Mewati Muslim Connection with Gandhi Ji: हर साल दिसंबर में मेवात के मुसलमान करते हैं महात्मा गांधी को याद, देश के बंटवारे से जुड़ी है वजह

Meo Muslim Connection with Gandhi Ji: भारत के विभाजन के दौरान हुई हिंसा में 30,000 से ज्यादा मेवों के नरसंहार के बावजूद, मेव नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने 1947 में गांधीजी से मुलाकात की थी और घोषणा की थी कि वे पाकिस्तान के लिए मेवात या भारत नहीं छोड़ेंगे.

Meo Muslims
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 01 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 1:48 PM IST
  • गांधी जी ने मेवों को रोका था भारत में 
  • मेवों के लिए झटका थी गांधी जी की हत्या 

साल 2000 से हर वर्ष 19 दिसंबर को, हरियाणा में मेव मुस्लिम मेवात जिले के घासेड़ा गांव में महात्मा गांधी की यात्रा के दिन को मेवात दिवस के रूप में मनाते आ रहे हैं. इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य महात्मा गांधी और उनकी कही गई बात को याद करना है. 

दरअसल, भारत की आजादी और बंटवारे के समय महात्मा गांधी ने मेव को "इस देश की रीड की हड्डी" या भारत की रीढ़ कहा था और उनसे देश न छोड़कर जाने की अपील की थी. गांधी जी की बात मानकर मेव मुस्लिम भारत में ही रुक गए थे. 

कौन हैं मेव मुसलमान
मेव मेवात क्षेत्र में पाया जाने वाला एक बड़ा समुदाय है, जो उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान राज्यों में फैला हुआ है. वे इस्लाम को मानते हैं लेकिन कई हिंदू रीति-रिवाजों का भी पालन करते हैं. भारत में मेव समुदाय का इतिहास बहुत ज्यादा पुराना है और वे भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग हैं. 

गांधी जी ने मेवों को रोका था भारत में 
बताया जाता है कि जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे और देश में बंटवारा हो रहा था तब इस इलाके के बहुत मेव मुसलमान अपनी जड़ों से अलग नहीं होना चाहते थे. लेकिन उस समय के हालातों को देखकर वे डरे हुए थे. मेव मुसलमानों ने देश की आजादी में योगदान दिया था और उन्हें हिंदुस्तान बहुत ज्यादा प्यारा था. 

ऐसे में, मेव समुदाय के बड़े नेताओं ने महात्मा गांधी को घासेड़ा आने का न्यौता दिया. महात्मा गांधी भी उनकी बात सुनने यहां आए. अपनी इसी यात्रा के दौरान, गांधी ने समुदाय को आश्वासन दिया था कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा. उन्होंने उन लोगों को भी रोका जो देश छोड़ना चाहते थे. 

मेवों के लिए झटका थी गांधी जी की हत्या 
हालांकि, इसके कुछ समय बाद ही दिल्ली में गांधीजी की हत्या कर दी गई. गांधी की हत्या मेवों के लिए एक झटका थी. स्थानीय इतिहासकार सिद्दीक अहमद मेव समुदाय से हैं और गांधी जी के साथ मेवात के संबंध के बारे में विस्तार से लिख चुके हैं. अहमद ने स्क्रॉल से कहा, "जिन्हें यहां रहने के लिए मना लिया गया था, उन्हें एक बार फिर लगने लगा कि उन्हें यहां से जाना होगा." 

मेवात की महिलाएं एक गीत गाती थीं - 'भरोसा उठ गया मेवां का, गोली लगी है गांधीजी के छाती बीच.' हालांकि, आज भी मेव हिंदुस्तान का अटूट हिस्सा हैं और यहीं पर बसे हुए हैं. 

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