जहां एक तरफ महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर है. वहीं दूसरी तरफ कई संगठन महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सेवा करने की तैयारियों में जुटे हुए हैं. महाकुंभ को एक तरह से सनातन प्रेमियों के एक साथ एक जगह आने से देखा जाता है. बता दें कि महाकुंभ में लाखों की संख्या में श्रद्धालु अपनी आस्था लेकर पहुंचते हैं और इन्हीं लोगों की सेवा के लिए कई संगठनों ने सेवा के लिए अपनी कमर कस ली है.
आयोजित किए जाएंगे भंडारा
भंडारा जो एक तरफ आस्था का प्रतीक भी है, साथ ही सेवा को भी दर्शाता है, वह महाकुंभ के दौरान काफी बड़ी संख्या में देखने को मिलेगा. प्रयागराज डिविजन के कमिश्नर, विजय विश्वास पंत के अनुसार महाकुंभ में करीब 8000-10000 संगठन भंडारे और लंगर का आयोजन करेंगे. जिसमें ISKCON और ओम नमः शिवाय जैसे संगठन शामिल हैं.
श्रद्धालुओं के लिए और क्या है खास
विजय विश्वास पंत ने बताया की महाकुंभ आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मेला प्रबंधन कमेटी ने सरकारी राशन की दुकानों का भी प्रबंध किया है जिससे यहां आने वाले श्रद्धालु कम पैसे खाने पीने की चीजें खरीद सकें. बताया गया कि ऐसे मौको पर कई लोग भंडारा और लंगर करने के लिए आगे आते है. वह इसे अपनी आस्था और पुण्य के साथ जोड़कर देखते हैं. ऐसे में उन भंडारों को केवल महाकुंभ तक ही सीमित नहीं रखा जाता. उस भंडारों को महाकुंभ के बाहर भी लोगों के लिए खोला जाता है. जैसे कि गली-मौहले में और शहर की सड़कों पर.
महाकुंभ के पहले ही शुरू हुआ लंगर
बताते चले कि जहां महाकुंभ में अभी थोड़ा समय बाकी है. लेकिन कुछ लोगों की आस्था ऐसी भी है जो उन्हें पुण्य करने से रोक नहीं पाती. ऐसे ही है संतोष दास जी महाराज, जिन्होंने दिगांबर अखाड़े के बाहर 1 दिसंबर से ही लोगों के लिए भंडारा लगाना शुरू कर दिया है. महंत गोपाल दास कहते है कि महाकुंभ के अंत तक हम लोगों को भंडारे का खाना खिलाते रहेंगे.
इसी कड़ी में जूना अखाड़े का भंडारा भी 25 मई से शुरू हो जाएगा. श्री हिंगलाज मठ के मृत्युनजय पुरू महाराज ने बताया कि उनका भंडारा रोज सुबह 8-2 और शाम में 4-8 बजे तक लोगों के खुला रहेगा. यहां श्रद्धालु आकर अपना आराम से पेट भर सकेंगे और हमें पुण्य प्राप्त होगा.