कनाडा से करीब 10 दशकों बाद घर पहुंची मां अन्नपूर्णा की मूर्ति, वाराणसी से हुई थी चोरी

पहली बार कलाकार दिव्या मेहरा द्वारा ये मुद्दा उठाया गया था कि यह अवैध रूप से भारत से कनाडा लायी गयी है. मेहरा के शोध से पता चला है कि मैकेंज़ी 1913 में भारत की यात्रा के बाद इसे वापस लाये थे. अन्नपूर्णा की मूर्ति की पहचान पीबॉडी एसेक्स म्यूजियम में भारतीय और दक्षिण एशियाई कला के क्यूरेटर डॉ सिद्धार्थ वी शाह ने की थी.

Maa Annapurna
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 11 नवंबर 2021,
  • अपडेटेड 11:12 AM IST
  • मां अन्नपूर्णा की यह मूर्ति 15 नवंबर को वाराणसी पहुंचेगी ज
  • साल 2014 से अब तक 42 दुर्लभ विरासत जैसे मूर्तियां और पेंटिंग्स देश को वापस की जा चुकी हैं
  • विदेशों में की गयी है 157 मूर्तियों और चित्रों की पहचान

करीब 100 साल पहले वाराणसी से चुराई गई देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति को भारत लाया गया है. गुरुवार सुबह केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने मां अन्नपूर्णा देवी की पूजा की. केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट करते हुए लिखा, “भारत की सभ्यता और सांस्कृतिक गौरव को संजोने का दिन! नरेंद्र मोदी सरकार के अथक प्रयास के तहत, #BringingOurGodsHome जारी है और आज सुबह, कई केंद्रीय मंत्रियों के साथ अन्नपूर्णा देवी मूर्ति की पूजा की गई.”

कनाडा से लायी गयी इस मूर्ति को उत्तर प्रदेश सरकार को सौंपा जायेगा. जिसके बाद इसे दिल्ली से अलीगढ़ ले जाया जाएगा, वहां से 12 नवंबर को कन्नौज ले जाया जाएगा और फिर 14 नवंबर को यह अयोध्या पहुंचेगी.

मंत्रालय के अनुसार,  मां अन्नपूर्णा की यह मूर्ति 15 नवंबर को वाराणसी पहुंचेगी जहां उचित अनुष्ठान के बाद इसे उत्तर प्रदेश के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थापित किया जाएगा. राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 15 नवंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर में इस प्रतिमा का अभिषेक करेंगे. आपको बता दें, देवी अन्नपूर्णा मूर्ति की ऊंचाई 17 सेमी, चौड़ाई 9 सेमी और मोटाई 4 सेमी है.

यह मूर्ति मूल रूप से है वाराणसी की

18वीं शताब्दी की यह मूर्ति, रेजिना यूनिवर्सिटी के अंतरिम प्रेजिडेंट और कुलपति, थॉमस चेज़ द्वारा ओटावा में भारत के हाई कमिश्नर अजय बिसारिया को एक कार्यक्रम में सौंपी गई थी. माना जाता है कि यह मूर्ति मूल रूप से वाराणसी की है और यह मैकेंज़ी आर्ट गैलरी में यूनिवर्सिटी कलेक्शन का हिस्सा थी.

पहली बार कलाकार दिव्या मेहरा ने उठाया मुद्दा 

आपको बता दें, नॉर्मन मैकेंज़ी द्वारा 1936 की वसीयत के हिस्से के रूप में इस मूर्ति को गैलरी कलेक्शन में जोड़ा गया था, जिसके नाम पर इसका नाम रखा गया है. पहली बार कलाकार दिव्या मेहरा द्वारा ये मुद्दा उठाया गया था कि यह अवैध रूप से भारत से कनाडा लायी गयी है. 

वहीं यूनिवर्सिटी के एक बयान के अनुसार, मेहरा के शोध से पता चला है कि मैकेंज़ी 1913 में भारत की यात्रा के बाद इसे वापस लाये थे. अन्नपूर्णा की मूर्ति की पहचान पीबॉडी एसेक्स म्यूजियम में भारतीय और दक्षिण एशियाई कला के क्यूरेटर डॉ सिद्धार्थ वी शाह ने की थी.

विदेशों में की गयी है 157 मूर्तियों और चित्रों की पहचान

केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी के मुताबिक, साल 2014 से अब तक 42 दुर्लभ विरासत जैसे मूर्तियां और पेंटिंग्स देश को वापस की जा चुकी हैं. इसके साथ, वर्तमान में विदेशों में 157 मूर्तियों और चित्रों की पहचान की गई है. उन्हें भारत वापस लाने के लिए कई देशों से बातचीत चल रही है.

सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, स्विटजरलैंड और बेल्जियम से मूर्तियां लाने के प्रयास जारी है. वहीं, अमेरिका से भी करीब 100 मूर्तियों को लाने का प्रयास किया जा रहा है.

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