मैसूर की महिला मरने के बाद भी बनीं लोगों की उम्मीद, पेश की परोपकारी की मिसाल

ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित नागम्मा को गंभीर हालत में मालवल्ली के सरकारी अस्पताल से गुरुवार को मैसूर के अपोलो बीजीएस अस्पताल लाया गया. उसे दो दिनों के लिए आईसीयू में भर्ती कर दिया गया था और तीसरे दिन, शनिवार को ब्रेन स्टेम फेल होने के कारण उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था.

नागम्मा
gnttv.com
  • मैसूर,
  • 18 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 1:59 PM IST
  • ब्रेन स्टेम फेल होने के कारण हुई मौत
  • अंगों को तुरंत भेजने के लिए बनाया गया ग्रीन कॉरिडोर 

मैसूर से परोपकारी की एक ऐसी मिसाल सामने आई है जिसके बारे में सुनकर आपका दिल भाव-विभोर हो उठेगा।
एक 45 वर्षीय महिला मरते-मरते पांच लोगों के लिए जीने की एक उम्मीद बन कर उभरी हैं. दरअसल मैसूर की 45 वर्षीय नागम्मा के परिवार वालों ने उनकी मृत्यु के बाद एक साहसी फैसला लिया. नागम्मा के परिजनों ने उनके पांच अंग जिसमें दोनों किडनी, लिवर, हार्ट वॉल्व और कॉर्निया शामिल हैं, दान करने का फैसला लिया. 

ब्रेन स्टेम फेल होने के कारण हुई मौत 

ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित नागम्मा को गंभीर हालत में मालवल्ली के सरकारी अस्पताल से गुरुवार को मैसूर के अपोलो बीजीएस अस्पताल लाया गया. उन्हें दो दिनों के लिए आईसीयू में भर्ती कर दिया गया था और तीसरे दिन, शनिवार को ब्रेन स्टेम फेल होने के कारण उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था. जीव सार्थकथे, जिसे पहले अंग प्रत्यारोपण के लिए कर्नाटक की क्षेत्रीय समन्वय समिति के रूप में जाना जाता था के अधिकारियों ने प्रोटोकॉल के अनुसार अंग प्राप्तकर्ताओं की प्रतीक्षा सूची को ध्यान में रखते हुए प्रक्रिया शुरू कर दी.

अंगों को तुरंत भेजने के लिए बनाया गया ग्रीन कॉरिडोर 

शाम करीब 4.30 बजे शनिवार को नागम्मा के अंगों को निकाला गया. नागम्मा की दो किडनियां मैसूर के अपोलो बीजीएस अस्पताल, हृदय वाल्व और लिवर बेंगलुरु के मणिपाल अस्पताल और कॉर्निया  मैसूर आई बैंक को भेजी गईं. अंगदान के लिए आगे आने के लिए अस्पताल के अधिकारियों ने मृतक के परिवार के अलावा ग्रीन कॉरिडोर बनाने के लिए मैसूर शहर और यातायात पुलिस को भी धन्यवाद दिया है.


 

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