Bihar CM Nitish Kumar: बिहार में फिर नीतीशे कुमार... 9वीं बार ली सीएम पद की शपथ, Vijay Sinha और Samrat Chaudhary बने डिप्टी सीएम, देखें लिस्ट 

Bihar Oath Ceremony: नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद फिर से सीएम पद की शपथ ले ली है. वह 9वीं बार मुख्यमंत्री बने हैं. विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली.

CM Nitish Kumar, Vijay Sinha and Samrat Chaudhary
मिथिलेश कुमार सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 28 जनवरी 2024,
  • अपडेटेड 7:48 PM IST
  • सीएम नीतीश कुमार के साथ 8 मंत्रियों ने ली शपथ
  • जातिगत समीकरण का रखा गया ध्यान

Nitish Cabinet Minister List: बिहार में एक बार फिर से रविवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी. नीतीश कुमार ने 9वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके साथ बीजेपी के कोटे से विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली. आइए जानते हैं इनके अलावा किन-किन नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली और इसमें जातिगत समीकरण का कैसे ख्याल रखा गया है.

किस पार्टी और जाति से कितने बने मंत्री
दो कुर्मी, दो भूमिहार, एक राजपूत, एक यादव, एक दलित, एक अति पिछड़ा और एक कुशवाहा जाति के नेता को मंत्री बनाया गया है. नीतीश कुमार जदयू से मुख्यमंत्री बने हैं. सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने बीजेपी कोटे से उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इनके अलावा भाजपा से डॉ. प्रेम कुमार मंत्री, जदयू से विजय कुमार चौधरी, विजेन्द्र प्रसाद यादव और श्रवण कुमार को मंत्री बनाया गया है. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) से संतोष कुमार सुमन मंत्री बने हैं. निर्दलीय विधायक सुमित कुमार सिंह को भी मंत्री बनाया गया है. राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सभी को पद की शपथ दिलाई.

कब-कब सीएम की कुर्सी पर बैठे नीतीश कुमार
1. नीतीश कुमार पहली बार मार्च 2000 में सीएम बने थे.
2. दूसरी बार नवंबर 2005 में मुख्यमंत्री बने थे.
3. तीसरी बार नवंबर 2010 में सीएम बने थे.
4. चौथी बार फरवरी 2015 में मुख्यमंत्री बने थे.
5. 5वीं बार नवंबर 2015 में सीएम बने थे.
6. 6वीं बार जुलाई 2017 में मुख्यमंत्री बने थे.
7. 7वीं बार नवंबर 2020 में सीएम बने थे.
8. 8वीं बार अगस्त 2022 में मुख्यमंत्री बने थे.
9. 9वीं बार 28 जनवरी 2024 को सीएम की कुर्सी पर बैठे हैं. 

नीतीश कुमार ने तोड़े रिकॉर्ड
नीतीश कुमार का जन्म 1951 में बख्तियारपुर में हुआ था. उनके पिता एक वैद्य थे और इसके अलावा वह स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय रहे. नीतीश कुमार ने पहली बार लोक दल से चुनाव लड़ा था. नीतीश कुमार ने 9वीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. नीतीश बिहार के अकेले मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने इतनी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. वह अब तक के सबसे लंबे समय तक बिहार के मुख्यमंत्री बनने वाले पहले नेता हैं. उनके बाद श्री कृष्ण सिन्हा बिहार में सबसे लंबे समय तक लगभग 13 साल तक सीएम रहे. 

6 बार बीजेपी के समर्थन से बने सीएम
नीतीश कुमार ने 6 बार भारतीय जनता पार्टी के समर्थन के साथ और तीन बार आरजेडी के समर्थन के साथ मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. कांग्रेस की लहर में भी उन्होंने 1985 में हरनौत सीट से विधानसभा का चुनाव जीता था. इसके पांच साल बाद लोकसभा का चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंच गए. पहली बार मुख्यमंत्री बनने के बाद ही उनकी सुशासन बाबू की छवि बनने लगी थी. नीतीश कुमार ने 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ चुनाव लड़ा लेकिन जेडीयू को महज 45 सीटें मिलीं. 2022 में उन्होंने भाजपा को छोड़कर आरजेडी के साथ सरकार बना ली. अब एक बार फिर वह एनडीए में वापस आ गए हैं.

कौन हैं सम्राट चौधरी
सम्राट चौधरी बिहार के नए डिप्टी सीएम बने हैं. सम्राट चौधरी का जन्म 16 नवंबर 1968 को मुंगेर के लखनपुर गांव में हुआ था. सम्राट चौधरी, शकुनी चौधरी के बेटे हैं. बिहार की राजनीति में शकुनी चौधरी बड़ा नाम रहे हैं. बिहार में कुशवाहा समाज के बड़े नेताओं में शकुनी चौधरी शुमार किए जाते हैं. अब सम्राट चौधरी अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. 

साल 1990 में सक्रिय राजनीति में उतरने वाले सम्राट चौधरी ने अपने करियर की शुरुआत राष्ट्रीय जनता दल से की थी. 1999 में बिहार की राबड़ी सरकार में सम्राट चौधरी कृषि मंत्री भी रहे. हालांकि उनकी कम उम्र को लेकर विवाद हुआ और उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया. 2018 में सम्राट चौधरी ने राजद से नाता तोड़कर भाजपा की सदस्यता ली. भाजपा में आने के बाद से सम्राट चौधरी का राजनीतिक कद लगातार बढ़ता गया और पार्टी ने साल 2022 में उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया. 

कौन हैं विजय सिन्हा 
विजय सिन्हा ने भी बिहार के डिप्टी सीएम पद की शपथ ली है. भूमिहार समुदाय से आने वाले विजय सिन्हा बीजेपी के जाने माने नेता हैं. महागठबंधन से पहले बिहार में जब NDA की सरकार थी तो उस दौरान  विजय सिन्हा को बिहार विधानसभा का अध्यक्ष चुना गया था. RSS बैकग्राउंड से आने वाले विजय सिन्हा का जन्म लखीसराय के तिलकपुर में 5 जून 1967 को हुआ था. उनके पिता स्व. शारदा रमण सिंह पटना के बाढ़ (बिहार का एक शहर) स्थित बेढ़ना के हाई स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक थे. 

उनकी मां का नाम स्व. सुरमा देवी है. 2005 मार्च में विजय सिन्हा पहली बार लखीसराय से विधायक चुने गए थे. लखीसराय सीट से लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं. इससे पहले संगठन के अलग-अलग कामों एक्टिव रहे थे. साल 2000 में विजय सिन्हा को भारतीय जनता युवा मोर्च (BJYM) के प्रदेश संगठन के प्रभारी की जिम्मेदारी मिली थी. 2004 में बीजेपी के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बने, बीजेपी के किसान मोर्चा के प्रदेश महामंत्री बने, फिर बीजेपी ने उन्हें बेगुसराय और खगड़िया जिला का क्षेत्रीय प्रभारी भी बनाया था. विजय सिन्हा नीतीश सरकार में मंत्री पद पर रह चुके हैं. 

प्रेम कुमार गया से 8 बार रह चुके हैं विधायक
68 साल के डॉ. प्रेम कुमार गया से 8 बार विधायक रह चुके हैं. वह भाजपा कोटे से मंत्री बने हैं. प्रेम कुमार चंद्रवंशी समाज से हैं. मगध विश्वविद्यालय से इतिहास में पीएचडी हैं. प्रेम कुमार ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य के रूप में छात्र राजनीति में कदम रखा था. 1990 में पहली बार गया टाउन विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने थे. 2005 से 2008 तक लोकस्वास्थ्य विभाग, 2008- 2010 तक लोक निर्माण विभाग, 2010 से 2013 तक नगर विकास विभाग, 2015 से 2017 तक विपक्ष के नेता और 2017 से 2020 तक कृषि, पशुपालन और मत्स्य मंत्री रहे.

विजय कुमार चौधरी हैं नीतीश के विश्वासपात्र 
विजय कुमार चौधरी का जन्म 8 जनवरी 1957 को बिहार के समस्तीपुर जिले में एक भूमिहार परिवार में हुआ था. 66 साल के विजय चौधरी समस्तीपुर जिले के सरायरंजन विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं. वह 1982 से बिहार विधानसभा सदस्य हैं. 1982 में पिता के निधन के बाद विजय कुमार चौधरी ने बैंक की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस के टिकट पर दलसिंहसराय उप-चुनाव में जीतकर पहली बार विधायक बने. चौधरी 1985 और 1990 में कांग्रेस के टिकट पर लगातार तीन बार विधायक बने.

इसके बाद 2000 से 2005 तक वह बिहार कांग्रेस के महासचिव रहे. 2005 में वे नीतीश कुमार के साथ जुड़ गए. 2005 में वो सरायरंजन से जदयू के टिकट पर चुनाव लड़े और चौथी बार विधायक बने. इसी साल नीतीश ने उन्हें जल संसाधन मंत्री बना दिया. वो 2015 और 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में भी सरायरंजन से जीते. विजय चौधरी की पहचान एक कुशल प्रशासक और स्वच्छ छवि वाले मृदुभाषी व्यक्ति के रूप में की जाती है. वह नीतीश कुमार के करीबी विश्वासपात्र हैं.

बिजेंद्र प्रसाद यादव सुपौल से लगातार 30 सालों से हैं विधायक 
77 साल के बिजेंद्र प्रसाद यादव जेडीयू के कद्दावर नेता माने जाते हैं. वह सुपौल से 30 साल से लगातार विधायक हैं. वह राजनीति में वर्ष 1967 में आए. 1990 में पहली बार विधायक बने. 1998 से 2000 तक बिहार विधान सभा में ध्यानाकर्षण समिति के सभापति रहे. वह अब तक 10 बार बिहार सरकार में मंत्री रह चुके हैं. बिजेंद्र प्रसाद यादव के पिता गांव के मुखिया थे.

सुमित कुमार सिंह हैं निर्दलीय विधायक
सुमित कुमार सिंह का जन्म जमुई जिले के पकरी गांव में 24 अगस्‍त 1980 को हुआ था. वह पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह के पुत्र और स्वतंत्रता सेनानी एवं पूर्व मंत्री स्वर्गीय श्री कृष्ण सिंह के पौत्र हैं. लिहाजा राजनीति इन्हें विरासत में मिली है. 39 वर्षीय सुमित सिंह चकाई विधानसभा से तीन बार चुनाव लड़े हैं और दो बार विजयी हुए हैं. सुमित सिंह ने पहली बार 2010 में चकाई विधानसभा से जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जीत हासिल की थी.  2020 के चुनाव में भी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे और चकाई से जीत हासिल की. 2020 में वह बिहार में निर्दलीय विधायक बनने वाले एकलौते विधायक थे. वह नीतीश कैबिनेट में मंत्री थे. वह इससे पहले एनडीए सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं. वह नीतीश के नए मंत्रिमंडल में सबसे युवा चेहरे के तौर पर शामिल हुए हैं.

संतोष कुमार सुमन फिर बने मंत्री
बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष संतोष सुमन मांझी फिर से बिहार सरकार में मंत्री बनाए गए हैं. इसके पहले भी वह बिहार सरकार में लघु सिंचाई, अनुसूचित जाति और जनजाति कल्याण मंत्री रह चुके थे. वह हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा का प्रतिनिधित्व करते हैं. वह अभी विधान परिषद के सदस्य हैं. 

श्रवण कुमार नालंदा से सात बार रहे हैं विधायक
श्रवण कुमार की उम्र 61 साल है. जेपी आंदोलन से राजनीतिक करियर शुरू किए थे. 1995 में पहली बार नालंदा विधानसभा से चुनाव जीते थे और इसके बाद से लगातार जीत हासिल कर रहे हैं. वह नालंदा से सात बार विधायक रहे हैं. वह जेडीयू की बिहार यूनिट के मुखिया हैं. श्रवण कुमार सीएम नीतीश कुमार के भरोसेमंद सिपहसालार हैं. 

किस पार्टी के पास हैं कितने विधायक
राजद के पास 79 सीट, बीजेपी के पास 78, जद (यू) के पास 45, कांग्रेस के पास 19, सीपीआई (एम-एल) के पास 12, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के पास 4, सीपीआई के पास 2, सीपीआई (एम) के पास 2, एआईएमआईएम के पास 1 और 2 निर्दलीय. नीतीश कुमार की जदयू और भाजपा के पास कुल मिलाकर 123 विधायक हैं. यह सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत के आंकड़े 122 से केवल एक अधिक हैं. भाजपा को हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का भी समर्थन प्राप्त है, जिसके 4 विधायक हैं. एनडीए को एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन प्राप्त है. इस तरह बीजेपी-जदयू नीत गठबंधन के पास 128 विधायक हैं. 


 

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