एक ऐसी मस्जिद जहां सिर्फ महिलाएं अदा करती हैं नमाज

यह एक ऐसी मस्जिद है जहां पर सिर्फ महिलाएं आकर नमाज अदा करती हैं. अमरोहा की ये जनानी मस्जिद नए भारत का बेहतरीन उदाहरण है.  

मस्जिद जहां सिर्फ महिलाएं अदा करती हैं नमाज
तेजश्री पुरंदरे
  • अमरोहा ,
  • 07 फरवरी 2022,
  • अपडेटेड 3:19 PM IST
  • एक ऐसी मस्जिद है जहां पर सिर्फ महिलाएं आकर नमाज अदा करती हैं.
  • इस मस्जिद का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है.

गाहे- बगाहे मस्जिदों में मुसलमान महिलाओं के आने-जाने और नमाज पढ़ने का मुद्दा उठ ही जाता है. यह मसला ऐसी तस्वीर बनाता है, जिससे लगता है कि इस्लाम की मूल भावना ही महिलाओं के मस्जिद में आने-जाने के खिलाफ है. लेकिन अमरोहा में एक ऐसी मस्जिद है जहां सिर्फ महिलाएं नमाज अदा करती हैं और हिंदू-मुसलमान के भाईचारे की दुआएं मांगती हैं. मस्जिद में मुस्लिम महिलाओं की नमाज अदा करने की रिवायत अमरोहा में अभी भी बदस्तूर जारी है. 

आज भी भारत के छोटे-छोटे कस्बों और शहरों में पुरुष प्रधान समाज के कारण अपने अधिकारों से वंचित रखा जाता है और वे आज भी समान अधिकार के लिए जद्दोजहद करती हैं. ऐसे में उत्तर प्रदेश के अमरोहा में शहतपोता  में स्थित जनानी मस्जिद एक अलग तस्वीर पेश करती हैं. अमरोहा शहर के शफातपोता मोहल्ले में जनानी मस्जिद में रोजाना शिया समुदाय की महिलाएं नमाज अदा करतीं है. साथ ही मस्जिद में नमाज अदा करने के सवाब की हकदार बनती हैं. दरअसल यह एक ऐसी मस्जिद है जहां पर सिर्फ महिलाएं आकर नमाज अदा करती हैं. वैसे तो पूरे भारत देश में मुस्लिम समुदाय की महिलाओं को मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ने की अनुमति नहीं है. लेकिन अमरोहा की ये जनानी मस्जिद नए भारत का बेहतरीन उदाहरण है.  

महिलाएं मांगती हैं भाईचारे की दुआ

एक ओर जहां उत्तर प्रदेश के चुनाव में हिंदू और मुसलमान के नाम पर विवाद होते रहते हैं वहीं दूसरी ओर यहां पर आने वाली महिलाएं अल्लाह से भारत में हिंदू और मुस्लिम के भाईचारे की दुआ करती हैं. यहां पर आने वाली महिलाओं का यह कहना है कि चुनाव में भले ही मजहब के नाम पर विवाद होते हों लेकिन उनकी इबादत में अमन और शांति की दुआ हमेशा रहती है. महिलाएं बताती हैं कि इस मस्जिद में 5 बार नमाज अदा की जाती है. नमाज अदा करने आई महिलाएं बताती हैं कि उनके लिए मस्जिद बहुत मायने रखती है और इसलिए यहां मांगी गई हर मुराद पूरी होती है. 

मस्जिद जहां सिर्फ महिलाएं अदा करती हैं नमाज

100 साल से ज्यादा पुराना है मस्जिद का इतिहास

वैसे देखा जाए तो अमरोहा की इस मस्जिद का इतिहास 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. मस्जिद की तामीर गुलाम मेंहदी ने करावाई थी.  पहले सिर्फ तीन चार महिलाओं के लिए ही जगह थी. बाद में मस्जिद का दायरा बढ़ा दिया गया. गुलाम मेंहदी अंग्रेजी हुकूमत में फौज में हवलदार थे. उनकी तीन बेटियां साबरा खातून, कनिज फातमा और शायदा फातमा थीं. उन्होंने अपनी इन बेटियों के लिए मस्जिद बनवाई थी. मस्जिद में करीब दस सफें लग सकती हैं. अजान होने के बाद यहां महिलाएं अलग-अलग अपनी नजाम पढ़ती हैं. 

चुनावी चर्चा

चुनाव को लेकर महिलाओं का कहना है कि उनकी मौजूदा सरकार से कोई नाराजगी नहीं है. उनका कहना है कि चाहे कोई भी जीते या हारे लेकिन चुनाव में आपस में लड़ने झगड़वाने के काम नहीं होने चाहिए. और साथ ही सरकार ने जो भी वादे किए हैं पूरा करके दिखाना चाहिए. 

 

 

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