सभी धर्मों में नया साल एक उत्सव की तरह अलग-अलग अंदाज में मनाया जाता है. कोई नाच-गाकर तो कोई पूजा कर नववर्ष का स्वागत करता है. हर धर्म में नववर्ष की तिथि अलग मानी गई है. भारत में एक साल में पांच बार New Year मनाया जाता है. दुनिया में सबसे अधिक देशों में ईसाई नव वर्ष मनाए जाने की परंपरा है. ईसाई वर्ष एक जनवरी से शुरू होकर 31 दिसंबर तक 12 महीनों में बंटा हुआ है. एक जनवरी को सभी देशों में नए साल की धूम रहती है.
ईसाई नववर्ष
नववर्ष के दिन प्रत्येक इंसान चाहे कहीं भी हो अपने आपको को उत्साहित, प्रफुल्लित व नई ऊर्जा से ओतप्रोत महसूस करता है. 1 जनवरी से शुरू होने वाला कैलेंडर तो ग्रिगोरियन कैलेंडर है. इसकी शुरुआत 15 अक्टूबर 1582 को इसाई समुदाय ने क्रिसमस की तारीख निश्चित करने के लिए की थी क्योंकि इससे पहले 10 महीनों वाले रूस के जूलियन कैलेंडर में बहुत सी कमियां होने के कारण हर साल क्रिसमस की तारीख निश्चित नहीं होती थी. इस उलझन को सुलझाने के लिए 1 जनवरी को ही इन लोगों ने नववर्ष मनाना शुरू कर दिया।
हिंदू नववर्ष
हिंदू नववर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है. इसे हिंदू नव संवत्सर या नया संवत भी कहते हैं. ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी. इसी दिन से विक्रम संवत के नए साल की शुरुआत होती है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह तिथि अप्रैल में आती है. इसे गुड़ी पड़वा, उगादी आदि नामों से भारत के कई क्षेत्रों में मनाया जाता है.
पारसी नववर्ष
पारसी धर्म का नया वर्ष नवरोज उत्सव के रूप में मनाया जाता है. आमतौर पर 19 अगस्त को नवरोज का उत्सव मनाया जाता है. 3000 वर्ष पूर्व शाह जमशेदजी ने नवरोज मनाने की शुरुआत की थी.
पंजाबी नववर्ष
पंजाब में नया साल वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है. यह पर्व अप्रैल में मनाया जाता है. सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार होली के दूसरे दिन से नए साल की शुरुआत मानी जाती है.
जैन नववर्ष
जैन नववर्ष दीपावली के अगले दिन से शुरू होता है. इसे वीर निर्वाण संवत भी कहा जाता है. इसी दिन से जैनी अपना नया साल मनाते हैं.