दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में प्रमुख पर्यटक स्थल पहलगाम पर मंगलवार को आतंकवादियों ने हमला किया. इस हमले में 20 से ज्यादा नागरिकों की जान गई है. इनमें ज्यादातर सभी टूरिस्ट थे जो पहलगाम घूमने आए थे. आतंकियों के हमले के जवाब में, कई सिक्योरिटी यूनि्टस ने इलाके में एक जॉइंट सर्च ऑपरेशन शुरू किया है. इनमें भारतीय सेना की विक्टर फोर्स और विशेष बल, जम्मू-कश्मीर पुलिस का विशेष अभियान समूह (SOG) और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवान शामिल हैं.
भारतीय सेना की विक्टर फोर्स के जवानों ने हमलावरों का तलाशने के लिए घाटी में ऊंचे स्थानों पर मोर्चा संभाल लिया है. लेकिन अब सवाल है कि विक्टर फोर्स क्या है और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी प्रयासों में इसकी क्या महत्वपूर्ण भूमिका है?
भारतीय सेना की विक्टर फोर्स क्या है?
भारतीय सेना को उसकी बहादुरी और समर्पण के लिए व्यापक रूप से सम्मानित किया जाता है. भारतीय सेना के अंतर्गत कई यूनिट्स हैं और इसकी कई स्पेशल यूनिट्स में से विक्टर फोर्स है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. यह राष्ट्रीय राइफल्स (RR) के अंतर्गत काम करती है, जो एक आतंकवाद विरोधी बल है.
विक्टर फोर्स मुख्य रूप से जम्मू और कश्मीर के दक्षिणी जिलों - अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम और शोपियां में सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार है. ये सभी जिले आतंकवादी गतिविधि के लिए बहुत संवेदनशील माने जाते हैं. पिछले कुछ सालों में, विक्टर फोर्स ने कई महत्वपूर्ण मिशनों का नेतृत्व किया है, जिसमें प्रसिद्ध ऑपरेशन ऑल आउट भी शामिल है. इस ऑपरेशन के दौरान विक्टर फोर्स ने कश्मीर घाटी में कई टॉप आतंकवादियों को मार गिराया गया था. अपनी लड़ाकू भूमिका के अलावा, यह यूनिट पत्थरबाजी की घटनाओं और भीड़ नियंत्रण जैसे कानून और व्यवस्था के मुद्दों को भी संभालती है.
कब हुआ था गठन
विक्टर फोर्स राष्ट्रीय राइफल्स के तहत पांच प्रमुख क्षेत्रों में से एक है. राष्ट्रीय राइफल्स की स्थापना 1990 के दशक की शुरुआत में हुई थी जबकि विक्टर फोर्स का गठन 1994 में हुआ था. आरआर के अन्य घटकों में रोमियो फोर्स, डेल्टा फोर्स, किलो फोर्स और यूनिफॉर्म फोर्स शामिल हैं. इनमें से, विक्टर फोर्स भारतीय सेना की सबसे दुर्जेय आतंकवाद विरोधी शाखाओं में से एक है, जो सबसे मुश्किल इलाकों में अपने तेज और प्रभावी अभियानों के लिए जानी जाती है.
सऊदी का दौरा बीच में छोड़ देश लौटे पीएम
प्रतिबंधित पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) आतंकवादी ग्रुप के द रेजिस्टेंस फ्रंट ने हमले की जिम्मेदारी ली है, लेकिन इसकी पुष्टि के लिए कोई सरकारी बयान अभी तक नहीं आया है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि "इस जघन्य कृत्य के पीछे जो लोग हैं, उन्हें न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और उन्हें बख्शा नहीं जाएगा."
सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में छोड़कर आज सुबह भारत पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली हवाई अड्डे पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता भी की. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इतालवी प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने पहलगाम में हुए हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की है.