प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के उपलक्ष्य में अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में उनको समर्पित एक प्रस्तावित स्मारक के एक मॉडल का उद्घाटन किया. आपको बता दें कि प्रस्तावित स्मारक रॉस द्वीप पर स्थापित किया जाएगा, जिसका नाम 2018 में बदलकर नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप रखा गया था.
एक अधिकारी ने कहा कि इसमें एक संग्रहालय, एक केबल कार रोपवे, एक लेजर-एंड-साउंड शो, ऐतिहासिक इमारतों के माध्यम से एक गाइडेड हेरिटेज ट्रेल और एक थीम-आधारित बच्चों का मनोरंजन पार्क होगा. मॉडल का वर्चुएल उद्घाटन पीएम मोदी के भाषण के बाद होगा.
परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर होंगे द्वीप
साथ ही, केंद्र शासित प्रदेश में 21 निर्जन द्वीपों का नाम परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर रखा गया है और इस नामकरण के समारोह में पीएम ने भी हिस्सा लिया. केंद्र सरकार ने परमवीर चक्र विजेताओं को सम्मानित करने के लिए यह पहल की है.
इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा - 'इन 21 द्वीपों को अब परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से जाना जाएगा. आज के इस दिन को आजादी के अमृत काल के एक महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में आने वाली पीढ़ियां याद करेंगी. हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए ये द्वीप एक चिरंतर प्रेरणा का स्थल बनेंगे. मैं सभी को इसके लिए बहुत बहुत बधाई देता हूं.'
पीएम मोदी के भाषण की बड़ी बातें : -
- यह दुर्भाग्य रहा कि सुभाष जी को भुलाने का बहुत प्रयास किया गया लेकिन जो वीर होते हैं वो अपनी स्मृति के लिए किसी के मोहताज नहीं होते है. हमने सुभाष बाबू की कर्तव्य पथ पर मूर्ति लगाने का काम किया, उनकी जयंती को 'पराक्रम दिवस' के रूप में मनाया.
- ये काम देशहित में बहुत पहले हो जाने थे, क्योंकि जिन देशों ने अपने नायक-नायिकाओं को समय रहते जनमानस से जोड़ा...वो विकास और राष्ट्र निर्माण की दौड़ में बहुत आगे गए. आज आजादी के अमृत काल में भारत यही काम कर रहा है, जी-जान से कर रहा है.
- दशकों से नेता जी के जीवन से जुड़ी फाइलों को सार्वजानिक करने की मांग हो रही थी, यह काम भी देश ने पूरी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ाया. आज हमारी लोकतांत्रिक संस्थाओं के सामने 'कर्तव्य पथ' पर नेताजी की भव्य प्रतिमा हमें हमारे कर्तव्यों की याद दिला रही है.
- अंडमान में जिस जगह नेता जी ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था वहां आज गगनचुंबी तिरंगा आजादी हिन्द फौज के पराक्रम का गुणगान कर रहा है. समंदर किनारे लहराते तिरंगे को देख, यहां आने वाले लोगों में देशभक्ति का रोमांच बढ़ जाता है.
- अंडमान की ये धरती वो भूमि है, जिसके आसमान में पहली बार मुक्त तिरंगा फहरा था. सेल्यूलर जेल की कोठरियों से आज भी अप्रतिम पीड़ा के साथ-साथ उस अभूतपूर्व जज़्बे के स्वर सुनाई पड़ते हैं.
- देश में पहले की सरकारों ने... और खास कर विकृत वैचारिक राजनीति के कारण दशकों से जो हीनभावना और आत्मविश्वास की कमी रही उसके कारण देश के सामर्थ्य को हमेशा कमतर आंका गया.
- जिन 21 परमवीर चक्र विजेताओं के नाम से इन द्वीपों को जाना जाएगा उन्होंने मातृभूमि के कण-कण को अपना सबकुछ माना था, उन्होंने भारत मां की रक्षा के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया था.
- आज देश उस कर्तव्य को... उस जिम्मेदारी को पूरा करने का हर संभव प्रयास कर रहा है. आज जवानों और सेना के नाम से देश को पहचान दी जा रही है.
- वो अलग अलग राज्य से थे लेकिन मां भारती की अटूट भक्ति उन्हें जोड़ती थी... एक बनाती थी. जैसे समुद्र अलग अलग द्वीपों को जोड़ता है वैसे ही 'एक भारत - श्रेष्ठ भारत' का भाव भारत मां की हर संतान को एक कर देता है.
- हमारे पूर्वोत्तर के राज्यों और अंडमान-निकोबार द्वीप जैसे हिस्सों को हमेशा ये सोच रही कि ये तो दूरदराज के दुर्गम और अप्रासंगिक क्षेत्र हैं... ऐसी सोच के कारण ऐसे क्षेत्रों की दशकों तक उपेक्षा हुई और उनके विकास को नजरअंदाज किया गया. अंडमान-निकोबार द्वीप भी इसका साक्षी है.
- पहले लोग समुद्री किनारों और प्रकृतिक सौंदर्य को देखने अंडमान आते थे लेकिन अब अंडमान से जुड़े स्वाधीनता के इतिहास को जानने के लिए भी उत्सुकता बढ़ रही है.
- अब लोग इतिहास को जानने और उसको जीने के लिए भी यहां आ रहे हैं. अपनी विरासत पर गर्व की भावना इस परंपरा के लिए और अधिक आकर्षण पैदा कर रही है.
- आज देश को प्रकृतिक संतुलन और आधुनिकता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है. अंडमान-निकोबार में इंटरनेट की सुविधा बढ़ी है और डिजिटल लेन-देन बढ़ने से यहां आने वाले पर्यटकों को लाभ मिल रहा है.
- मुझे विश्वास है कि हम एक ऐसे भारत का निर्माण करेंगे जो सक्षम होगा... समर्थ होगा और आधुनिक विकास कि बुलंदियों को छुएगा.
जिन 21 द्वीपों का नामकरण किया गया है उनमें से 16 उत्तर और मध्य अंडमान जिले में और पांच दक्षिण अंडमान में स्थित हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस मौके पर कहा, 'आज 21 द्वीपों को नाम नहीं दिया गया है बल्कि 21 वीरों के पराक्रम को नमन करते हुए 21 दीप जलने का काम प्रधानमंत्री जी द्वारा किया गया है. सेल्युलर जेल महज एक जेल नहीं, आजादी की लड़ाई का एक बहुत बड़ा तीर्थ स्थान है. देश के इसी हिस्से को सबसे पहले स्वतंत्रता प्राप्त होने का सम्मान मिला और स्वयं नेता जी द्वारा तिरंगा फहरा कर यह सम्मान मिला.'
फहरा सकते हैं तिरंगा
अमित शाह का नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के अवसर पर एक जनसभा को संबोधित करने का कार्यक्रम है. दिन में वह नेताजी स्टेडियम में सार्वजनिक भाषण दे सकते हैं और उसी जगह राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकते हैं जहां नेताजी ने 30 दिसंबर, 1943 को तिरंगा फहराया था.
उस समय स्टेडियम को जिमखाना ग्राउंड के नाम से जाना जाता था. शाह यहां सेल्युलर जेल भी जा सकते हैं.