मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष पद को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्षी दल कांग्रेस में मनमुटाव चल रहा है. फिलहाल डिपार्टमेंटल पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी की 24 समितियों के अध्यक्षों की नियुक्ति प्रस्तावित है. कांग्रेस पार्टी इसमें से 6 स्टैंडिंग कमेटी की अध्यक्षता की मांग कर रही है. जबकि सरकार 4 कमेटियों की अध्यक्षता देने पर सहमत है. सरकार एक कमेटी की अध्यक्षता डीएमके और एक समाजवादी पार्टी को देने की तैयारी में है. चलिए आपको बताते हैं कि स्टैंडिंग कमेटी क्या होती है और इसका क्या काम होता है.
क्या होती है संसद की स्थाई समिति-
संसद का काम कानून बनाना और सरकार की कार्यात्मक शाखा की निगरानी करना होता है. लेकिन संसद पूरे साल नहीं चलती है और उसके पास काम बहुत ज्यादा होता है. इसलिए संसद कामकाज को आसान बनाने के लिए कमेटी का सहारा लेती है.
संसद 2 तरह की कमेटी का गठन करती है. एक स्टैंडिंग कमेटी और दूसरा एड हॉक कमेटी. एक हॉक कमेटी को किसी मुद्दे या बिल विशेष के लिए बनाया जाता है और काम खत्म होने के बाद कमेटी भंग हो जाती है. जबकि स्थाई कमेटी लगातार काम करती रहती है.
हर स्थाई कमेटी में 31 मेंबर होते हैं. इसमें से 21 सदस्य लोकसभा और 10 सदस्य राज्यसभा से चुने जाते हैं. स्थाई समिति का कार्यकाल एक साल का होता है.
संसद की 24 स्थाई समितियां-
सरकार के सभी विभागों से जुड़ी संसद की कुल 24 स्थाई समिति होती हैं. इसमें 16 कमेटी लोकसभा और 8 कमेटी राज्यसभा से जुड़ी होती हैं. इसके अलावा भी संसद की कई और समितियां होती हैं. इसमें फाइेंशियल कमेटी, एड हॉक कमेटी शामिल हैं. डिफेंस, एनर्जी, विदेश, फाइनेंस, कॉमर्स, होम अफेयर्स, रेलवे, इंडस्ट्री, हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर, कम्युनिकेशंस एंड आईटी, पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस, हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स, वॉटर रिसोर्स, केमिकल एंड फर्टिलाइजर्स, रूपल डेवलपमेंट एंड पंचायत राज, सोशल जस्टिस एंड एम्पॉवरमेंट विभागों में पार्लियामेंट्री कमेटी होती है.
इसके अलावा एजुकेशन, वुमेंस, चिल्ड्रेन, यूथ एंड स्पोर्ट्स विभाग में भी स्थाई कमेटी होती है. साइंस एंड टेक्नोलॉजी, एनवॉयरमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के लिए भी स्थाई समिति है. पर्सनल, पब्लिक ग्रीवेंस, लॉ एंड जस्टिस के साथ एग्रीकल्चर, एनिमल एंड फूड प्रोसेसिंग के लिए भी पार्लियामेंट्री कमेटी है.
क्या होता है काम-
हर विभाग की स्थाई कमेटी का काम उससे जुड़ी मामलों की गड़बड़ी की जांच करना होता है. इसके अलावा इन समितियों का काम नए सुझाव देना और नए कानूनों का ड्रॉफ्ट तैयार करना होता है. कमेटी के पास बिल पर जानकारी के लिए किसी भी विशेषज्ञ को बुलाने का अधिकार होता है. समिति सरकार के अफसरों को भी बुला सकती है. कमेटी के पास सांसद की सदस्यता रद्द करने की सिफारिश का भी अधिकार होता है. समिति के पास किसी भी तरह के दस्तावेजों को देखने का अधिकार होता है. इन तमाम अधिकारों की वजह से स्थाई समिति को मिनी संसद कहा जाता है.
कौन होता है कमेटी का अध्यक्ष-
कमेटी के सदस्यों को सदन के अध्यक्ष की तरफ से नॉमिनेट किया जाता है. ये सदन के अध्यक्ष के निर्देश पर काम करते हैं. कमेटी का अधय्क्ष सदन में संख्या बल के आधार पर तय होता है. अगर लोकसभा की 16 स्थाई समिति का अध्यक्ष चुनना होगा तो ये देखना होगा कि लोकसभा में किस पार्टी के पास कितने सांसद हैं. लोकसभा में कुल सांसदों की संख्या 543 है. ऐसे में एक अध्यक्ष पद के लिए 34 सांसदों की जरूरत होती है. जिस पार्टी के पास 34 सांसद होंगे, उनको एक कमेटी की अध्यक्षता मिलेगी. इसी तरह से राज्यसभा में एक कमेटी की अध्यक्षता के लिए 28 सांसदों की जरूरत होती है.
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