निर्भया मामले से लेकर कठुआ रेप और आसाराम बापू केस तक में किया गया था Bone Ossification Test… हड्डियों से लगा था सही उम्र का पता… अब बाबा सिद्दीकी मर्डर में भी हुआ इसका इस्तेमाल

शूटर धर्मराज कश्यप को अदालत में जब पेश किया गया, तो उसने कहा था कि वह 17 साल का है. वकील ने मजिस्ट्रेट को इसके बारे में सूचित किया. हालांकि, प्रॉसिक्यूशन ने इस दावे को चुनौती दी. दस्तावेजों की कमी के कारण, अदालत ने बोन ओसिफिकेशन टेस्ट का आदेश दिया.

Baba Siddiqui
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 14 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 12:26 PM IST
  • ओसिफिकेशन टेस्ट का आदेश दिया गया
  • पिछले कई बड़े केस में हो चुका है इसका इस्तेमाल 

एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी (NCP leader Baba Siddique) की हत्या के मामले में एक बड़ा मोड़ सामने आया है. जिस आरोपी ने खुद को नाबालिग बताया था, बोन ओसिफिकेशन टेस्ट में उसे वयस्क पाया गया है. आरोपी, धर्मराज कश्यप, अन्य संदिग्धों के साथ अब मुंबई की एक अदालत के आदेश के बाद 21 अक्टूबर तक न्यायिक हिरासत में रखा गया है.

दरअसल, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी के अजित पवार गुट के नेता बाबा सिद्दीकी की शनिवार रात मुंबई में उनके ऑफिस के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. अगले दिन, पुलिस ने दो शूटरों—उत्तर प्रदेश से धर्मराज कश्यप और हरियाणा से गुरमेल बलजीत सिंह—के साथ एक अन्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया.  लॉरेंस बिश्नोई गिरोह ने हत्या की जिम्मेदारी ली है. 

शूटर धर्मराज कश्यप जब को अदालत में जब पेश किया गया, तो उसने कहा था कि वह 17 साल का है. वकील ने मजिस्ट्रेट को इसके बारे में सूचित किया. हालांकि, प्रॉसिक्यूशन ने इस दावे को चुनौती दी. प्रॉसिक्यूशन ने एक आधार कार्ड दिखाया, जिसमें धर्मराज कश्यप का जन्म 2003 लिखा था, यानी वह 21 साल का है. लेकिन समस्या यह थी कि आधार कार्ड पर नाम अलग था और आरोपी के पास कोई जन्म प्रमाण पत्र नहीं था, जिससे सही उम्र का पता लगाया जा सके. 

ओसिफिकेशन टेस्ट का आदेश दिया गया
दस्तावेजों की कमी के कारण, अदालत ने बोन ओसिफिकेशन टेस्ट (Bone Ossification Test) का आदेश दिया. बता दें, बोन ओसिफिकेशन टेस्ट एक मेडिकल और फोरेंसिक तकनीक है जिसका उपयोग किसी व्यक्ति की उम्र का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है. इसका उपयोग अक्सर आपराधिक और सिविल मामलों में किया जाता है, जैसे कि किशोर अपराधियों की सही उम्र पता करना, गुमशुदा व्यक्तियों की पहचान करना आदि.

ओसिफिकेशन क्या है?
ओसिफिकेशन हड्डी बनने की प्राकृतिक प्रक्रिया है. बच्चा जब पेट में पल रहा होता है तब से ही हड्डी बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. कार्टिलेज और दूसरे टिश्यू से होते हुए हड्डियां बनती हैं. बोन ओसिफिकेशन टेस्ट में हड्डी कब से बनना शुरू हुई हैं, इसका एक अनुमान  लगाया जाता है. 

ओसिफिकेशन बोन टेस्ट की बात करें, तो इसमें एपिफाइसेल फ्यूजन की डिग्री को मापा जाता है. इस टेस्ट को एक्स-रे के माध्यम से हड्डियों की तस्वीरें लेकर किया जाता है, जिसमें कलाई, घुटना, कंधा, और पेल्विक बोन शामिल होती हैं. इन एक्स-रे तस्वीरों से यह देखा जाता है कि हड्डियों का विकास कितना हुआ है. 

ओसिफिकेशन बोन टेस्ट कैसे किया जाता है?
ओसिफिकेशन बोन टेस्ट में जिस उम्र की जांच की जा रही है, उसके आधार पर अलग-अलग हड्डियों को चुना जाता है. छोटी उम्र के व्यक्तियों में कलाई, घुटना, या कोहनी की हड्डियां देखी जाती हैं. युवा वयस्कों के लिए, कंधे और पेल्विक हड्डियां देखी जाती हैं क्योंकि उनकी ग्रोथ प्लेटें देर से जुड़ती हैं.

इसके बाद, चुनी गई हड्डियों का एक्स-रे किया जाता है, ताकि हड्डियों और उनकी ग्रोथ प्लेट की स्थिति का पता चल सके. फिर एक्स-रे से मिली जानकारी की तुलना स्टैंडर्ड मेडिकल चार्ट से की जाती है. हड्डियों की स्थिति के आधार पर एक्सपर्ट व्यक्ति की अनुमानित उम्र बताते हैं.

पिछले कई बड़े केस में हो चुका है इसका इस्तेमाल 
हालांकि, भारत में कोर्ट इस टेस्ट के रिजल्ट को काफी मानते हैं, लेकिन इसे एकमात्र प्रमाण नहीं माना जाता. भारत में कई हाई-प्रोफाइल केस में व्यक्तियों की उम्र को लेकर विवादों को सुलझाने के लिए बोन ओसिफिकेशन टेस्ट किया गया है. 

1. निर्भया मामला (2012):  निर्भया गैंगरेप मामले में, एक आरोपी ने सजा से बचने के लिए खुद को किशोर बताया था. उसकी उम्र पता करने के लिए ऑसिफिकेशन टेस्ट किया गया था. 

2. बिहार शेल्टर होम मामला (2018): मुजफ्फरपुर शेल्टर होम दुरुपयोग मामले में भी ये टेस्ट किया गया था. यहां कई लड़कियों के साथ सेक्शुअल हरासमेंट किया गया था. ऐसे में पीड़ितों की उम्र पता करने के लिए ऑसिफिकेशन टेस्ट किया गया था.

3. आसाराम बापू मामला (2013): आसाराम बापू से जुड़े सेक्शुअल असॉल्ट मामले में, पीड़िता की उम्र की जांच की गई थी ताकि यह तय किया जा सके कि क्या वह घटना के समय नाबालिग थी. नाबालिग की उम्र पता करने के लिए ऑसिफिकेशन टेस्ट किया गया था. 

4. कठुआ बलात्कार मामला (2018): जम्मू और कश्मीर में एक 8 साल की लड़की के गैंगरेप और मर्डर ने देशभर में आक्रोश पैदा किया. पीड़िता की उम्र की पुष्टि के लिए ऑसिफिकेशन टेस्ट का उपयोग किया गया. 


 

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