
म्यांमार में आए 7.7 तीव्रता के भूकंप में 1,000 से अधिक लोग मारे गए हैं. मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. ये भूकंप इतना खतरनाक था कि 900 किलोमीटर दूर बैंकॉक में भी इसका असर महसूस किया गया. बैंकॉक में एक 30 मंजिला इमारत गिर गई है. इसमें 10 लोगों की मौत हुई है. भारत के मेघालय और मणिपुर के साथ-साथ बांग्लादेश और चीन में भी तीव्र भूकंप महसूस किए गए.
म्यांमार की मदद के लिए आगे आया भारत
भूकंप से प्रभावित म्यांमार की मदद के लिए भारत आगे आया है. भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू किया है. इसके तहत भारत सरकार म्यांमार के लोगों के लिए टेंट, कंबल, स्लीपिंग बैग, फूड पैकेट्स और आवश्यक दवाओं सहित 15 टन राहत सामग्री पहुंचा रही है. वायुसेना का विमान सी-130 जे (IAF C 130 J aircraft) राहत सामग्री लेकर यांगून पहुंच गया है. इस उड़ान के साथ एक बचाव दल के साथ-साथ एक चिकित्सा दल भी है.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 'ऑपरेशन ब्रह्मा' के बारे में कहा, "भारत कल के भीषण भूकंप से प्रभावित म्यांमार के लोगों की सहायता के लिए फर्स्ट रिस्पॉन्डर की तरह काम कर रहा है. भारत घटनाक्रम पर नजर रखना जारी रखेगा और आगे और सहायता भेजी जाएगी. चीन और रूस पहले ही म्यांमार में सहायता और बचाव दल भेज चुके हैं."
बैंकॉक में आपातकाल की घोषणा
भूकंप के बाद थाई सरकार ने राजधानी बैंकॉक में आपातकाल की घोषणा कर दी है. म्यांमार कई सालों से गृहयुद्ध से तबाह देश है. ऐसे में भूकंप के बाद वहां बिजली और पानी का गंभीर संकट पैदा हो गया है. 28 मार्च 2025 को दोपहर लगभग 12:50 बजे म्यांमार में 7.7 और 6.4 तीव्रता के खतरनाक भूकंप आए. भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर दर्ज की गई और झटके थाईलैंड के बैंकॉक तक महसूस किए गए. भारी तबाही के चलते म्यांमार के 6 राज्यों और पूरे थाईलैंड में इमरजेंसी लगा दी गई है. इस भूकंप की वजह से म्यांमार की इरावाडी नदी पर बना 51 साल पुराना पुल टूट गया.
यूनाइटेड स्टेट्स जियोलॉजिकल सर्वे के अनुसार, शुक्रवार को 7.7 तीव्रता के भूकंप के बाद म्यांमार में कम से कम 14 और झटके महसूस किए गए. इनमें से अधिकांश की तीव्रता 5 से कम थी. सबसे शक्तिशाली झटका 6.7 तीव्रता का था, जो बड़े भूकंप के लगभग 10 मिनट बाद आया.