कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi ने केरल की वायनाड (Wayanad) सीट को छोड़ने का फैसला किया है. अब इस लोकसभा सीट से अपनी चुनावी पारी की शुरुआत प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) करेंगी. दरअसल, लोकसभा चुनाव 2024 में राहुल गांधी रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से जीते हैं.
नियमानुसार वह एक सीट से सांसद रह सकते थे. राहुल गांधी ने रायबरेली से सांसद बने रहने का फैसला किया है. अब वायनाड सीट पर उपचुनाव होगा. इसमें कांग्रेस पार्टी की ओर प्रियंका गांधी उम्मीदवार होंगी. इस तरह से गांधी परिवार की एक और सदस्य की चुनावी राजनीति में एंट्री हो गई है. आइए जानते हैं पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर प्रियंका गांधी तक, किसने और कब अपनी सियासी पारी की शुरुआत की.
1. पंडित जवाहर लाल नेहरू
पंडित जवाहर लाल नेहरू को देश का पहला प्रधानमंत्री बनने का गौरव प्राप्त है. जवाहर लाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू ने देश की आजादी से पहले राजनीति में थे. 1919 में मोतीलाल नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. इसी साल जवाहरलाल नेहरू भी कांग्रेस में शामिल हुए थे.
पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अपनी चुनावी पारी की शुरुआत देशकी आजादी के बाद हुए पहली लोकसभा चुनाव के दौरान किया था. नेहरू फूलपुर लोकसभा सीट से 1952 में सांसद चुने गए थे. उस वक्त उनकी उम्र 62 साल थी. फूलपुर से ही उन्होंने 1957 और 1962 का चुनाव जीता था. पंडित नेहरू 1947 में देश की आजादी से लेकर अगले 16 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे.
2. फिरोज गांधी
पंडित जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी का विवाह 1942 में फिरोज गांधी से हुआ था. लोकसभा चुनाव 1952 में फिरोज गांधी ने कांग्रेस के टिकट से रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. उन्होंने लोकसभा चुनाव 1957 में विजय हासिल की थी.
3. इंदिरा गांधी
इंदिरा गांधी ने साल 1955 में कांग्रेस की केंद्रीय कार्य समिति की सदस्य के रूप में राजनीति के क्षेत्र में अपना पहला कदम रखा था. वह 1959 में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनी गईं थी. पंडित नेहरू के निधन के बाद इंदिरा गांधी 1964 में राज्यसभा के लिए चुनी गई थीं. हालांकि चुनावी पारी की शुरुआत इंदिरा गांधी ने 1967 में किया था. वह लोकसभा चुनाव 1967 में रायबरेली सीट से सांसद चुनी गईं थीं. इंदिरा गांधी ने 1966-77 तक और इसके बाद 1980-84 तक प्रधानमंत्री रहीं.
4. संजय गांधी
इंदिरा और फिरोज गांधी के छोटे पुत्र संजय गांधी अपने छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. उन्होंने अपनी चुनावी पारी की शुरुआत 33 साल की उम्र में यूपी की अमेठी लोकसभा सीट से 1977 में की थी. इमरजेंसी विरोधी लहर के कारण वह इस सीट से चुनाव हार गए थे. इसके बाद लोकसभा चुनाव 1980 में संजय गांधी एक बार फिर से अमेठी सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में कूदे थे और जीत हासिल की थी. हालांकि इसी साल दुर्घटना में उनका निधन हो गया था.
5. राजीव गांधी
संजय गांधी के असमय निधन के बाद न चाहते हुए भी राजीव गांधी ने राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा था. साल 1981 में हुए अमेठी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में राजीव गांधी ने कांग्रेस के टिकट से जीत हासिल कर अपनी चुनाव पारी की शुरुआत की थी. वह इस सीट से 1984 और 1989 में भी सांसद बने थे. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद साल 1984 में राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री चुने गए थे.
6. मेनका गांधी
मेनका गांधी के साथ संजय गांधी ने साल 1974 में लव मैरिज की थी. संजय गांधी की मौत के बाद इंदिरा गांधी ने अनबन के बाद मेनका को घर से निकाल दिया था. इसके बाद मेनका ने कांग्रेस से अलग राष्ट्रीय संजय मंच नाम से अपनी पार्टी बनाई और लोकसभा चुनाव 1984 में खुद अमेठी सीट से राजीव गांधी के खिलाफ अपनी चुनावी पारी की शुरुआत की थी.
हालांकि इसमें उन्हें जीत नहीं मिली थी. बाद में मेनका गांधी भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गईं. वह पीलीभीत लोकसभा सीट से दो बार सांसद चुनी गईं. मेनका गांधी ने 1998 में पीलीभीत से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता था. लोकसभा चुनाव 2024 में मेनका गांधी बीजेपी के टिकट से सुल्तानपुर से चुनाव लड़ी थी लेकिन इसमें उन्हें हार का समाना करना पड़ा.
7. सोनिया गांधी
इंदिरा गांधी के बड़े बेटे राजीव गांधी ने 1968 में इटली की मूल निवासी सोनिया गांधी से शादी की थी. सोनिया ने राजीव गांधी से शादी के कई सालों बाद जाकर 1983 में भारत की नागरिकता ली थी. राजीव गांधी की हत्या के करीब 6 साल बाद 1997 में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता सोनिया गांधी ने ली थी. सोनिया गांधी साल 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थीं.
सोनिया गांधी ने अपनी चुनावी पारी की शुरुआत साल 1999 में कांग्रेस की पारंपरिक अमेठी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़कर किया था. सोनिया गांधी 1999 में सांसद निर्वाचित होने के बाद लोकसभा में विपक्ष की नेता भी रहीं. अमेठी के बाद सोनिया गांधी साल 2004 में रायबरेली से सांसद चुनी गईं और 2024 तक यहां से सांसद रहीं. वर्तमान में वह राज्यसभा सदस्य हैं.
8. राहुल गांधी
राहुल गांधी ने अपनी चुनावी पारी का आगाज लोकसभा चुनाव 2004 में किया था. अमेठी की जनता ने उन्हें अपना सांसद चुना था. इसके बाद लगातार तीन लोकसभा चुनावों में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर अमेठी से जीत दर्ज की. लोकसभा चुनाव 2019 में वह अमेठी लोकसभा सीट से हार गए. बीजेपी उम्मीदवार स्मृति ईरानी इस सीट से जीत दर्ज करने में सफल हुईं.
हालांकि राहुल गांधी लोकसभा चुनाव 2019 में अमेठी के अलावा केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ा था. वह वायनाड से जीत दर्ज करने में सफल हुए थे. लोकसभा चुनाव 2024 राहुल गांधी ने वायनाड और रायबरेली सीट से चुनाव लड़ा था और दोनों जगहों से जीत हासिल की है. अब वह रायबरेली सीट छोड़ने जा रहे हैं.
9. वरुण गांधी
संजय और मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी ने वैसे तो मां मेनका गांधी के साथ चुनावी प्रचार के समय से ही सियासत में कदम रख दिया था. वरुण गांधी साल साल 2004 में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी. कुछ दिनों के बाद वरुण बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बना दिए गए. सिर्फ 29 साल की उम्र में वरुण गांधी पीलीभीत लोकसभा सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे. इसके बाद वरुण गांधी सुल्तानपुर सीट से सांसद चुने गए. हालांकि लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने वरुण गांधी का टिकट काट दिया था.
10. प्रियंका गांधी
अब नेहरू-गांधी परिवार से प्रियंका गांधी अपनी चुनावी पारी शुरू करने जा रही हैं. उन्होंने वायनाड सीट से उपचुनाव लड़ने का फैसला किया है. हालांकि प्रियंका गाधी राजनीति के क्षेत्र में बहुत पहले से सक्रिय हैं. वह कई चुनावों से रायबरेली में अपनी मां सोनिया गांधी के लिए चुनाव प्रचार करती रही हैं.प्रियंका गांधी कांग्रेस पार्टी की महासचिव भी रह चुकी हैं.
वह उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की कमान संभाल चुकी हैं. प्रियंका गांधी ने कई बार चुनाव लड़ने की इच्छा सार्वजनिक मंचों से प्रकट की थी. 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने नारा दिया था-‘लड़की हूं…लड़ सकती हूं’. अब जाकर प्रियंका गांधी की मुराद पूरी होने जा रही है. वह वायनाड सीट से चुनाव लड़ेंगी.