भारत सरकार ने दिखाया था Coco Cola को बाहर का रास्ता... फिर Campa Cola की हुई एंट्री, कुछ ऐसे शुरू हुआ था देश में इस सॉफ्ट ड्रिंक का सफर  

History of Campa Cola: 50 साल बाद एकबार फिर से देश में कैंपा कोला की शुरुआत होने जा रही है. इसका सफर भारत में कोका कोला के बाद शुरू हुआ था. अब एक बार इसे फिर से बाजार में लाया जा रहा है.

कैंपा कोला
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 10 मार्च 2023,
  • अपडेटेड 8:31 PM IST
  • कोका कोला के बाद हुई कैंपा कोला की शुरुआत 
  • एक बार इसे फिर से बाजार में लाया जा रहा है

तीन दशक बाद एक बार फिर से कैंपा कोला मार्केट में आने जा रहा है. बिजनेसमैन मुकेश अंबानी की कंपनी इसे री-लॉन्च करने जा रही है. 50 साल बाद इसके री-लॉन्च को लेकर मुकेश अंबानी ने अनाउंसमेंट भी कर दी है. हालांकि, इसबार गर्मियों में ये एक बदले हुए अवतार में आपको नजर आने वाली है. 1970 और 1980 के समय वाली ये कैंपा कोला 2023 में लेमन, कोला और ऑरेंज फ्लेवर में आने वाली है.

कैंपा कोला को फिर से लॉन्च करने के साथ, रिलायंस का लक्ष्य अडानी समूह, आईटीसी और यूनिलीवर से कॉम्पिटिशन करने के लिए अपने खुद के प्रोडक्ट्स लॉन्च करना है. कंपनी ने अपने एक बयान में कहा, "स्पार्कलिंग बेवरेज केटेगरी में कैम्पा कोला, कैंपा लेमन और कैंपा ऑरेंज को शुरू किया जाएगा.”

कोका कोला के बाद हुई कैंपा कोला की शुरुआत 

दरअसल,देश में कैंपा कोला का शुरू होना अपने आप में एक बड़ी चीज था. भारत एक समय में भोजन जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा था. क्योंकि आजादी के 2 साल हो गए थे और बंटवारे ने अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया था. उस वक्त सरकारी खजाना भी खाली हो गया था. ऐसे में एक विदेशी ब्रांड कोका कोला ने साल 1949 देश में प्रवेश किया. अमीर लोगों ने इसे खूब पसंद किया और 1970 के दशक तक आते-आते आम लोगों के बीच इसकी काफी डिमांड हो गई. लेकिन जब आपातकाल लगा तो सरकार ने कोका कोला को भारत से बाहर का रास्ता दिखा दिया. पर लोग तब तक ड्रिंक्स के आदि हो गए थे. ऐसे में बाजार में कैंपा कोला ने दस्तक दी.

कैंपा कोला की बाजार में एंट्री

जब कोका-कोला ने कोल्ड ड्रिंक बनाने के अपने सीक्रेट को शेयर करने से इनकार कर दिया, तो तत्कालीन मोरारजी देसाई सरकार ने इसे भारत से बाहर कर दिया. प्योर ड्रिंक्स ग्रुप उस समय भारत में कोका कोला बनाता था. कोला कोला को लेकर सरकार के फैसले से उसके मालिक चरणजीत सिंह नाखुश थे क्योंकि सवाल 2800 कर्मचारियों की रोजी-रोटी का भी था और कारोबार चलाने का भी. ऐसे में 1977 में उन्होंने एक नया सॉफ्ट ड्रिंक बाजार में उतारा, जिसका नाम कैंपा कोला रखा गया. यह एक संतरे के स्वाद वाली सॉफ्ट ड्रिंक थी, जिसकी बोतल पर कैंपा लिखा हुआ था. तब इसका मुकाबला थम्स अप से था. धीरे-धीरे कैंपा कोला की लोकप्रियता बढ़ी.  

जब कैंपा कोला में गिरावट देखी गई

पेप्सी ने 1989 में भारतीय बाजार में पैर जमाए थे और 1991 में जब पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने आर्थिक सुधार किए, तो कोका-कोला ने भी देश में फिर से प्रवेश किया. इसका असर कैंपा कोला पर पड़ा. कोला कोला और पेप्सी ने एक आक्रामक विज्ञापन नीति और मार्किट नेटवर्क के साथ कैंपा कोला को पीछे छोड़ना शुरू कर दिया. दिल्ली के बॉटलिंग प्लांट और ऑफिस 2001 और 2009 में बंद हो गए और ब्रांड सिर्फ हरियाणा तक ही सीमित रह गया. 2012 तक कंपनी का नाम बाजार में नहीं बचा.

हालांकि, एक बार फिर से कैंपा कोला को बाजार में लॉन्च किया जा रहा है. अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि क्या ये कंपनी फिर से बाजार में अपना जलवा बिखेर पाएगी?


 

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