जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले से पूरा देश सदमे में है. आतंकियों ने पहलगाम में 27 मासूम लोगों की जानें ली हैं. सरकार और प्रशासन स्थिति को संभालने में जुटे हुए हैं. इस बीच पीड़ितों और चश्मदीदों के बयान सामने आ रहे हैं. इस सबमें असम यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य की आपबीती भी सामने आई. आपको बता दें कि देबाशीष का भी पहलगाम में आतंकियों से सामना हुआ लेकिन अपनी सूझबूझ के चलते वह अपनी और अपने परिवार की जान बचाने में कामयाब रहे.
जब आतंकी से हुआ सामना
असम विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर देबाशीष भट्टाचार्य अपने परिवार के साथ पहलगाम में थे. उन्होंने कहा कि जब एक आतंकवादी उनके पास आया तो वह कलमा पढ़ रहे लोगों के ग्रुप में शामिल हो गए. उन्होंने मीडिया को बताया, “एक आतंकवादी मेरे पास आया. फिर उसने मेरी तरफ देखा और पूछा, ‘तुम क्या कर रहे हो?’
जवाब में, भट्टाचार्य ने जोर से कलमा पढ़ना शुरू कर दिया. उन्होंने कहा, “उसने मुझसे पूछा, ‘तुम क्या कह रहे हो?’ मैं ला इलाहा इल्लल्लाह दोहराता रहा... किसी कारण से, वह मुड़ा और चला गया.” उन्होंने कहा, “मुझे सीधे कलमा पढ़ने के लिए नहीं कहा गया था, लेकिन मैंने दूसरों को पेड़ के नीचे कलमा पढ़ते हुए सुना, और मैं उनके साथ पढ़ने लगा."
आपको बता दें कि प्रोफेसर 21 अप्रैल को अपने पत्नी मधुमिता भट्टाचार्य और उनके बेटे, द्रोहदीप के साथ छुट्टी मनाने के लिए कश्मीर गए थे. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, जब आतंकवादियों ने हमला करना शुरू किया, तो मधुमिता ने जल्दी से अपनी शाखा-पोला (पारंपरिक हिंदू चूड़ियां) उतार दीं और अपने सिंदूर को पोंछ दिया, ताकि उन्हें न पता चले कि वह हिंदू हैं.
जैसे-तैसे बचाई अपनी जान
आतंकियों के जाने के बाद घबराया हुआ परिवार भागकर झाड़ियों के बीच एक पेड़ के नीचे छिप गया. बाद में परिवार ने ऊबड़-खाबड़ इलाके से 2.5 किमी की दूरी तय की. एक लोकल महिला की मदद से, उन्होंने उस घुड़सवार से संपर्क किया जिसे उन्होंने बुक किया था. वह उन्हें उनके होटल में वापस ले आया.
असम सरकार ने भट्टाचार्य और उनके परिवार की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था करने के लिए कदम उठाया है. असम के मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक्स पर पोस्ट किया, "पूरे परिवार की राज्य में वापसी को प्राथमिकता के आधार पर व्यवस्थित किया जा रहा है और असम सरकार परिवार को जल्द से जल्द असम वापस लाने के लिए भारत सरकार के संपर्क में है." प्रोफेसर ने पुष्टि की कि वह अपने परिवार के साथ हैं और वे सभी सुरक्षित हैं तथा 26 अप्रैल को श्रीनगर पहुंचने की उम्मीद है.
पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई, जिससे पूरा देश सदमे और पीड़ा में है. लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने हमले की जिम्मेदारी ली है. इसके जवाब में भारत ने सिंधु जल संधि और पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सार्क वीजा छूट सहित कई रणनीतिक योजनाओं को निलंबित करके पाकिस्तान के साथ अपने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया है.