Monsoon Session: क्या होता है संसद का मॉनसून सत्र, हर मिनट की कार्यवाही पर कितना आता है खर्च, जानें इस बार कौन-कौन से आएंगे बिल 

Monsoon Session of Parliament:  कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी शुरू कर दी है. नया गठबंधन INDIA बनाया है. इस बार मॉनसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं. सत्ता पक्ष जहां महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने का प्रयास करेगा, वहीं दूसरी ओर विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा.

संसद भवन
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 5:09 PM IST
  • 20 जुलाई से 11 अगस्त 2023 तक चलेगा संसद का मॉनसून सत्र 
  • 21 नए विधेयकों को किया जाएगा पेश 

इस साल संसद का मॉनसून सत्र गुरुवार यानी 20 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 11 अगस्त 2023 तक चलेगा. इस दौरान संसद के दोनों सदनों की कुल 17 बैठकें प्रस्तावित हैं. लोकसभा सचिवालय के एक बुलेटिन के अनुसार संसद के मॉनसून सत्र के दौरान 21 नए विधेयकों को पेश और पारित करने के लिए शामिल किया गया है. सात पुराने बिल भी लिस्टेड है. आइए आज जानते हैं संसद का सत्र किसकी इजाजत से चलाया जाता है और इसकी कार्यवाही पर सरकार को कितना खर्च करना पड़ता है.

मॉनसून सेशन क्या होता है
भारत की संसद के तीन प्रमुख सत्र होते हैं. बजट सत्र, मॉनसून सत्र और शीतकालीन सत्र. आमतौर पर मॉनसून के सीजन का सत्र सबसे छोटा होता है. जुलाई से सितंबर के बीच होने वाले मॉनसून सत्र के समय देश में मॉनसूनी बारिश हो रही होती है इसीलिए इसे मॉनसून सेशन कहा जाता है. 

 

संसद सत्र को लेकर कौन लेता है फैसला 
संसद का जब भी कोई सत्र शुरू किया जाता है तो उससे पहले कैबिनेट कमेटी ऑन पार्लियामेंट्री अफेयर्स इसके लिए एक कैलेंडर तैयार करती है. इस कैलेंडर को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है. सांसदों को सत्र की सूचना एक समन के जरिए राष्ट्रपति की ओ से भेजी जाती है. राष्ट्रपति आर्टिकल 85 के तरह संसद सत्र को लेकर फैसला लेते हैं. राष्ट्रपति की ओर से समय समय पर संसद सदस्यों को मिलने के लिए कहा जाता है. बता दें कि संसद के दो सदनों के बीच में 6 महीने से अधिक का अंतर नहीं हो सकता है. ऐसे में आम तौर पर सालभर में तीन सत्र आयोजित किए जाते हैं. 

सत्ता और विपक्ष के लिए तय होती है जगह
लोकसभा में कौन कहां बैठेगा, इसके लिए जगह तय होती है. चुनाव जीतने वाली पार्टियों के हिसाब से सीटों का बंटवारा होता है. प्रधानमंत्री और उनकी पार्टी के सांसदों को स्पीकर के बाएं तरफ वाली सीटें दी जाती हैं, जबकि अन्य पार्टी के सासंद दाईं तरफ बैठते हैं. वहीं पार्टियां अपने सांसदों को अपने हिसाब से सीटें दे सकती है कि कौन आगे बैठेगा और कौन पीछे. सामान्य तौर पर इसमें पार्टियां नेताओं की वरिष्ठता को ध्यान में रखती हैं.  

हर मिनट कितना आता है खर्च  
संसद की कार्यवाही सुबह 11 बजे से शाम 6 बजे तक चलती है. इसमें एक बजे से दो बजे तक का समय लंच का होता है. शनिवार और रविवार को कार्यवाही नहीं होती है. इसके अलावा सत्र के दौरान कोई त्योहार या अन्य जयंती हो तो उसका भी अवकाश हो सकता है. एक रिपोर्ट के मुताबिक संसद की कार्यवाही पर हर मिनट करीब ढाई लाख रुपए खर्च होते हैं. ऐसे में इसे हर घंटे से हिसाब से देखे तो यह रकम 1.5 करोड़ रुपए होती है. यह खर्चा सांसदों को मिलने वाले वेतन, भत्ते, संसद सचिवालय पर आने वाले खर्च, सचिवालय के कर्मचारियों के वेतन और सांसदों की सुविधाओं पर खर्च होता है. ऐसे में जब हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही स्थगित होती है तो आम जनता को टैक्स के रूप में लाखों का नुकसान होता है. 

मॉनसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी दलों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चेबंदी शुरू कर दी है. नया गठबंधन INDIA बनाया है. इस बार मॉनसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं. एक ओर जहां सत्ता पक्ष महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने का प्रयास करेगा, वहीं दूसरी ओर विपक्ष मण‍िपुर हिंसा, रेल सुरक्षा, महंगाई और अडाणी मामले पर जेपीसी गठित करने की मांग सहित अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा. लोकसभा में मोदी सरकार के पास स्पष्ट बहुमत है लेकिन राज्यसभा में उसे समर्थन जुटाना होगा.

दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक हो सकता है पेश
मॉनसून सत्र में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार संशोधन विधेयक 2023 भी शामिल है. यह विधेयक संबंधित अध्यादेश का स्थान लेने के लिए पेश किया जाएगा. आम आदमी पार्टी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है. सरकारी सूत्रों का कहना है कि सत्र में महत्वपूर्ण विधेयक पेश किये जाने हैं, ऐसे में सभी दलों को सत्र चलाने में सहयोग करना चाहिए, क्योंकि सरकार नियम व प्रक्रिया के तहत किसी भी विषय पर चर्चा कराने से पीछे नहीं हट रही है. 

मॉनसून सत्र में राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन विधेयक 2023, डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल 2022, वन (संरक्षण) संशोधन विधेयक 2023, जैविक विविधता (संशोधन) विधेयक 2021, निरसन और संशोधन विधेयक 2022, जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक 2022, मल्टी स्टेट सहकारी सोसायटी (संशोधन) विधेयक 2022, मीडिएशन बिल 2021, संविधान (अनसचित जनजाति) आदेश (पांचवां संशोधन) विधेयक 2022 आ सकता है. इसके अलावा समान नागरिक संहिता पर भी बिल आ सकता है. बुजुर्गों के हित में भी एक बिल आने वाला है. जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कॉमन सिविल कोड की जरूरत पर बल दिया, उससे साफ हो गया है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार इस दिशा में आगे बढ़ सकती है. चर्चा है कि बिल मॉनसून सत्र में आ सकता है.


 

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