WHO ने कोविड के नए सब-वेरिएंट को बताया 'variant of interest'...कितना है खतरनाक और क्या रखनी है सावधानियां

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मंगलवार को JN-1 कोरोना वायरस स्ट्रेन को ‘वेरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में क्लासिफाइड किया है. भारत में जेएन.1 का पहला मामला आठ दिसंबर को केरल की एक महिला से लिए गए नमूने में पाया गया था, जिसे हल्के लक्षण थे.

JN.1
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 20 दिसंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST

कोरोना वायरस के नए सब वेरिएंट ने एक बार फिर से सभी के माथे पर चिंता की लकीरें उकेर दी हैं. कई राज्यों में इसे लेकर एलर्ट जारी किया गया है. भारत में भी इस सब वेरिएंट का एक मामला केरल से चुका है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)ने मंगलवार को जेएन.1 कोरोना वायरस स्ट्रेन को "variant of interest" के रूप में वर्गीकृत किया है. स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि इससे सार्वजनिक स्वास्थ्य को ज्यादा खतरा नहीं है. लेकिन चूंकि मौसम बदल रहा है इसलिए संक्रमण के फैलने का खतरा ज्यादा है.

डब्ल्यूएचओ ने कहा, "अभी तक मिले मामलों और स्थिति के मद्देनजर जेएन.1 स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं है. मौजूदा वैक्सीन इसमें कारगार है और इसके जोखिम से मरीजों को बचाती हैं." WHO लगातार मामलों की निगरानी रख रहा है. डब्ल्यूएचओं ने लोगों के लिए एडवाइजरी भी जारी की है. इसमें कहा गया कि लोग भीड़-भाड़ वाले, बंद या खराब हवा वाले इलाकों में मास्क पहनें. साथ ही सुरक्षित दूरी बनाकर रखें. 

पहली बार कब आया था मामला
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने कहा कि मौजूदा टीके जेएन.1 और COVID​​​​-19 वायरस के अन्य सर्कुलेटिंग वेरिएंट से होने वाली गंभीर बीमारी और मृत्यु से रक्षा करते हैं. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि एजेंसी के नवीनतम अनुमानों के अनुसार, 8 दिसंबर तक संयुक्त राज्य अमेरिका में सबवेरिएंट जेएन.1 अनुमानित 15% से 29% मामलों का कारण बनता है.

इसमें कहा गया है कि वर्तमान में इस बात का कोई सबूत नहीं है कि JN.1 वर्तमान में प्रसारित अन्य वेरिएंट की तुलना में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए एक बढ़ा जोखिम है. एक अपडेटेड शॉट अमेरिकियों को वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षित रख सकता है. सीडीसी के अनुसार, जेएन.1 का पहली बार सितंबर में अमेरिका में पता चला था.

 

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