पूरा देश आज आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. कभी आदिवासियों का गढ़ माने जाने वाले मलकानगिरी के दरलाबेड़ में ग्रामीण माओवादी स्मारक के ऊपर तिरंगा फहराया गया. मलकानगिरी को दो दशकों में से अधिक समय से रेड रिबेल्स के लिए जाना जाता है. इसे कभी माओवादी गतिविधियों का केंद्र माने जाने वाले और भाकपा (माओवादी) के एओबीएसजेडसी का मुख्यालय भी माना जाता था. मलकानगिरी जिले के अंतर्गत जंत्री से रालेगड़ा तक स्वाभिमान आंचल (कट-ऑफ क्षेत्र) लाल विद्रोहियों का गढ़ था.
कार्यालय पर करते थे हंगामा
प्रतिबंधित संगठन ने हमेशा स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के उत्सव का विरोध किया था. इसके बजाय विद्रोही काला झंडा फहराते थे. तिरंगा फहराने और अन्य कार्यक्रमों को सरकारी कार्यालय परिसर में करने की अनुमति नहीं थी. इसके बजाय माओवादियों ने इन अवसरों पर व्यापक हिंसा का सहारा लिया. महूपदार-तेमुरुपल्ली अक्ष (तुलसी अक्ष) में भी यही स्थिति रही.
राज्य सरकार ने शुरू की कई योजनाएं
हालांकि, राज्य सरकार, प्रशासन और सुरक्षा बलों के दृढ़ विश्वास और प्रतिबद्धता के कारण, राज्य पुलिस और केंद्रीय बलों दोनों से चीजें नाटकीय रूप से बदल गईं. सुरक्षा और विकास के संदर्भ में पहल की गई, जिसमें क्षेत्रों में सड़कों, दूरसंचार टावरों और बुनियादी ढांचे का निर्माण शामिल है. राज्य सरकार द्वारा स्थानीय ग्रामीणों को स्मार्ट फोन के वितरण सहित कई कल्याणकारी योजनाएं भी शुरू की गईं.
पुलिस ने भी चलाए कई अभियान
कट-ऑफ के सुदूर इलाकों में कई सुरक्षा शिविर स्थापित किए गए, जिसे अब स्वाभिमान आंचल क्षेत्र के रूप में जाना जाता है. पुलिस द्वारा लगातार बड़े पैमाने पर अभियान चलाया गया.
लाल उग्रवादियों ने तेजी से अपनी जमीन खो दी और उन्हें ये क्षेत्र खाली करना पड़ा. चूंकि स्थानीय लोग सरकारी कल्याण कार्यक्रमों से खुश थे और पुलिस के प्रयासों से सुरक्षा की भावना महसूस कर रहे थे इसलिए वो अब हिंसा की विचारधारा के प्रति कटु हो गए हैं. उन्होंने मुख्यधारा में शामिल होकर सरकार का समर्थन करना शुरू कर दिया है.