कम मेहनत और ज़्यादा उत्पादन के लिए सोलर चरखा बना साथी, बदल रही बुनकरों की किस्मत

वाराणसी में खादी कारोबारियों को सोलर चरखा मिला है. जिसके बाद से उनके उत्पादन और कमाई में दोगुना इजाफा हुई है. गांधी जयंती के कारण भी बुनकरों की कमाई काफी बढ़ी है.

कम मेहनत और ज़्यादा उत्पादन के लिए सोलर चरखा बना साथी
शिल्पी सेन
  • लखनऊ ,
  • 21 सितंबर 2022,
  • अपडेटेड 8:34 AM IST
  • पिछले वित्तीय वर्ष में वाराणसी मंडल में कारोबार में इज़ाफ़ा
  • गांधी जयंती से बुनकरों को बिक्री कई गुना बढ़ने की उम्मीद

खादी में भारत की सुंदरता बसती है. महात्मा गांधी के लिए काफी संघर्ष किया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि खादी के खूबसूरत परिधान में सोलर की ऊर्जा शामिल हो सकती है. जी हां, दरअसल बुनकरों के लिए चलायी जा रही योजनाओं में से एक का अब जमीनी धरातल पर असर दिखने लगा है. सोलर चरखे से बने खादी वस्त्रों की बिक्री में इजाफा हुआ है. पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में इसका सबसे ज्यादा असर देखने को मिल रहा है. जहां बुनकर सोलर चरखे पर काम कर कई गुना ज़्यादा उत्पादकता को बढ़ा रहे हैं. गांधी जयंती क़रीब होने की वजह से इस काम में और तेजी आ गयी है.

सोलर चरखे से इकोनॉमी को बूस्ट
पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में बुनकरों के लिए योजनाओं का असर अब देखने को मिल रहा है. बुनकरों के लिए चलाई जा रही योजनाओं से न सिर्फ़ बुनकर आर्थिक रूप से मजबूत हो रहे हैं, बल्कि खादी के परिधानों को भी नया रूप-रंग दे रहे हैं. सोलर चरखे और सोलर लूम से बुनकरों के व्यवसाय और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल रही है.

तेजी से धागा बना रहा है सोलर चरखा
सोलर चरखे से बने कपड़ों के कारोबार की बात करें तो वाराणसी मंडल में पिछले वित्तीय वर्ष में यह करीब 1.36 करोड़ था. यहाँ की कई खादी संस्थाएँ और खादी के लिए काम करने वाले महिला समूहों को इससे लाभ हुआ है. यहां की खादी संस्थाओं को रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कारपोरेशन लिमिटेड (RECL) ने सीएसआर फंड से सोलर चरखा और सोलर लूम निशुल्क उपलब्ध कराया है. वाराणसी मंडल में सोलर चरखे से सूत कातने वाली महिलाओं की संख्या करीब 10 प्रतिशत है. जिनकी सोलर चरखे से धागा बनाने की रफ़्तार और क्षमता दोनों बढ़ रही है. एक महिला 35 किलो तक धागा सोलर चरखे से बना रही है. यही धागे सोलर लूम में जा कर कपड़े में तब्दील हो जाते हैं.

 

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