40 साल से कृष्ण की अलग-अलग तरह की मूर्तियों को इकट्ठा कर जन्माष्टमी पर दिखाई कृष्णलीला...कुछ ऐसे हैं 81 साल के एमएस तिरुमालाचर

तिरुमालाचर ने श्री कृष्ण का रुक्मणी के साथ विवाह के पूरे दृश्य को दिखाया है. उनके कमरे में कुछ मूर्तियां तांबे की तो कुछ मूर्तियां चांदी की हैं. उन्होंने सबसे महंगी मूर्ति को 25 हजार रुपये में खरीदी है.

gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 12:46 PM IST
  • बेटी भी करती है मदद
  • मूर्तियों से दिखाई कृष्ण लीला

देश में जन्माष्टमी का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है. श्रीकृष्ण के जन्मदिन पर भक्त खूब जोर- शोर से उनके जन्मदिन की तैयारी करते हैं. श्री कृष्ण के भक्त इस दिन उपवास रखते हैं और भगवान से प्रार्थना करते है. इस बीच बेंगलुरु के रहने वाले एमएस तिरुमालाचर (MS Tirumalachar) ने कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्री कृष्ण की लीला को लगभग 500 मूर्तियों की मदद से दर्शाया है. रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी अपनी पत्नी के साथ सन् 1978  में मल्लेश्वरम (Malleswaram) के बाजारों का दौरा कर रहे थे, वहीं से उन्हें मूर्तियों को इकट्ठा करने की इच्छा शुरू हुई .

मूर्तियों से दिखाई कृष्ण लीला
81 वर्षीय  एमएस तिरुमालाचर दुनिया भर से लगभग 3,000 भगवान श्री कृष्ण की मूर्तियों इकट्ठा कर चुके हैं. चालीस साल तक मूर्तियों को इकट्ठा करने के बाद, आज उनका कमरा श्री कृष्ण की अनोखी मूर्तियों से भरा हुआ है. ये मूर्तियां देवता के जीवन के विभिन्न चरणों को दर्शाती हैं. उनके रिश्तेदार और पड़ोसी उनके इस कलेक्शन को देखकर काफी खुश हैं. तिरुमालाचर ने इन मूर्तियों के जरिए कृष्ण की जीवन लीला के कुछ महत्वपूर्ण समय को दर्शाने की एक कोशिश की है. उन्होंने मूर्तियों की मदद से कृष्ण के पैदा होने के समय से लेकर उस समय उनके माता-पिता द्वारा झेले गए संघर्ष दिखाने की कोशिश की है. इसके साथ ही कृष्ण का नामकरण समारोह, उनका चोरी छुपे माखन खाना,उनका और राधा का बचपन से प्यार भरा रिश्ता जैसी कई सारी कृष्ण लीला दिखाई गई हैं.

बेटी भी करती है मदद
तिरुमालाचर ने श्री कृष्ण का रुक्मणी के साथ विवाह के पूरे दृश्य को भी बनाया है. उन्होंने अलग-अलग पात्रों की मूर्तियों का इस्तेमाल करके उन्हें निर्धारित स्थानों में खड़ा रखकर उनके विवाह को बहुत ही सुंदरता से प्रस्तुत किया है. तिरुमालाचर ने बताया कि उन्होंने कृष्ण जन्माष्टमी के लिए खास तौर पर यह व्यवस्था की है. उनकी बेटी एमटी पदमश्री मूर्तियों का ध्यान रखने में उनकी मदद करती है. उनकी ज्यादातर मूर्तियां मिट्टी की बनी हैं और इको फ्रेंडली होती हैं. उन्होंने अपने कमरे में कुछ तांबे और चांदी की भी मूर्तियां को सजाकर रखा है.

कहा से आया मूर्तियां रखने का ख्याल
तिरुमालाचर अपनी पत्नी के साथ पूजा के लिए खरीदारी कर रहे थे जब उन्हें कृष्ण की एक बहुत ही सुंदर मूर्ति दिखी. बचपन से ही उनके आसपास के लोग श्री कृष्ण की पूजा किया करते थे. वहीं से तिरुमालाचार को मूर्तियों इकट्ठा करने का ख्याल आया. तिरुमालाचर ने अपनी जवानी के समय देश भर में यात्रा की और कई सारी कृष्ण की अदभुत मूर्तियों की दुकानों का पता लगाया. वह मूर्तियों की खरीदारी के लिए द्वारका, चेन्नई, मैसूर और कोलकाता जाते हैं. उनके पास अभी तक कृष्णमूर्ति का सबसे महंगा जोड़ा है, जिसे उन्होंने 25,000 रुपये में खरीदा था. इसमें कृष्ण और रुक्मिणी की तांबे की मूर्तियां हैं. तिरुमालाचर चाहते हैं कि 21वीं सदी की युवा पीढ़ी को भी इस तरह के शौक रखने चाहिए. युवाओं को धार्मिक होना चाहिए और अपने धर्म के बारे में पता होना चाहिए.  

 

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