Maharana Pratap Jayanti 2022: 7.5 फीट लंबे थे महाराणा प्रताप, साथ में लेकर चलते थे 80 किलो का भाला, जानें उनसे जुड़ी रोचक बातें

Maharana Pratap birth anniversary: आज पूरे भारत में महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जा रही है. उन्हें वीरता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है.

Maharana Pratap Singh Jayanti 2022 (Photo: Wikipedia)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 मई 2022,
  • अपडेटेड 11:51 AM IST
  • 09 मई 1540 को जन्मे थे महाराणा प्रताप
  • मेवाड़ के कुंभलगढ़ में सिसोदिया वंश में हुआ था जन्म

महाराणा प्रताप भारत के सबसे बहादुर राजपूत शासकों में से एक थे. जिन्होंने लगभग 35 वर्षों तक राजस्थान के मेवाड़ पर शासन किया. हल्दीघाटी और देवर की लड़ाई में अपनी अहम भूमिका के लिए जाने जाने वाले, महाराणा प्रताप भारत के उन राजाओं में से एक थे जो मुगल साम्राज्य के खिलाफ खड़े हुए. 

09 मई 1540 को प्रताप का जन्म मेवाड़ के कुंभलगढ़ में सिसोदिया वंश में हुआ था. उनके पिता का नाम उदय सिंह द्वितीय और माता का नाम महारानी जयवंता बाई था. महाराणा प्रताप का नाम भारत माता के सच्चे सपूत के रूप में लिया जाता है जिन्होंने कभी घास से बनी रोटी खाने का विकल्प चुना लेकिन कभी भी दुश्मन के आगे घुटने नहीं टेके. अपनी मातृभूमि के लिए आखिरी सांस तक बहादुरी से लड़ते रहे. 

आज Maharana Pratap Jayanti 2022 के मौके पर जानिए उनसे संबंधित कुछ दिलचस्प बातें. 

1. इतिहासकारों के अनुसार, महान राजपूत शासक प्रताप सिंह की लंबाई सात फीट और पांच इंच थी जबकि उनका वजन लगभग 110 किलोग्राम था. 

2. बताया जाता है कि महाराणा प्रताप 104 किलोग्राम वजन वाली दो तलवारें उठाकर चल सकते थे. कहा जाता है कि उनके कवच का वजन करीब 72 किलोग्राम था जबकि वह 80 किलोग्राम का भाला लेकर चलते थे.

3. ज्यादातर राजपूत शासकों ने मुगलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था और अकबर के साथ संधि कर ली थी. पर महाराणा प्रताप पश्चिमी भारत में एकमात्र राजा थे जो उनके खिलाफ खड़े रहे. अपनी आखिरी सांस तक वह मुगलों के खिलाफ लड़े. 

4. अपने साहस के लिए जाने जाने वाले, महाराणा प्रताप को भारत का पहला "मूल स्वतंत्रता सेनानी" कहा जाता है क्योंकि वह मुगलों के खिलाफ खड़े हुए और अकबर की सेनाओं से बहादुरी से लड़े.

5. महाराणा प्रताप भले ही हल्दीघाटी की लड़ाई हार गए पर इस बहादुर राजपूत शासक ने आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया था. कहा जाता है कि महाराणा प्रताप को बंदी बनाना अकबर का सपना था लेकिन वह अपने जीवनकाल में ऐसा करने में सफल नहीं हो सके. गोगुन्दा और बूंदी सहित सभी राजपूत राजवंशों ने अकबर के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, इसके बाद भी प्रताप ने कभी भी अकबर के सामने सिर नहीं झुकाया. 

6. चित्तौड़ को मुक्त कराना महाराणा प्रताप का सपना था और इसलिए उन्होंने प्रतिज्ञा की कि जब तक वह चित्तौड़ को वापस नहीं जीत लेते तब तक पत्तल पर खाएंगे और जमीन पर सोएंगे. आज भी कुछ राजपूत महान महाराणा प्रताप के सम्मान में अपनी थाली के नीचे एक पत्ता और अपने बिस्तर के नीचे पुआल रखते हैं. 

7. महाराणा प्रताप का अपने वफादार घोड़े चेतक के साथ अनोखा रिश्ता था. हल्दीघाटी की लड़ाई के दौरान चेतक ने महाराणा प्रताप की घातक चोटों के बावजूद उनकी जान बचाई थी. बाद में, कई हिंदी लेखकों और कवियों ने उनकी बहादुरी का वर्णन करते हुए चेतक के बारे में लिखा. 

8. महाराणा प्रताप ने अपने जीवनकाल में बहुत से युद्ध लड़े और जब उनकी मृत्यु हुई तो इस खबर ने अकबर को भी रुला दिया. 

 

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