गज, अश्व, गरुड़, मकर, शार्दूल और हंस… आखिर क्यों संसद भवन में बनाए गए हैं इन जानवरों के द्वार, इनका क्या मतलब है?

New Parliament Gates: नए संसद भवन का उद्घाटन विशेष धूमधाम से हुआ था. इसकी वास्तुकला के साथ छह द्वारों पर स्थापित मूर्तियों ने भी ध्यान खींचा. ये मूर्तियां भारतीय पौराणिक कथाओं और संस्कृति से प्रेरित हैं और ताकत, ज्ञान और एकता जैसे मूल्यों का प्रतीक हैं.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 2:00 PM IST
  • संसद भवन में बनाए गए हैं जानवरों के द्वार
  • संसद के छह द्वार का है अपना महत्व

हाल ही में भारतीय संसद के मकर द्वार पर एनडीए और विपक्ष के सांसदों के बीच झड़प हुई. इसने न केवल राजनीतिक तनाव पैदा कर दिया है, बल्कि नए संसद भवन के छह द्वारों की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्ता को भी चर्चा में ला दिया. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सख्त निर्देश जारी करते हुए कहा कि संसद के किसी भी गेट पर विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी. यह झड़प तब हुई जब विपक्षी सांसदों ने गृह मंत्री अमित शाह की बी.आर. आंबेडकर पर की गई टिप्पणी का विरोध किया. 

संसद के छह द्वार और उनका महत्व
नए संसद भवन का उद्घाटन विशेष धूमधाम से हुआ था. इसकी वास्तुकला के साथ छह द्वारों पर स्थापित मूर्तियों ने भी ध्यान खींचा. ये मूर्तियां भारतीय पौराणिक कथाओं और संस्कृति से प्रेरित हैं और ताकत, ज्ञान और एकता जैसे मूल्यों का प्रतीक हैं. इसमें गज द्वार, अश्व द्वार, गरुड़ द्वार, मकर द्वार, शार्दूल द्वार और हंस द्वार शामिल हैं. हालांकि, इन सबका अपना अलग महत्व है.

1. गज द्वार (हाथी द्वार)
गज द्वार उत्तर दिशा में स्थित है और यहां दो बड़े हाथियों की मूर्तियां हैं. भारतीय संस्कृति में हाथी को ज्ञान, बुद्धिमत्ता, स्मृति और संपत्ति का प्रतीक माना गया है. यह भगवान गणेश का प्रतिनिधित्व करता है, जो बाधाओं को दूर करने वाले और समृद्धि लाने वाले देवता हैं. उत्तर दिशा का संबंध बुध ग्रह से है, जो बुद्धिमत्ता और रणनीतिक सोच को दिखाता है. 

2. अश्व द्वार (घोड़ा द्वार)
अश्व द्वार दक्षिण दिशा में स्थित है और यहां घोड़ों की मूर्तियां हैं. घोड़ा धैर्य, ताकत और गति का प्रतीक है. यह निरंतर प्रगति और सार्वजनिक हित के लिए अडिग प्रयासों का प्रतिनिधित्व करता है. इस द्वार की प्रेरणा ओडिशा के सूर्य मंदिर से ली गई है. यह द्वार संसदीय कार्यों में ऊर्जा और जनता की सेवा के लिए अटूट समर्पण का संदेश देता है.

3. गरुड़ द्वार 
पूर्वी औपचारिक प्रवेश पर गरुड़ द्वार स्थित है, जो गरुड़ की मूर्तियों से सुसज्जित है. गरुड़ भगवान विष्णु के वाहन हैं और आशा, विजय और विष के नाश का प्रतीक हैं. वेदों में गरुड़ को संरक्षक माना गया है, जो शुद्धता और समृद्धि सुनिश्चित करते हैं. यह द्वार भारतीय जनता की आकांक्षाओं और चुनौतियों पर विजय पाने के लिए अच्छी शासन प्रणाली का प्रतीक है.

4. मकर द्वार (मगरमच्छ द्वार)
मकर, जो एक पौराणिक जलजीव है, मकर द्वार पर स्थापित है. यह विविधता में एकता का प्रतीक है, क्योंकि इसका शरीर अलग-अलग जीवों के अंगों से मिलकर बना है. मकर भगवान वरुण और माता गंगा का वाहन है, जो जल और जीवन का प्रतिनिधित्व करता है. इस द्वार की प्रेरणा कर्नाटक के होयसलेश्वर मंदिर से ली गई है.

5. शार्दूल द्वार (शेर द्वार)
शार्दूल, जो एक पौराणिक शेर जैसा जीव है, शार्दूल द्वार पर स्थापित है. यह शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक है. यह देवी दुर्गा का वाहन है और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है. ग्वालियर के गुजरी मंदिर से प्रेरित इस द्वार की मूर्तियां सांसदों को जनता की सेवा में दृढ़ता और शक्ति की याद दिलाती हैं.

6. हंस द्वार (सारस द्वार)
उत्तर-पूर्वी सार्वजनिक प्रवेश पर स्थित हंस द्वार में हंस की मूर्तियां हैं. हंस माता सरस्वती का वाहन है, जो ज्ञान और शांति का प्रतीक है. यह सत्य और असत्य के बीच अंतर करने की क्षमता का भी प्रतीक है. यह द्वार, जो कर्नाटक के विजय विट्ठल मंदिर से प्रेरित है, संसद को एक ऐसे स्थान के रूप में चित्रित करता है, जहां संतुलित और विवेकपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं.

आध्यात्मिक और पौराणिक महत्व
संसद भवन के द्वार केवल वास्तुकला का हिस्सा नहीं हैं; वे भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं. प्रत्येक द्वार पर स्थापित पशु भारतीय ग्रंथों में बताए गए मूल्यों का प्रतीक हैं. ये सांसदों को शांति, शक्ति और एकता के आदर्शों की ओर प्रेरित करते हैं. वास्तु शास्त्र पर आधारित ये मूर्तियां सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने में सहायक मानी जाती हैं.

नए संसद भवन के छह द्वार केवल सजावट के लिए नहीं हैं, वे भारत की आत्मा के प्रतीक हैं, जो सांसदों को ईमानदारी, बुद्धिमत्ता और एकता के साथ शासन करने के लिए प्रेरित करते हैं.


 

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