पूर्व अल्पसंख्यक मंत्री और बीजेपी लीडर नजमा हेपतुल्ला ने अपनी ऑटोबायोग्राफी 'इन परस्यूट ऑफ डेमोक्रेसी: बियॉन्ड पार्टी लाइन्स' में कांग्रेस लीडर सोनिया गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लेकर बड़ा खुलासा किया है. किताब के मुताबिक साल 1999 में फोन कॉल पर सोनिया गांधी से बात करने के लिए एक घंटे का इंतजार करना पड़ा था. जबकि किताब में ये भी खुलासा किया कि जब उन्होंने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन किया तो उन्होंने तुरंत कॉल रिसीव की और इसपर खुशी जताई.
सोनिया से बात करने के लिए करना पड़ा था इंतजार-
ये वाक्या साल 1999 का है. नजमा हेपतुल्ला को इंटर-पार्लियामेंटरी यूनियन की अध्यक्ष चुनी गया था. किताब के मुताबिक इसके बाद उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात करने की कोशिश की थी. उन्होंने जब सोनिया गांधी को फोन किया तो उनको बताया गया कि मैडम व्यस्त हैं. नजमा हेपतुल्ला को एक घंटे तक फोन पर इंतजार करना पड़ा. लेकिन सोनिया गांधी फोन पर नहीं आईं. किताब के मुताबिक इस पद के लिए अपना नाम आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने सोनिया गांधी की इजाजत ली थी.
नजमा हेपतुल्ला के मुताबिक इंदिरा गांधी हमेशा आम कार्यकर्ताओं के लिए सुलभ थीं. जबकि सोनिया गांधी की नेतृ्त्व शैली इसके उलट थी.
हेपतुल्ला ने किताब में लिखा कि जब मैंने अगले साल सोनिया गांधी को न्यूयॉर्क में पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया तो उन्होंने ऐन मौके पर हिस्सा लेने से इनकार कर दिया.
नजमा हेपतुल्ला ने किताब में लिखा कि यह मेरे जीवन का ऐसा क्षण था, जिसने मेरे मन में हमेशा के लिए अस्वीकृति की भावना भर दी.
...जब हेपतुल्ला ने अटल बिहारी को फोन किया-
नजमा हेपतु्ल्ला ने किताब में जिक्र किया है कि सबसे पहले उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को फोन किया था. उन्होंने तुरंत उनका फोन उठाया. हेपतुल्ला ने अपनी किताब में लिखा कि जब उन्होंने ये खबर सुनी तो वे बहुत खुश हुए. वो खुश इसलिए थे कि एक तो ये सम्मान भारत को मिला था और दूसरा एक भारतीय मुस्लिम महिला को मिला था. किताब के मुताबिक अटल बिहारी ने कहा कि आप वापस आएं और हम जश्न मनाएंगे.
साल 2004 में बीजेपी में शामिल हो गई थीं हेतपुल्ला-
नजमा हेपतुल्ला ने साल 2004 में कांग्रेस छोड़ दिया था और भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थीं. साल 2014 में नजमा हेपतुल्ला को केंद्र की मोदी सरकार में अल्पसंख्यक कार्य मंत्री बनाया गया था.
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