प्राकृतिक आपदा के बारे में लोगों को दी जा सकेगी वॉर्निंग, कॉमन अलर्ट सिस्टम में किया जाएगा TV, रेडियो और रेलवे स्टेशनों को भी कवर

जल्द ही टेलीविजन, रेडियो और रेलवे स्टेशनों को भी पब्ल्कि अलर्ट सिस्टम में लाया जाएगा. इसकी मदद से लोगों को सचेत किया जा सकेगा. केन्द्र सरकार डिजास्टर वॉर्निंग सिस्टम के विस्तार को लेकर योजना बना रही है.

Public alert system
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 31 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 6:49 PM IST
  • कॉमन अलर्ट सिस्टम का विस्तार किया जाएगा
  • सीएपी का पहला चरण हो चुका है पूरा 

आपदा प्रबंधन को लेकर अलग-अलग प्रयास किए जा रहे हैं. अब जल्द ही एक ऐसा सिस्टम बनाया जाएगा जिसी मदद से लोगों को पहले ही टेलीविजन और रेडियो के माध्यम से वॉर्निंग मिल जाया करेगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बुधवार को कहा कि सरकार किसी भी प्राकृतिक आपदा या सुरक्षा घटनाओं के बारे में लोगों को सचेत करने के लिए डिजास्टर वॉर्निंग सिस्टम के विस्तार की योजना बना रही है. इसमें टेलीविजन, रेडियो और रेलवे स्टेशनों को कवर किया जाएगा.

कॉमन अलर्ट सिस्टम का विस्तार किया जाएगा

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्र द्वारा जो कॉमन अलर्ट प्रोटोकॉल (CAP) बनाया गया है उस दूसरे फेज में लाया जाएगा. इसमें जिला स्तर पर सुरक्षा मुद्दों जैसे आग, भूस्खलन आदि के बारे में अलर्ट भेजना शुरू किया जाएगा. C- DoT के कार्यकारी निदेशक राज कुमार उपाध्याय ने इसकी जानकारी दी है.

सीएपी का पहला चरण हो चुका है पूरा 

कार्यकारी निदेशक राज कुमार उपाध्याय ने कहा कि सी-डॉट ने सीएपी का पहला चरण पूरा कर लिया है जहां सभी राज्य बोर्ड पर आ गए हैं. इनके अलावा, सभी राष्ट्रीय अलर्ट जनरेटिंग एजेंसियां ​, जैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग, केंद्रीय जल आयोग, भारतीय राष्ट्रीय महासागर सूचना सेवा केंद्र, रक्षा भू सूचना विज्ञान, अनुसंधान प्रतिष्ठान और भारतीय वन सर्वेक्षण - इसमें शामिल हो गए हैं.

क्या है पब्ल्कि अलर्ट सिस्टम?

पब्ल्कि अलर्ट सिस्टम- सचेत एक तरह का वॉर्निंग सिस्टम प्लेटफॉर्म है. मौजूदा समय की बात करें तो ये सिस्टम अभी इसका इस्तेमाल बाढ़, चक्रवात और कोविड महामारी जैसी आपात स्थितियों के दौरान जनता के लिए चेतावनी जारी करने, सलाह और अन्‍य उपयोगी जानकारी देने के लिए किया जाता है. इसके तहत एसएमएस के माध्यम से स्थानीय भाषाओं में लोगों को चेतावनी दी जाती है. लेकिन जल्द ही इसका विस्तार करने पर विचार किया जा रहा है. इसमें रेडियो, टीवी, सायरन, सोशल मीडिया, वेब पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन सहित सभी उपलब्ध संचार माध्यमों को लाया जाएगा. 


 

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