भारत में ओमान के रहने वाले एक 11 महीने के बच्चे को तीन सफल सर्जरी के बाद सुरक्षित बचा लिया गया. बच्चा प्रोपियोनिक एसिडेमिया नामक एक बीमारी से पीड़ित है, जो एक तरीके का लीवर डिसऑर्डर है जिसके कारण खून में टॉक्सिसिटी हो जाती है. कपल पहले ही इस बीमारी से पीड़ित अपने पांच बच्चों को खो चुका है और कुसाई (Qusai) को भी यही बीमारी थी, जिसके लिए उसका स्पेशल तरीके का लीवर ट्रांसप्लांट करना पड़ा.
सर्जरी में आईं कई दिक्कतें
कुसाई को अक्टूबर में लीवर ट्रांसप्लांट के लिए भारत भेजा गया था. दो महीने के भीतर बच्चे की चार सर्जरी हुईं, जिसमें लीवर ट्रांसप्लांट, मेश प्लेसमेंट, मेश रिप्लेसमेंट और मेश रिमूवल शामिल हैं. लीवर ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया मैक्स हॉस्पिटल के डॉ. सुभाष गुप्ता की देखरेख में की गई. मैक्स साकेत के प्रिंसिपल कंसल्टेंट, पीडियाट्रिक हेपेटोलॉजी डॉ. विक्रम कुमार ने कहा, "हमने अक्टूबर में लीवर ट्रांसप्लांट किया था. ट्रांसप्लांट के बाद हमें कुछ दिक्कतें दिखाई दीं, जिनमें से एक यह थी कि बच्चे का लीवर सिकुड़ रहा था क्योंकि बच्चे को जो लीवर लगाया गया था वह तीन साल की बच्ची का था. इसके बाद हमने एक सर्जरी करके उसे मेश में डाला और फिर तीसरी सर्जरी में उस मेश को हटाया."
डॉ. ने बताया कि कुछ दवाईयों की कीमत बहुत ज्यादा है और वो यहां भारत में नहीं मिलेंगी. उन्हें ओमान से लाना पड़ेगा.
क्यों होती है यह बीमारी?
प्रोपियोनिक एसिडेमिया मेटाबोलिक डिसऑर्डर एक तरीके की जेनेटिक प्रॉब्लम है, जो एंजाइमों की कमी की वजह से होता है. यहां शरीर प्रोटीन और लिपिड (वसा) के कुछ हिस्सों को ठीक से प्रोसेस नहीं कर पाता है. इस विकार को कार्बनिक अम्ल विकार (organic acid disorder)कहा जाता है, जिसके परिणामस्वरूप विशेष अम्लों का असामान्य संचय होता है, जिसे कार्बनिक अम्ल के रूप में जाना जाता है. आहार में बीसीएए के सेवन को बढ़ाकर पीए (Propionic acikdemia) का प्रबंधन किया जा सकता है. यह बीसीएए की कमी वाले आहार को प्रशासित करके किया जाता है. भारत में प्रोपियोनिक एसिडेमिया के बहुत कम मामले पाए जाते हैं.