Har Ghar Tiranga: अब दिन-रात कभी भी फहरा सकेंगे तिरंगा, कब अस्तित्व में आया झंडा, क्या है तीन रंगों का महत्व

आजादी का अमृत महोत्वस के तहत सरकार 13 से 15 अगस्त तक ‘हर घर तिरंगा’ कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही है. इसी के तहत तिरंगा फहराने के नियमों में भी बदलाव किए गए हैं.

Tiranga
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 24 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 12:04 PM IST
  • तिरंगा फहराने के नियमों में भी बदलाव किए गए हैं.
  • अब दिन-रात कभी भी फहरा सकेंगे तिरंगा

आजादी की 75वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे भारतीय ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत अब किसी भी वक्त अपने घर में तिरंगा फहरा सकते हैं. केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता दिवस से पहले ‘हर घर तिरंगा समारोह’ (Har Ghar Tiranga Campaign) के लिए तिरंगा फहराने के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किया है.

ध्वज संहिता 2002 में किए गए बदलाव

भारतीय ध्वज संहिता 2002 में इसी हफ्ते संशोधन किए गए हैं. अब भारतीय ध्वज संहिता, 2002 के भाग-दो के पैरा 2.2 के खंड (11) को अब इस तरह पढ़ा जाएगा...‘जहां तिरंगा खुले में प्रदर्शित किया जाता है या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, इसे दिन-रात फहराया जा सकता है.’ अब हाथ या मशीन से बना हुआ कपास/पॉलिएस्टर/ऊन/ रेशमी खादी से बना तिरंगा भी अपने घर पर फहराया जा सकता है. झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए. तिरंगा कभी भी फटा या मैला-कुचैला नहीं फहराया जाना चाहिए. 

पहले क्या था नियम

इससे पहले तिरंगे को केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराने की अनुमति थी. चाहे फिर मौसम कैसा भी हो. पहले, मशीन से बने और पॉलिएस्टर से बने राष्ट्रीय ध्वज को फहराने की अनुमति नहीं थी. भारतीय झंडा संहिता, 2002 में एक आदेश के जरिए संशोधन किया गया है.

क्या है 'हर घर तिरंगा' अभियान 

मोदी सरकार ने आजादी के 75वें साल पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने के दौरान लोगों को तिरंगा घर लाने और इसे फहराने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए "हर घर तिरंगा" अभियान शुरू किया है. इस दौरान 20 करोड़ घर में राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगा. इससे युवाओं में देश प्रेम की भावना पैदा होगी. 

ध्वजारोहण के नियम क्या हैं?

  • भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते और बुने गए ऊनी, सूती, सिल्क या खादी से बना होना चाहिए.

  • झंडे को किसी भी स्थिति में जमीन पर नहीं रखा जाना चाहिए.

  • झंडे पर किसी तरह के अक्षर नहीं लिखे जाने चाहिए.

  • तिरंगे को यूनिफॉर्म के रूप में नहीं पहना जाना चाहिए.

  • झंडे का कमर्शियल इस्तेमाल नहीं कर सकते.

  • कटे-फटे भारत के ध्वज को फहराया नहीं जा सकता.

पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था तिरंगा

देश की आजादी से कुछ दिनों पहले 22 जुलाई 1947 के दिन तिरंगे को आधिकारिक तौर पर फहराया गया था. इसमें तीन रंग थे केसरिया, सफेद और हरा. तिरंगे में अशोक चक्र लगाया गया, जो आजतक चल रहा है. झंडे को इस्तेमाल करने और फहराने को लेकर एंबलम एंड नेम प्रिवेंशन ऑफ प्रॉपर यूज एक्ट 1950 बनाया गया था. तात्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के कमिटी की सिफारिश पर तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया था. तिरंगे को पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था. 

क्या है तीन रंगों का महत्व

तिरंगे में मौजूद केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक माना जाता है, सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतीक है, जबकि हरा रंग संपन्नता का प्रतीक होता है. वहीं अशोक चक्र धर्मचक्र का प्रतीक है. तब से अब तक भारत के झंडे में कोई बदलाव नहीं हुआ है.

 

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