देश 73वां गणतंत्र दिवस मनाने को तैयार है. ऐसे में दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड की तैयारियां जोरों-शोरों से चल रही हैं. वहीं इस मौके पर दिल्ली पुलिस ने दिशा-निर्देश जारी कर कहा है कि गणतंत्र दिवस समारोह में फुल वैक्सीनेशन करा चुके लोगों को ही शिरकत करने की इजाजत है. इसके साथ ही 15 साल से कम उम्र के बच्चों को कार्यक्रम में आने की अनुमति नहीं है. इस मौके पर पहली बार 26 जनवरी पर दिल्ली के राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड के मोके पर राजस्थान के रियासत कालीन मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानी 700 साल पुरानी फड़ चित्रकला के माध्यम से प्रदर्शित की जाएगी.
120 फीट लंबे इन फड़ चित्रों को भीलवाड़ा के प्रसिद्ध चित्रकार कल्याण जोशी की अगुवाई में 10 चित्रकारों ने 10 दिन की कड़ी मेहनत से बनाया है. फड़ चित्रकार कल्याण जोशी के पिता श्री लाल जोशी भी इस कला में सिद्धस्थ थे और उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था. राजस्थान के भीलवाड़ा शहर और शाहपुरा की लगभग 700 साल पुरानी फड़ चित्रकला के माध्यम से बनाए गए मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानी इस बार पूरा देश गर्व से देखेगा. गणतंत्र दिवस के मौके पर पहली बार राजपथ के मुख्य मंच पर इस चित्रकला का प्रदर्शन होगा. 120 फीट लंबी और 6 फीट चौड़ी इस फड़ चित्रकला को 15 दिन तक प्रदर्शित किया जाएगा.
क्रांतिकारियों की कहानियों को किया जाएगा प्रदर्शित
मेवाड़ के क्रांतिकारियों के फड़ चित्र बनाने वाले चित्रकार भीलवाड़ा के कल्याण जोशी ने बताया कि राजपथ के मुख्य मंच के आमने-सामने की दीवार पर इन चित्रों को लगाया जाएगा. इन चित्रों में देश की आजादी के आंदोलन में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने वाले क्रांतिकारियों की कहानियों को प्रदर्शित किया गया है. फड़ चित्रकला में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजे गए श्री लाल जोशी के पुत्र चित्रकार कल्याण जोशी भी राष्ट्रीय स्तर पर फड़ चित्रकला में कई पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं.
10 दिन की कड़ी मेहनत से तैयार किए गए हैं चित्र
कल्याण जोशी ने बताया कि राजपथ पर गणतंत्र दिवस के मौके पर लगाई जाने वाली फड़ को भीलवाड़ा के 10 कलाकारों ने चंडीगढ़ में रहकर 10 दिन की कड़ी मेहनत से तैयार किया है. इसमें बिजोलिया किसान आंदोलन के महानायक विजय सिंह पथिक आजादी के आंदोलन में एक ही परिवार के पिता केसरी सिंह बारहठ, उनके पुत्र प्रताप सिंह बारहठ और छोटे भाई जोरावर सिंह बारहठ की शहादत की कहानियों को प्रदर्शित किया गया है. आजादी के बाद यह पहला मौका है जब दिल्ली के राजपथ पर मेवाड़ के क्रांतिकारियों की कहानियों को पूरा देश देखेगा.
फड़ चित्रकला का इतिहास
लोक देवता देवनारायण के भक्त छोटू भाट ने सबसे पहले फड़ पेंटिंग बनाई थी. इससे प्रसन्न होकर भगवान देवनारायण ने जोशी जाति के लोगों को यह फड़ चित्र बनाने के लिए अधिकृत किया था. तब से शाहपुरा और भीलवाड़ा शहर में यह फड़ चित्र बनाए जा रहे हैं. भीलवाड़ा मैं फड़ चित्र बनाने वाले जोशी परिवार सोलहवीं शताब्दी तक शाहपुरा में ही रहते थे. बाद में यह लोग पलायन कर 19वीं शताब्दी में भीलवाड़ा आकर बस गए. अभी भी इनके परिवार के लोग शाहपुरा में रहकर फड़ चित्रकला करते हैं जिन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिल चुका है.
(प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट)