पश्चिम बंगाल के उत्तरी दिनाजपुर में एक मुस्लिम व्यक्ति ने भाईचारे का संदेश देते हुए एक मिसाल पेश की है. यहां एक मुस्लिम व्यक्ति ने अपने पूर्व हिंदू सहयोगी की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान देने की पेशकश की है. व्यक्ति का नाम हसलू मोहम्मद है और उन्होंने हाल ही में राज्य के स्वास्थ्य विभाग को आवेदन देकर अंगदान की मंजूरी मांगी है.
स्वास्थ्य विभाग ने आवेदन को स्थानीय पुलिस को यह जांचने के लिए भेजा कि आवेदक अपनी किडनी दान कर रहा है या पैसे के बदले में ऐसा कर रहा है, जोकि अवैध है. पुलिस ने जांच में किसी तरह के आर्थिक सौदे से इनकार किया गया है. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि जल्द ही एक रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग को भेजी जाएगी.
पहले साथ करते थे काम
हसलू मोहम्मद और अचिंत्य बिस्वास छह साल पहले दोस्त बने थे, दोनों एक छोटी सी फाइनेंस कंपनी में काम करने के दौरान मिले थे. दो साल पहले हसलू ने वो नौकरी छोड़कर अपना खुद का बिजनेस चालू किया था.
मेरे लिए मानव जीवन सबसे कीमती -हसलू
हसलू ने कहा,“जब मैंने सुना कि अचिंत्य को तत्काल प्रत्यारोपण की आवश्यकता है, तो मैंने उन्हें अपनी एक किडनी दान करने का फैसला किया. मैं ऐसा करने से नहीं मरूंगा लेकिन अचिंत्य को इससे एक नया जीवन जरूर मिलेगा." जब उनसे धार्मिक सम्मान के बारे में पूछा गया तो हसलू ने कहा कि उनके लिए मानव जीवन सबसे कीमती है. हसलू ने कहा,"हमारा धर्म अलग हो सकता है लेकिन हमारा ब्लड ग्रुप एक ही है."
अचित्य ने जताया आभार
हसलू की पत्नी मनोरा ने कहा कि उनके पति ने वही किया जो एक इंसान को करना चाहिए. हसलू और मनेरा के 5 और 7 साल के दो बेटे हैं. वहीं 28 वर्षीय अचिंत्य को डायलिसिस के लिए एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उनका एक आठ साल का एक बेटा है. अचिंत्य ने कहा,“हसलू ने सिर्फ मेरी जान बचाने के लिए इतना बड़ा बलिदान देने का फैसला किया. मैं और मेरा परिवार उनका सदैव आभारी रहेगा. अगर वह आगे नहीं आते तो मेरी मौत के बाद मेरा परिवार बर्बाद हो जाता.''