पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित ओडिसी नृत्य गुरु मायाधर राउत को घर खाली करने के निर्देश दिए गए हैं. दिल्ली के एशियन गेम्स विलेज में सरकार ने उन्हें जो घर दिया था, उससे बेदखल कर दिया गया है. बता दें, नृत्य गुरु मायाधर राउत को साल 2010 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था. लेकिन अब 90 वर्षीय गुरु मायाधर को उस आवास से बेदखल कर दिया गया था, जहां वह 1980 के दशक से रह रहे थे.
जब से गुरु मायाधर राउत की तस्वीर सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई है तभी से ये वायरल हो रही है. इस फोटो में उन्हें घर से बाहर जाते हुए देखा जा रहा है. साथ में उनका पद्मश्री अवार्ड और कुछ सामान भी रखा हुआ दिखाई दे रहा है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, कई कलाकारों को तीन साल की अवधि के लिए मामूली किराए पर घर अलॉट किया गया था, जिसके बाद इस अवधि को नियमित रूप से बढ़ाया गया था. हालांकि, साल 2014 के बाद से, इसे रिन्यू नहीं किया गया है और यही कारण है कि अब कलाकारों को इन घरों को खाली करने के लिए कहा गया.
जिन 28 कलाकारों को घर दिए गए थे, उनमें से 20 पहले ही बाहर जा चुके थे और नृत्य गुरु मायाधर राउत सहित आठ अन्य कलाकार इन घरों में ही रह रहे थे. जिन्हें केंद्र ने बुधवार को 2 मई तक घर खाली करने के लिए कहा है.
कलाकारों को कैसे मिलता है सरकारी आवास?
सरकार की नीति के अनुसार, संस्कृति मंत्रालय की सिफारिश पर जनरल पूल रेजिडेंशियल अकोमोडेशन में एक विशेष कोटे के तहत 40 कलाकारों को आवास आवंटित किया जा सकता है. इसकी शर्त ये होती है कि वे 20,000 रुपये प्रति माह से कम कमाते हों. मंत्रालय के मुताबिक, कलाकारों को ये आवास 3 साल के लिए अलॉट किए जाते हैं. हालांकि, आमतौर पर इस 3 साल वाली अवधि को रिन्यू कर दिया जाता है.
कोर्ट ने कर दिया था और समय देने से इनकार
आपको बता दें, अप्रैल महीने की शुरुआत में, दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय शास्त्रीय कलाकार रीता गांगुली को और समय देने से इनकार कर दिया था. उन्होंने इस 3 साल के टेन्योर वाले फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें और अन्य कलाकारों को अप्रैल के आखिर तक आवंटित घरों को खाली करने का निर्देश दिया गया था.
कानूनी चुनौतियां क्या रही?
जस्टिस विपिन सांघी और नवीन चावला की बेंच ने कहा था कि वह इसके लिए एक और दिन नहीं देंगे. केंद्र ने इसे खाली करने के लिए 31 दिसंबर, 2020 की समय सीमा दी थी, लेकिन याचिका दायर होने के बाद हाई कोर्ट ने नोटिस पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा था कि अगर याचिकाकर्ता फरवरी के आदेश का पालन नहीं करते हैं तो केंद्र कार्रवाई कर सकता है.