पार्क, जलवायु थीम पार्क और एडवेंचर थीम पार्क. 

इसमें दुनिया का सबसे ऊंचा लाइटहाउस म्यूजियम, हड़प्पा काल से लेकर आज तक की भारत की समुद्री विरासत को दिखाने वाली 14 गैलरी और भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अलग-अलग समुद्री विरासत को दिखाने वाला एक पवेलियन भी होगा. परियोजना दो चरणों में पूरी की जाएगी. परियोजना का चरण 1ए 2025 तक पूरा होने की योजना है. 

Read more!

RECOMMENDED