नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट उर्फ नीट 2024 (NEET 2024) परीक्षा के क्वेश्चन पेपर लीक ने पूरे भारत को हिला दिया था. देशभर के छात्र सड़कों पर उतर आए थे. शिक्षा मंत्रालय ने हालात को संज्ञान में लेते हुए जून 2024 में एक सात-सदस्यीय पैनल का भी गठन किया था. अब इस पैनल ने अपनी सिफारिशें जमा की हैं.
क्या हैं समिति की सिफारिशें?
शिक्षा मंत्रालय ने पांच महीने पहले पूर्व इसरो प्रमुख डॉ के राधाकृष्णन की अध्यक्षता में पैनल का गठन किया था. इस पैनल का काम था कि वह डेटा सुरक्षित करने, परीक्षा प्रक्रिया को सुधारने और एनटीए का कामकाज बेहतर बनाने को लेकर सरकार को सुझाव दे. द इंडियन एक्सप्रेस की ओर से बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, पैनल ने सरकार को यह सुझाव दिए हैं:
- जहां भी मुमकिन हो, वहां एंट्रेंस एग्जाम करवाया जाए. अगर जरूरत पड़े तो हाइब्रिड मॉडल में परीक्षा हो, यानी प्रश्न पत्र डिजिटली छात्रों तक पहुंचे लेकिन जवाब उन्हें ओएमआर शीट पर देना हो.
- मेडिकल अभ्यर्थियों की परीक्षा कई चरणों में करवाई जाए. मिसाल के तौर पर, जिस तरह जेईई दो चरणों में होती है- जेईई मेन्स और जेईई एडवांस्ड.
- कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस परीक्षा (CUET) में विषयों की संख्या कम की जाए. फिलहाल इस परीक्षा में 50 विषय हैं. एक कैंडिडेट कोई छह विषय चुनकर उसमें परीक्षा दे सकता है.
- नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) में स्थायी स्टाफ बढ़ाया जाए ताकि ये बदलाव ठीक तरह से लागू हो सकें.
रिपोर्ट बताती है कि पैनल ने अपनी सिफारिशें सिर्फ नीट परीक्षा तक ही सीमित नहीं रखी हैं बल्कि एनटीए की देखरेख में होने वाली सभी परीक्षाओं को सुरक्षित करने के लिए दीर्घकालिक उपाय बताए हैं. यह कहा जा सकता है कि पैनल ने परीक्षाओं पर सरकार की ज्यादा पकड़ की मांग की है. इस सिलसिले में पैनल ने एक और अहम मांग की है.
पैनल का कहना है कि सरकार अपने खुद के परीक्षा केंद्रों की संख्या बढ़ाए, न कि किराए पर सेंटर लेकर परीक्षाओं का आयोजन करे. फिलहाल ये परीक्षाएं सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में आयोजित की जाती हैं. जब सरकारी संस्थानों की इमारतें उपलब्ध नहीं होतीं तो एनटीए एआईसीटीई (All India Council for Technical Education) के मान्यता प्राप्त संस्थानों की इमारतों में परीक्षाएं आयोजित करता है.
जब ये इमारतें भी उपलब्ध नहीं होतीं तो प्राइवेट कॉलेजों और स्कूलों की इमारतें किराए पर लेकर उन्हें सेंटर बनाया जाता है. पैनल ने इस तरह प्राइवेट संस्थानों को नापसंद किया है.
हाइब्रिड मोड क्यों?
पैनल की जिस सिफारिश ने सबसे ज्यादा ध्यान आकर्षित किया है वह है हाइब्रिड मोड में परीक्षा करवाना. रिपोर्ट के अनुसार, सेंटर तक प्रश्न पत्र डिजिटल रूप में पहुंचेगा. लेकिन कैंडिडेट्स को ओएमआर शीट पर सवालों के जवाब देने होंगे. इसके पीछे तर्क यह दिया गया है कि इस तरह प्रश्न पत्र कम से कम लोगों के हाथों से होकर गुज़रेगा.
पैनल की यह सिफारिश इसलिए भी अहम है क्योंकि इस साल नीट-यूजी पेपर कथित तौर पर झारखंड के हज़ारीबाग़ पहुंचने के बाद लीक हुआ था. अगर प्रश्न पत्र परीक्षा शुरू होने से कुछ देर पहले ही डिजिटल रूप में सेंटर पहुंचे तो इस तरह की घटनाओं से बचा जा सकता है.