उत्तराखंड का 21 साल का राजनीतिक इतिहास... पांच से ज्यादा नहीं रही महिला विधायकों की संख्या

उत्तराखंड राज्य की मांग उठने से लेकर राज्य की स्थापना तक पहाड़ों की महिलाओं ने आगे रहते हुए सड़कों पर आंदोलन किया लेकिन, जब बात चुनावों की आती है तो महिलाओं की आवाज दबकर रह जाती है. 2002 से लेकर 2017 तक के आंकड़ें.

उत्तराखंड महिला विधायक
तनुजा जोशी
  • नई दिल्ली,
  • 29 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 6:26 PM IST
  • उत्तराखंड की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कम
  • पांच से ज्यादा नहीं रही महिला MLAs की संख्या

उत्तराखंड 21 बरस का हो चुका है. इस दौरान राज्य ने कई तरह के विकास भी देखें हैं लेकिन, राजनीति में महिलाओं की भागीदारी की बात करें तो आज भी हालात जस के तस हैं. उत्तराखंड के 70 सदस्यीय विधानसभा में पिछले चार चुनाव के दौरान महिला विधायकों की संख्या कभी भी पांच से अधिक नहीं रही, जबकि उत्तराखंड उन चंद राज्यों में से एक है, जहां लिंगानुपात के अनुसार पुरुष जन्मों पर महिलाओं के जन्म का अनुपात अधिक है. इसके बावजूद राजनीति में महिलाओं की भागीदारी कम होना राज्य के लिए काफी निराशाजनक है. 

उत्तराखंड राज्य की मांग उठने से लेकर राज्य की स्थापना तक पहाड़ों की महिलाओं ने आगे रहते हुए सड़कों पर आंदोलन किया लेकिन, जब बात चुनावों की आती है तो महिलाओं की आवाज दबकर रह जाती है. सियासी दलों को केवल उपचुनावों के दौरान दिवंगत नेताओं के नाम पर सहानुभूति वोट जुटाने के समय इनकी याद आती है. आंकड़ों पर अगर नजर डाली जाए तो साफ तौर पर कहा जा सकता है कि पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में जहां महिलाओं को हर क्षेत्र में आगे रखा जाता है वहां चुनावों के दौरान तवज्जो नहीं दी जा रही है. 

2002 में केवल चार महिलाओं का चुनाव 

साल 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में कुल 927 उम्मीदवार मैदान में उतरे, जिसमें से 72 महिलाओं ने भागीदारी दिखाई. इनमें से केवल चार महिलाएं चुनी गईं. इस चुनाव में उम्मीदवार के रूप में विजया बड़थ्वाल (यमकेश्वर) और आशा नौटियाल (केदारनाथ) को बीजेपी के चुनाव चिह्न पर चुना गया, जबकि अमृता रावत (बिरोंखल) और इन्दिरा हृदयेश (हल्द्वानी) ने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की. 

नाम                चुनाव क्षेत्र                 

पार्टी

विजया बड़थ्वाल  यमकेश्वर  भाजपा 
आशा नौटियाल  केदारनाथ  भाजपा 
अमृता रावत  बिरोंखल  कांग्रेस 
इंदिरा हृदयेश हल्द्वानी  कांग्रेस 


2007 में भी नहीं बढ़ा आंकड़ा 

साल 2007 में हुए दूसरे विधानसभा चुनावों में महिला उम्मीदवारों की संख्या में और गिरावट आई (कुल 750 उम्मीदवारों में से केवल 56 महिलाएं) जिसमें से केवल चार ही चुनाव जीत सकीं.  विजया बड़थ्वाल, अमृता रावत और आशा नौटियाल क्रमश: यमकेश्वर, बिरोंखल और केदारनाथ निर्वाचन क्षेत्रों को बरकरार रखने में सक्षम थे, जबकि चंपावत से वीणा महराणा भाजपा के टिकट पर चुनी गईं थी. 

नाम    चुनाव क्षेत्र   पार्टी
विजया बड़थ्वाल यमकेश्वर    भाजपा 
आशा नौटियाल केदारनाथ   भाजपा 
अमृता रावत    बिरोंखल कांग्रेस 
वीणा महराणा  चंपावत   भाजपा 

2012 में पांच महिलाओं ने हासिल की जीत 

वर्ष 2012 के विधानसभा चुनावों में 63 महिला उम्मेदवारों ने भाग लिया, जिसमें से पांच महिलाओं ने जीत हासिल की. इनमें शैला रानी रावत (केदारनाथ), सरिता आर्य (नैनीताल), इन्दिरा हृदयेश (हल्द्वानी) और अमृता रावत (रामनगर) कांग्रेस के टिकट पर निर्वाचित हुईं, जबकि विजया बड़थ्वाल यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार बीजेपी के टिकट पर निर्वाचित हुईं.

 नाम    चुनाव क्षेत्र   पार्टी 
शैला रानी रावत केदारनाथ कांग्रेस  
सरिता आर्य   नैनीताल कांग्रेस  
इंदिरा हृदयेश हल्द्वानी   कांग्रेस  
अमृता रावत    रामनगर कांग्रेस  
विजया बड़थ्वाल यमकेश्वर भाजपा 

         

2017 में नहीं बढ़ा आंकड़ा 

साल 2017 में भी कम प्रतिनिधित्व की कहानी विधानसभा चुनावों में जारी रही, जब पांच महिलाओं ने राज्य विधानसभा में जगह बनाई. रितु खंडुरी (यमकेश्वर), मीना गंगोला (गंगोलिहाट)और रेखा आर्य (सोमेश्वर) भाजपा के टिकट पर निर्वाचित हुईं, जबकि इंदिरा हृदयेश (हल्द्वानी) और ममता राकेश (भगवानपुर) ने कांग्रेस पार्टी से विधानसभा में जगह बनाई. 

नाम चुनाव क्षेत्र पार्टी 
ऋतु खंडूरी यमकेश्वर भाजपा 
मीना गंगोला    गंगोलिहाट भाजपा 
रेखा आर्य  सोमेश्वर भाजपा 
इंदिरा हृदयेश   हल्द्वानी    कांग्रेस 
ममता राकेश    भगवानपुर     कांग्रेस 

उपचुनाव में वोट जुटाने के लिए महिलाओं का सहारा 

उपचुनाव की बात करें तो उपचुनाव के दौरान सियासी दलों को महिला प्रत्याशी की याद आती है, ताकि वह दिवंगत नेता के नाम पर सहानुभूति वोट जुटाने में सफल हो सकें. वर्तमान सदन में कुल पांच में से तीन महिला विधायक अपने पति की राजनैतिक विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. भाजपा ने मगन लाल शाह और प्रकाश पंत के निधन के बाद उनकी पत्नियों (भाजपा विधायक चंद्रा पंत (पिथौरागढ़) और मुन्नी देवी (थराली))को मैदान में उतारा था. वहीं, भगवानपुर से कांग्रेस विधायक ममता राकेश भी अपने पति सुरेंद्र राकेश की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं. 

नाम चुनाव क्षेत्र पार्टी 
मुन्नी देवी शाह थराली     भाजपा 
चन्द्रा पंत पिथौरागढ़    भाजपा 
ममता राकेश    भगवानपुर    कांग्रेस

उत्तराखंड ही नहीं अगर देश की बात की जाए तो भारतीय राजनीति में मतदाता के रूप में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के बावजूद 28 राज्यों वाले देश में आज सिर्फ एक महिला मुख्यमंत्री है. वहीं, विधानसभा और संसद में भी महिलाओं की हिस्सेदारी बेहद धीमी गति से बढ़ रही है. 

 

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