2018 की विनाशकारी केरल बाढ़ के बाद स्थानीय मछुआरों द्वारा पकड़ी गई विदेशी मछलियों की कई तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही हैं. इन मछलियों ने केरल विश्वविद्यालय में आक्रामक विदेशी मछलियों (Aggressive Exotic Fishes)की स्टडी करने वाले डॉक्टरेट शोधकर्ता स्मृति राज का ध्यान आकर्षित किया. राज उस टीम का हिस्सा हैं जिसने विदेशी जलीय प्रजातियों की उपस्थिति का डॉक्यूमेंटेशन करने के लिए 2016 से पूरे केरल में मीठे पानी के इको सिस्टम की स्टडी की है.
हाल ही में एक्वाटिक इकोसिस्टम हेल्थ एंड मैनेजमेंट में प्रकाशित उनके निष्कर्ष बताते हैं कि केरल के पानी में 28 विदेशी मछली प्रजातियों और चार विदेशी एक्वेटिक वीड या मैक्रोफाइट्स हैं. भारत में विदेशी प्रजातियों को मुख्य रूप से जलीय कृषि, मछलीघर व्यापार, मच्छरों के जैव नियंत्रण और खेल मछली पकड़ने में प्रजातियों के डायवर्जन के उद्देश्य से पेश किया जाता है. ये मछलियां जब वे प्राकृतिक जल निकायों में भाग जाती हैं, तो देशी जैव विविधता के लिए खतरा बन जाती हैं.
44 नदियों और 53 जलाशयों में किया गया सर्वे
राज्य की 44 नदियों और 53 जलाशयों में सर्वे किया गया. दर्ज की गई सबसे आम आक्रामक प्रजातियां ओरियोक्रोमिस मोसाम्बिकस और साइप्रिनस कार्पियो थीं. इसे मोज़ाम्बिक तिलापिया के रूप में भी जाना जाता है, ओ.मोसाम्बिकस अफ्रीका में पाया जाता है, जोकि लगभग 39 सेमी तक बढ़ सकता है और इसका एक किलोग्राम से थोड़ा अधिक वजन होता है. यह 44 नदियों, 25 जलाशयों और केरल की दो मीठे पानी की झीलों में पाया गया था.
भारत में कैसे आईं ये मछलियों ?
टीम ने नोट किया कि 32 विदेशी प्रजातियों में से 15 को एक्वैरियम शौक और व्यापार के माध्यम से लाया गया था, छह प्रजातियों को जलीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए, तीन प्रजातियों को मच्छर नियंत्रण के लिए, और तीन प्रजातियों को एक्वैरियम रखने या जलीय कृषि को बढ़ावा देने के लिए पेश किया गया था. विदेशी मछली प्रजातियों की अधिकतम संख्या चलाकुडी नदी से दर्ज की गई थी, जिसमें 11 विदेशी मछली प्रजातियां थीं, जिनमें से आठ प्रजातियां बाढ़ के बाद पाई गईं.
केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज के राजीव राघवन पेपर के लेखकों में से एक बताते हैं कि कई अवैध खेती प्रणालियां विदेशी प्रजातियों के पलायन की सुविधा प्रदान कर सकती थीं. “बढ़ती चरम जलवायु घटनाओं के साथ, हम राज्य में अधिक विदेशी या गैर-देशी प्रजातियों के प्रसार को देख सकते हैं. केरल में अवैध जलीय कृषि पर एक जांच की जरूरत है जो अब एक्वैरियम उद्देश्यों के लिए काम कर रही है.
बाढ़ की घटनाओं के बाद देखी गईं ज्यादा मछलियां
अप्रैल में टीम द्वारा प्रकाशित एक अन्य पेपर में कहा गया है कि: "अगस्त 2018 और 2019 में उच्च तीव्रता वाली बाढ़ की घटनाओं के परिणामस्वरूप कम से कम दस विदेशी मछली प्रजातियां बच गईं, जिन्हें पहली बार पश्चिमी घाट के प्राकृतिक जल से रिकॉर्ड किया गया था।"
केरल यूनिवर्सिटी ऑफ फिशरीज एंड ओशन स्टडीज के राजीव राघवन पेपर के लेखकों में से एक बताते हैं कि कई अवैध खेती प्रणालियां विदेशी प्रजातियों के पलायन की सुविधा प्रदान कर सकती थीं. बढ़ती चरम जलवायु घटनाओं के साथ, हम राज्य में अधिक विदेशी या गैर-देशी प्रजातियों के प्रसार को देख सकते हैं. केरल में अवैध जलीय कृषि पर एक जांच की जरूरत है जो अब एक्वैरियम उद्देश्यों के लिए काम कर रही है.