Free Train in India: इस ट्रेन में सफर करने पर नहीं देना है किराया, 73 सालों से चल रहा है ये नियम

ये ट्रेन पिछले 73 सालों से चल रही है, 1949 में इसे पहली बार चलाया गया था. इस ट्रेन से 25 गावों के लगभग 300 लोग रोजाना सफर तय करते हैं. इस ट्रेन से सबसे ज्यादा फायदा छात्रों को होता है.

इस ट्रेन में सफर करने पर नहीं देना है किराया
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 8:28 AM IST
  • हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बॉर्डर पर चलती है ट्रेन
  • 1949 में पहली बार चली थी ट्रेन

भारत का रेलवे नेटवर्क दुनिया का चौथा सबसे बड़ा नेटवर्क है. रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में कुल 12,167 पैसेंजर ट्रेनें और 7,349 मालगाड़ी ट्रेनें हैं. आपको बता दें कि भारतीय रेल में रोजाना उतने यात्री सफर करते हैं, जितनी ऑस्ट्रेलिया की पूरी आबादी है. आंकड़ों में देखा जाए तो लगभग 2 करोड़ 30 लाख से ज्यादा यात्री रोजाना ट्रेन में सफर करते हैं. हम सभी जानते हैं कि ट्रेन में अलग-अलग कैटेगरी के हिसाब से किराया भी होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक ट्रेन ऐसी भी है, जो फ्री में लोगों को ट्रैवल कराती है. आइए आपको इस फ्री ट्रेन के बारे में बताते हैं.

हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बॉर्डर पर चलती है ट्रेन
ये ट्रेन हिमाचल प्रदेश और पंजाब के बॉर्डर पर चलती है. अगर आप भाखड़ा नंगल डैम देखना चाहते हैं ,तो आप इस फ्री ट्रेन में सफर कर सकते हैं. ये नंगल से भाखड़ा डैम तक चलती है. इस ट्रेन में लगभग 25 गांवों से लोग 73 साल से फ्री में ट्रैवल कर रहे हैं. अब आपके दिमाग में ये सवाल जरूर आ रहा होगा, कि इसमें फ्री में सफर करना कैसे मुमकिन है, या फिर क्या रेलवे इसकी अनुमति देता है. 

1949 में पहली बार चली थी ट्रेन
आपको बता दें कि ये ट्रेन पिछले 73 सालों से चल रही है. 1949 में इसे पहली बार चलाया गया था. इस ट्रेन से 25 गावों के लगभग 300 लोग रोजाना सफर तय करते हैं. इस ट्रेन से सबसे ज्यादा फायदा छात्रों को होता है. ये ट्रेन नंगल से डैम तक चलती है और दिन में दो चक्कर लगाती है. इस ट्रेन में सफर करते वक्त आपको ना तो कोई टीटीई मिलेगा, ना ही कोई हॉकर. यहां तक की इसके सभी कोच लकड़े के बने हैं. 

भाखड़ा डैम की जानकारी देने के लिए चलाई गई ट्रेन
इस ट्रेन को पहली बार भाखड़ा डैम की जानकारी देश की भावी पीढ़ी को देने के उद्देश्य से चलाया गया था. जिससे देश की आने वाली पीढ़ी ये जान सके कि इस ट्रेन को कैसे बनाया गया था. इसको बनाते समय कितनी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड इस ट्रेन का संचालन करता है. इस ट्रेन का रेलवे ट्रैक भी पहाड़ों को दुर्गम रास्तों को काटकर बनाया गया था.

डीजल से चलती है ट्रेन
आपको बता दें कि ये ट्रेन डीजल इंजन से चलती है, और एक दिन में इसमें करीब 50 लीटर डीजल की  खपत होती है. खास बात ये है कि एक बार अगर इसका इंजन स्टार्ट होता है, तो वापस भाखड़ा डैम आकर ही रुकता है. इस ट्रेन से भाखड़ा के आसपास के गांव बरमला, ओलिंडा, नेहला भाखड़ा, हंडोला, स्वामीपुर, खेड़ा बाग, कालाकुंड, नंगल, सलांगड़ी के साथ-साथ आसपास को लोग सफर करते हैं.

इस ट्रेन का टाइमिंग भी जान लीजिए
दरअसल ये ट्रेन सुबह 7.05 पर नंगल से चलती है और 8.20 पर भाखड़ा डैम से नंगल की ओर वापस जाती है. दोपहर में एक बार फिर ये ट्रेन 3:05 पर ये नंगल से चलती है और शाम 4:20 पर ये भाखड़ा डैम से वापस नंगल की ओर जाती है. नंगल से भाखड़ा डैम तक ट्रैवल करने में इस ट्रेन को लगभग 40 मिनट लगते हैं. बता दें कि जब ये ट्रेन चली थी, तब इसमें 10 बोगियां थी, लेकिन अब इसमें केवल 3 बोगियां हैं, जिसमें एक डिब्बा पर्यटकों के लिए और एक डिब्बा महिलाओं के लिए आरक्षित है.  


 

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