पीरियड लीव पर अक्सर बहस होती है. पीरियड लीव मिलनी चाहिए या नहीं? इस पर सभी अलग-अलग मत होते हैं. राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने पीरियड लीव के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि कामकाजी महिलाओं को पेड मेंस्ट्रुअल लीव दिए जाने की जरूरत नहीं है. अब इस बहस में ब्यूटी ब्रांड मामा अर्थ की को-फाउंडर गजल अलघ भी शामिल हो गई हैं. गजल ने पीरियड लीव को लेकर अपना सुझाव दिया है.
WFH का विकल्प दिया जा सकता है
शार्क टैंक इंडिया की जज गजल अलघ ने कहा कि पीरियड में दर्द से जूझ रही महिलाओं को छुट्टी के बजाय आप वर्क फ्रॉम होम का ऑप्शन दे सकते हैं. गजल लिखती हैं, सदियों से महिलाएं अपने अधिकारों और समान अवसरों के लिए लड़ती रही हैं और अब पीरियड लीव के लिए लड़ना कड़ी मेहनत से हासिल की समानता को पीछे धकेल सकता है. बेहतर समाधान- पीरियड में दर्द झेलने वाली महिलाओं को WFH देने पर विचार किया जा सकता है.
मेन्स्ट्रुएशन कमजोरी नहीं है
यह बहस पिछले हफ्ते तब शुरू हुई जब केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर को जवाब देते हुए लोकसभा में कहा कि "मेन्स्ट्रुएशन शरीर की एक प्रक्रिया है. इसे दिव्यांगता यानी किसी तरह की कमजोरी की तरह नहीं देखा जाना चाहिए. इसमें कुछ महिलाओं या लड़कियों को ज्यादा गंभीर समस्या होती है. वहीं अधिकतर मामलों को दवा से कंट्रोल किया जा सकता है. सभी वर्कप्लेस के लिए पेड पीरियड अनिवार्य करने का कोई प्रस्ताव फिलहाल सरकार के विचाराधीन नहीं है."
वर्किंग प्लेस से लीव मिलना महिलाओं से भेदभाव का कारण
शशि थरूर के अलावा राज्यसभा में राष्ट्रीय जनता दल के मनोज कुमार झा ने भी स्मृति ईरानी से पेड मेन्स्ट्रुअल लीव पर सवाल किया. इस पर स्मृति ईरानी ने कहा, पीरियड साइकिल कोई बाधा नहीं है, यह महिलाओं के जीवन का एक हिस्सा है... यह देखते हुए कि महिलाएं आज अधिक से अधिक आर्थिक अवसरों का विकल्प चुन रही हैं. मैं इस पर सिर्फ अपना व्यक्तिगत विचार रखूंगी. हमें ऐसे मुद्दों का प्रस्ताव नहीं करना चाहिए जहां महिलाओं को समान अवसरों से वंचित किया जाता है, सिर्फ इसलिए कि जिसे पीरियड नहीं होता है, उसका पीरियड के प्रति एक खास दृष्टिकोण है. पीरियड के दौरान वर्किंग प्लेस से लीव मिलना महिलाओं से भेदभाव का कारण हो सकता है.