Maharashtra के CM बने रहेंगे Eknath Shinde, 16 विधायकों की अयोग्यता मामले में उद्धव गुट की याचिका को स्पीकर ने किया खारिज, जानें क्या बोले?

चुनाव आयोग पहले ही शिंदे गुट को असली शिवसेना के तौर पर चुनाव चिह्न तीर-कमान सौंप चुका है. अब ठाकरे गुट को स्पीकर से भी निराशा हाथ लगी है, जिसके चलते उनकी पार्टी के टूटने की आशंका है.

Rahul Narwekar, Uddhav Thackeray and Eknath Shinde (file photo)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 10 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 11:40 PM IST
  • विधानसभा अध्यक्ष बोले- शिंदे गुट ही है असली शिवसेना 
  • उद्धव गुट को निराशा लगी हाथ

महाराष्‍ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे को बुधवार को तगड़ा झटका लगा. विधानसभा स्‍पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि एकनाथ शिंदे गुट ही असली शिवसेना है. शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे. नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे गुट की ओर से दायर की गई विधायकों की अयोग्यता वाली याचिका को खारिज कर दिया. उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले पर भी सहमति जताई और उसे सही माना. आइए जानते हैं स्‍पीकर ने क्या कहा और क्या है पूरा मामला? 

शिंदे को हटाने का अधिकार उद्धव के पास नहीं
विधानसभा स्‍पीकर राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिवसेना के 1999 के संविधान के अनुसार, उद्धव ठाकरे के पास एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटाने की कोई शक्ति नहीं है. स्पीकर ने इस पर चुनाव आयोग के फैसले पर भी सहमति जताई. स्पीकर ने कहा कि पूरा मसला यह है कि असली शिवसेना कौन है? उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट दोनों ही इसे लेकर दावा करते हैं और पार्टी के संशोधित संविधान को मानते हैं. लेकिन यह संविधान संशोधन चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में ही नहीं है. राहुल नार्वेकर ने कहा कि शिंदे को हटाने का फैसला राष्ट्रीय कार्यकारिणी का होना चाहिए था. राष्ट्रीय कार्यकारिणी पर उद्धव गुट का रुख साफ नहीं है. 

चुनाव आयोग के पास है 1999 का संविधान 
महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने एकनाथ शिंदे के दल के 16 विधायकों की अयोग्यता वाली याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चुनाव आयोग के पास 1999 का संविधान है और उसके आधार पर ही फैसला लिया गया है. उन्होंने कहा कि खुद चुनाव आयोग भी विधायकों की संख्या और संविधान के आधार पर शिंदे गुट को ही शिवसेना का असली अधिकारी मान चुका है. उन्होंने कहा कि आयोग के फैसले को मैंने अपने निर्णय में ध्यान रखा है. राहुल नार्वेकर ने फैसले को पढ़ते हुए आगे कहा कि जब मैनें शिवसेना पर दोनों गुटों के दावे के संबंध में पड़ताल की तो पता चला कि शिवसेना संगठन में 2013 और 2018 में कोई चुनाव नहीं हुए. इसके अलावा, 2018 का संशोधित संविधान चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में नहीं है. इस वजह से हमने शिवसेना के 1999 के संविधान को ही मान्य किया है.  

सुप्रीम कोर्ट जाने का बचा है रास्ता
चुनाव आयोग पहले ही शिंदे गुट को असली शिवसेना के तौर पर चुनाव चिह्न 'तीर-कमान' सौंप चुका है. अब विधानसभा स्पीकर से निराशा हाथ लगने के बाद उद्धव ठाकरे के पास अब सिर्फ सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता बचा है. उद्धव ठाकरे ने खुद ही पहले ऐलान कर दिया था कि स्पीकर का फैसला पक्ष में नहीं आता है तो वो सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे और विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय को चुनौती देंगे. स्पीकर का फैसला आने के बाद उद्धव गुट के नेता संजय राउत ने कहा, 'ये मैच फिक्सिंग है, आज का फैसला साजिश है, हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे.'

उद्धव ठाकरे के सामने बड़ी चुनौती
उद्धव ठाकरे गुट को स्पीकर से निराशा हाथ लगने के बाद पार्टी के टूटने की आशंका है. कारण, स्पीकर के फैसले के बाद कुछ विधायक उद्धव का साथ छोड़ सकते हैं. इतना ही नहीं, उद्धव ठाकरे के सामने आने वाले चुनाव में संगठन के सामने खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती खड़ी हो जाएगी.

शिंदे की स्थिति होगी और मजबूत 
विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले से सीएम के रूप में शिंदे की स्थिति मजबूत होगी. वह लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के साथ सीटों के बंटवारे के लिए भी अच्छी स्थिति में होंगे. उधर, भाजपा की बात करें तो उसकी फिलहाल नजर लोकसभा चुनाव 2024 पर है. देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने रहेंगे.

शिवसेना से शिंदे ने कर दी थी बगावत
एकनाथ शिंदे और उनके गुट के 39 विधायकों ने 20 जून 2022 को शिवसेना से बगावत कर दी थी और बीजेपी के साथ गठबंधन करके सरकार बना ली थी. शिंदे को सीएम बनाया गया था. उद्धव पक्ष ने दल-बदल कानून के तहत पहले स्पीकर को नोटिस दिया था. फिर यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और दोनों गुटों ने एक-दूसरे के विधायकों को अयोग्य ठहराने की मांग करते हुए याचिकाएं दायर की. इस बीच असली शिवसेना को लेकर भी दोनों गुटों में विवाद हुआ. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि शिंदे और 15 अन्य विधायकों को तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत करने के लिए अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता है. यह अधिकार विधानसभा अध्यक्ष के पास तब तक रहेगा, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच इस पर फैसला नहीं सुना देती.

सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष को दिया था आदेश
13 अक्टूबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष नार्वेकर को 2024 महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय करने का आदेश दिया था. इसी आदेश का पालन करते हुए नार्वेकर ने बुधवार को फैसला दिया कि बगावत करने वाले 16 विधायक अपने पद पर बने रहने के लिए योग्य हैं. 


 

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