कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, हरिवंश राय बच्चन जी की ये लाइनें उस लड़के के जीवन पर एकदम सटीक बैठती है, जिसने अपनी गरीबी के सामने कभी भी घुटने नहीं टेके. ये कहानी है ओडिशा के बलांगिर जिले के ताराचन राणा की है. ताराचन बचपन से काफी मेधावी छात्र है. उन्होंने जेईई मेन की परीक्षा में 99.36 प्रतिशत अंक प्राप्त किया है. लेकिन गरीबी उनकी तरक्की के आड़े आ रही थी. राणा अपनी गरीबी की मार और आर्थिक समस्या के बीच इंजीनियरिंग की पढ़ाई को पूरा नहीं कर पा रहे थे. जिसके बाद उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखकर आर्थिक मदद की मांग की.
ताराचन की मदद को आगे आए सीएम पटनायक
इस बात की जानकारी मिलते ही नवीन पटनायक ने ताराचन को कॉलेज में नामांकन के लिए 96,500 रुपया की राशि आर्थिक मदद स्वरूप प्रदान किया. साथ ही पटनायक ने जेईई परीक्षा में बेहतरीन अंक प्राप्त करने एवं उज्जवल भविष्य बनाने के लिए बधाई दी. राणा बलांगिर जिले के बड़ापड़ा गांव का निवासी है. राणा को गणित विषय में काफी रुचि है लेकिन गरीब परिवार से आने के कारण वो पर्याप्त शिक्षा संस्थानों एवं सुविधाओं से वंचित रहे. राणा के पिता उपासू राणा महीने में केवल 3 हजार रुपए की कमाई कर पाते है. जिसकी वजह से उच्च शिक्षा प्राप्त करने और इंजिनियरिंग की पढ़ाई का सपना पूरा करना ताराचन के लिए एक बड़ी चुनौती जैसा था.
गरीबी के चलते मुश्किल था इंजिनियरिंग पढ़ना
ताराचन ने जेईई मेन की परीक्षा में बेहतरीन 99.36 अंक प्राप्त किया है. जिसके बाद उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए वारंगल के एनआईटी कॉलेज में दाखिला लेने का मौका मिला. राणा के पिता की मासिक आय कम होने के कारण कॉलेज में दाखिला लेना काफी मुश्किल था. लेकिन ताराचन ने हार नहीं मानी और लोगों से पैसा जुटाने शुरू कर दिया. साथ ही पढ़ाई के लिए कॉलेज से कर्ज भी लिया लेकिन वह पर्याप्त नहीं था. ऐसे में राणा ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखकर इंजीनियरिंग क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक सहायता की मांग की.
सीएम ने दूसरे ही दिन दिया ताराचन के पत्र का जवाब
आजतक से विशेष बातचीत में ताराचन ने कहा कि मैं ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को इंजीनियरिंग की पढ़ाई में आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए धन्यवाद देता हूं साथ ही उनका बहुत आभार प्रकट करता हूं. मैं एक गरीबी परिवार से आता हूं और उच्च शिक्षा के साथ अपने सपनों को पूरा करना चाहता था. हालांकि पैसों की तंगी के कारण कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. कॉलेज में नामांकन के लिए मैंने 35,000 रुपये कर्ज लिया था. लेकिन दुर्भाग्य से नामांकन के लिए पर्याप्त पैसा इकट्ठा नहीं कर पाया. जिसके बाद मैंने 21 नवंबर को मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को पत्र लिखकर अपनी आपबीती सुनाई. 22 नवंबर को मुख्यमंत्री के दफ्तर से मुझे कॉल आया और उन्होंने कॉलेज नामांकन फीस के साथ परिवार के बारे में पूरी जानकारी ली. जिसके बाद मुख्यमंत्री पटनायक ने मुझे कॉलेज में दाखिले के लिए 96,500 रुपया की राशि प्रदान की.