ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने राज्य के नागरिकों को दिवाली का उपहार दिया है. और यह उपहार अपने आप में एक ऐतिहासिक फैसला है. दरअसल, ओडिशा कैबिनेट ने कॉन्ट्रैक्ट (संविदा) पर होने वाली भर्ती प्रणाली को समाप्त कर दिया है. पटनायक ने हाल ही में, अपने एक भाषण को दौरान में युवाओं को पहले नियमित रोजगार न देने पर खेद जताया और इस फैसले की घोषणा की.
सरकार के इस कदम से 57,000 से अधिक संविदा कर्मचारियों को लाभ होगा. हालांकि, राज्य सरकार को राज्य के खजाने से सालाना 1300 करोड़ रुपये खर्च करने होंगे.
इस अवसर पर बोलते हुए पटनायक ने कहा कि साल 2000 में लोगों के आशीर्वाद से उन्हें ओडिशा की सेवा करने का अवसर मिला. सुपर साइक्लोन के बाद की स्थिति और नाजुक वित्तीय स्थिति सबसे बड़ी चुनौतियां थीं. राज्य ओवरड्राफ्ट पर चल रहा था. सरकार मजदूरी और साधनों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक पर निर्भर थी.
2013 में शुरू हुई संविदा भर्ती प्रणाली
पटनायक का कहना है कि यह ओडिशा की अर्थव्यवस्था के लिए सबसे बुरा समय था क्योंकि फंड्स न होने से राज्य स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढांचे, कृषि, सिंचाई और कई अन्य क्षेत्रों सहित विभिन्न क्षेत्रों में पिछड़ रहा था. तब राज्य सरकार की प्राथमिकता अपने सीमित संसाधनों में इन सभी क्षेत्रों में सुधार लाने की थी.
सरकारी भर्ती उस समय पूरी तरह से रोक दी गई थीं और मजबूर होकर कई सरकारी पदों को खत्म किया गया. लेकिन बेहतर वित्तीय प्रबंधन और सुशासन से स्थिति में धीरे-धीरे सुधार होने लगा और राज्य में 2013 में संविदा भर्ती प्रणाली की शुरुआत हुई थी.
अब मिलेंगी नियमित नौकरियां
पटनायक ने कहा कि अब ओडिशा की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार हुआ है. ओडिशा ने देश में विकास के क्षेत्र में अपनी एक नई पहचान बनाई है। पिछले साल, राज्य की प्रारंभिक नियुक्तियों के साथ संविदा भर्ती पदों को बदल दिया.
अब, राज्य मंत्रिमंडल ने भर्ती की संविदा प्रणाली को स्थायी रूप से समाप्त करने का निर्णय लिया है. आज भी कई राज्यों में नियमित भर्तियां नहीं हो रही हैं और वे अभी भी संविदा भर्ती प्रणाली को जारी रखे हुए हैं. लेकिन ओडिशा में संविदा भर्ती का युग समाप्त हो गया है.
इसके साथ ही, पटनायक ने सभी सरकारी कर्मचारियों से भी ईमानदारी से काम करने की अपील की.