पिछले कुछ समय से पत्नी को मिलने वाले गुजारा भत्ता को लेकर लगातार बहस मुबाहिसा चल रही है. अब इसी कड़ी में केरल हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. जिसमें कहा गया कि अगर कोई पत्नी टेम्पररी रूप से कहीं काम कर रही है और उसकी इनकम पर्याप्त नहीं है, तो वह दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 125 के तहत भरण-पोषण (maintenance) पाने की हकदार होगी. यह फैसला जस्टिस काउसार एडप्पागथ ने दिया है. इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए साफ किया कि केवल नौकरी करने मात्र से पत्नी का भरण-पोषण का अधिकार खत्म नहीं होता.
क्या कहा कोर्ट ने?
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर पत्नी अपनी आमदनी से अपने पहले के जीवन स्तर (standard of living) को बनाए रखने में असमर्थ है, तो उसे अपने पति से भरण-पोषण लेने का अधिकार होगा. जस्टिस एडप्पागथ ने कहा, "अगर पत्नी कमाने में सक्षम है या कुछ कमा रही है, तब भी यह उसे भरण-पोषण के अधिकार से वंचित नहीं करता. असल सवाल यह है कि क्या पत्नी खुद को उसी स्टैंडर्ड पर बनाए रख सकती है, जिस पर वह पति के साथ रहते हुए रह रही थी. पत्नी को उसी स्तर का जीवन जीने का हक है, जैसा वह पति के साथ रहकर जी रही थी."
केस का बैकग्राउंड क्या है?
इस मामले में, पत्नी और उसकी बड़ी बेटी ने फैमिली कोर्ट में भरण-पोषण के लिए याचिका दायर की थी. उन्होंने पति से हर महीने 45,000 रुपये की मांग की थी. पति मर्चेंट नेवी में काम करता था और पत्नी ने दावा किया कि उनकी कोई परमानेंट इनकम नहीं है.
लेकिन पति ने इसका विरोध करते हुए कहा कि पत्नी मस्याफेड (Matsyafed) नामक संस्था में काम कर रही है और बेटी अब बालिग हो चुकी है, इसलिए वह भरण-पोषण की हकदार नहीं है.
फैमिली कोर्ट का फैसला
फैमिली कोर्ट ने पत्नी और बेटी की मांग खारिज कर दी थी. कोर्ट ने कहा कि:
हाईकोर्ट में चुनौती
पत्नी ने इस फैसले को केरल हाईकोर्ट में चुनौती दी. हाईकोर्ट ने पति का फाइनेंशियल स्टेटस देखते हुए पाया कि पति एक पूर्व मर्चेंट नेवी कैप्टन था और कभी ₹9 लाख प्रति माह कमाता था. पत्नी की नौकरी टेम्पररी थी, इसलिए यह स्थायी आजीविका नहीं मानी जा सकती. इसके अलावा, पत्नी किराए के मकान में रह रही थी और बेटी पर भी उसकी आर्थिक जिम्मेदारी थी.
पत्नी है गुजारा भत्ता की हकदार
कोर्ट ने कहा कि अगर पत्नी किसी टेम्पररी नौकरी में है और उसकी इनकम पर्याप्त नहीं है, तो वह अपने पति से भरण-पोषण पाने की हकदार होगी. अगर पति कमाने में सक्षम है, तो वह भरण-पोषण से बच नहीं सकता. कोर्ट ने कहा कि "अगर पति स्वस्थ और कमाने में सक्षम है, तो वह अपनी पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण करने के लिए बाध्य है. वह सिर्फ यह कहकर अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकता कि वह वर्तमान में काम नहीं कर रहा."
इतना ही नहीं, कोर्ट ने पति के उस दावे को भी खारिज कर दिया, जिसमें उसने कहा था कि वह अब केवल पेंशन पर निर्भर है.
बेटी को भरण-पोषण नहीं मिला
आपको बता दें, CrPC की धारा 125 के तहत, पिता को केवल नाबालिग या विकलांग बच्चों का भरण-पोषण देना जरूरी होता है. हिंदू दत्तक और भरण-पोषण अधिनियम (HAMA) की धारा 20(3) के तहत, पिता को अपनी अविवाहित बेटी का भी भरण-पोषण करना होता है. लेकिन चूंकि बेटी ने विशेष रूप से HAMA के तहत दावा नहीं किया था, इसलिए उसे फिलहाल कोई राहत नहीं मिली है.
साथ ही, हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए मामले को दोबारा सुनवाई के लिए वापस भेज दिया है.
किन्हें भरण-पोषण नहीं मिलेगा?
कोर्ट के अनुसार, निम्नलिखित स्थितियों में पत्नी को भरण-पोषण का हक नहीं होगा:
पति की जिम्मेदारी से बचने के लिए कौन से तर्क अस्वीकार्य हैं?
पति कोर्ट यह कहकर नहीं बच सकता है कि वह काम नहीं कर रहा है या पत्नी पैसे कमाती है, इसलिए मैं उसे कुछ नहीं दूंगा. ये तर्क कोर्ट में स्वीकार नहीं किए जाएंगे. अगर पति स्वस्थ और कमाने में सक्षम है, तो उसे भरण-पोषण देना ही होगा.
अगर कोई पत्नी टेम्पररी रूप से कहीं काम कर रही है लेकिन उसकी इनकम पर्याप्त नहीं है, तो उसे अपने पति से भरण-पोषण लेने का अधिकार होगा. पति सिर्फ यह कहकर अपने कर्तव्य से नहीं बच सकता कि वह फिलहाल काम नहीं कर रहा.